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बोले पूर्णिया : डीजे ने ब्रास बैंड का निकाला दम, कम हो गए ऑर्डर, खतरे में पेशा

कसबा क्षेत्र में ढोल ढाक और बैंड बाजा की प्रथा आज भी जिंदा है, लेकिन डीजे के बढ़ते चलन के कारण बैंड पार्टी वालों की आमदनी घट रही है। कई लोग इस पेशे को छोड़कर अन्य काम में लग गए हैं। बैंड पार्टी के...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 26 April 2025 11:22 PM
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बोले पूर्णिया : डीजे ने ब्रास बैंड का निकाला दम, कम हो गए ऑर्डर, खतरे में पेशा

पुराने समय से रही ढोल ढाक और बैंड बाजा की संस्कृति कसबा इलाके में आज भी बरकरार है जबकि जिले के अन्य प्रखंडों में इस पेशे से जुड़े लोगों ने अपना-अपना पेशा छोड़कर वैकल्पिक रोजगार चुन लिया। वैसे तो पूरे जिले मे इसके पेशे से जुड़े लोगों की संख्या 1000 से कम नहीं है लेकिन अधिकतर लोगों ने इस कला से मुंह मोड़ लिया, क्योंकि यह पेशा पार्ट टाइम जॉब की तरह हो गया है। घर का खर्च नहीं चलने पर परदेस जाकर मजदूरी करना श्रेयस्कर समझा। वहीं डीजे आ जाने के बाद लोग कम खर्च की वजह से इसे ही प्राथमिकता देने लगे हैं। ऐसे में ब्रास बैंड वाले मजबूरी में पेशे को ढो रहे हैं। संवाद के दौरान जिले के ब्रास बैंड पार्टी के लोगों ने अपनी समस्या बताई।

01 सौ के करीब है पार्टी में काम करने वालों की संख्या

10 हजार से अधिक होती है ब्रास बैंड टीम की दिहाड़ी

07 ब्रास बैंड पार्टी हैं कसबा नगर परिषद क्षेत्र में

एक जमाना था जब ब्रास बैंड पार्टी वालों की कंपनियां कसबा से लेकर जलालगढ़ होते हुए अररिया के फारबिसगंज तक दर्जनों की संख्या में मुख्य रोड पर अपना अपना होर्डिंग लगाकर रहते थे। बताया जाता है कि कसबा के ब्रास बैंड पार्टी विभिन्न आयोजनों में अपना जलवा दिखाने में काफी मशहूर रहा है। इस पेशे की शुरुआत मस्सक बाजा तथा तुरही और शहनाई से शुरू हुई थी। कालांतर में संसाधनों का विकास हुआ तो ब्रास बैंड पार्टी डेवलप हुई। इतना ही नहीं ब्रास बैंड पार्टी वालों के पास अपना नर्तक भी होता था। इसके बाद जब केशियो का जमाना आया तो ब्रास बैंड पार्टी वालों ने कैशिय और डांसर की व्यवस्था कर डाली। हालांकि कालांतर में जब इन कलाकारों और पेशा से जुड़े काश्तकारों को आर्थिक परेशानी होने लगी तो इन लोगों ने रास्ता बदलना शुरू कर दिया लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ब्रास बैंड पार्टी की प्रथा और संस्कृति क्षेत्र से समाप्त हो गई है। इस पेशा के लोगों को दिक्कत डीजे के आ जाने से हुआ। लोग अब ब्रास बैंड पार्टी से सरल सहज और कम खर्चे में मिलने वाला साज बाज का सामान डीजे मान रहे हैं। डीजे वाले को कहीं ले जाने के लिए सोचा नहीं पड़ता है क्योंकि उनकी अपनी गाड़ी अपना संसाधन होता है, जबकि बैंड वालों को ले जाना और लाना आज के समय में लोगों को झमेला जैसा महसूस होता है। ऐसी स्थिति में डीजे ने बैंड वालों की बैंड बजा दी है।

शादी विवाह का सीजन और विवाह होने वाले घरों में बैंड बाजा की शोर विवाह की रश्मों में चार चांद लगा देता है। बैंड में ढोल व तासा की डम-डम की आवाज और वहीं भोपू की आवाज शादी व बारात की शोभा ही बढ़ा देते है। बारात में अच्छे अच्छे गानों की फरमाईश व बैंड बाजा की धुन पर बाराती जमकर थिरकते है। हाल के दिनों में बैंड बाजे के स्थान पर डीजे की शोर में बैंड बाजा की आवाज दबने लगी है। एक बैंड पार्टी में करीब एक से देड़ दर्जन लोग विभिन्न स्ट्रूमेंट लेकर शामिल होते हैं। किन्तु बदलते परिवेश में अब बैंड बाजा पार्टी कम बुकिंग व लगतार काम नहीं मिलने के कारण इस काम को छोड़ने को मजबूर हो रहे है। इन बैंड पार्टी में शामिल लोंगों ने कहा कि बैंड-बाजा में कम कमाई होती है किसी तरह घर चलता है। अगर सरकार हम बैंड बाजा पार्टी पर कुछ मेहरबानी करे तों यह काम फिर समय के अनुसार आगे चलता रहेगा। सरकार बैंड बाजा वाला खरीददारी में अनुदान व ऋण उपलब्ध करवाये तो काफी अच्छा होगा। कसबा प्रखंड के मदारघाट गौशाला, महाबीर चौक, गढ़बनैली राधा नगर के सैकड़ों परिवार आज भी बैंड बाजा से जुड़े हुए है। एक बैंड बाजा पार्टी में करीब 12 से 18 लोग शामिल होते है। जिनकी जीवन यापन इससे चलता है। लेकिन वर्त्तमान हालात में बढ़ते डीजे का चलन से हम बैंड पार्टी का धंधा काफी मंदा हो गया है। ऐसे में घर परिवार जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। ताकि इस पेशे से जुड़े लोग भी सही तरह जीवन यापन कर सके। बैंड बाजा संचालकों ने बताया कि बैंड बाजा काफी महंगा आता है। इन समानों की खरीद हेतु सरकार द्वारा अनुदान की व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं राज्य सरकार, जिला एवं प्रखंड प्रशासन द्वारा आयोजित विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों में हम बैंड पार्टी वालों को शामिल करना चाहिए। इससे लोगों के बीच बैंड बाजा का लोकप्रियता बढ़ेगी।

कहीं खत्म न हो जाये बैंड पार्टी की संस्कृति:

बैंड पार्टी से जुड़े लोगों ने बताया कि हमलोग इस पेशे से कई दशकों से पीढ़ी दर पीढ़ी जुड़ते आ रहे हैं। आज भी पार्टी की स्थिति वही है। समय के अनुसार कोई बदलाव नहीं हुआ है। हम लोगों का काम शादी विवाह के सीजन में ही चलता है। शेष दिनों बैठे रहना पड़ता है। ऐसे में घर परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में घर के युवा बैंड बाजा पार्टी को छोड़ बाहर कमाने हेतु अन्य परदेस पलायन कर रहे है। ऐसे हालात को देख हमलोग नहीं चाहते है कि नई पीढी इस धंधे में आये। ऐसे में लगता है कि यह संस्कृति और समाजिक धरोहर कहीं खत्म न हो जाए।

शिकायत:

1. ब्रास बैंड पार्टी में जितने लोग काम करते हैं उनको सही मजदूरी नहीं मिल पाती है, जिसके कारण बैंड बाजा पार्टी को घाटा हो रहा है।

2. इस कारोबार को प्रोत्साहन नहीं मिलता है, आमदनी घट गई है।

3. बैंड बाजा उपकरण खरीदने में सरकार द्वारा अनुदान नहीं दिया जाता है।

4. कारोबार बढ़ाने हेतु सरकारी सहयोग नहीं मिल पाता है।

5. ब्रास बैंड पार्टी के कलाकारों का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है।

सुझाव:

1. सही काम की सही कीमत मिलनी चाहिए।

2. कारोबार को संरक्षण मिलनी चाहिए क्योंकि यह इलाके की संस्कृति है।

3. नई पीढ़ी अब इस पेशे में आना नहीं चाहती है। उन्हें ट्रेनिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए।

4. ब्रास बैंड पार्टी के लोगों के लिए ऑफ सीजन में वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था की जानी चाहिए।

5. स्टेज कलाकारों की तरह ब्रास बैंड पार्टी के कलाकारों का भी रजिस्ट्रेशन होना चाहिए।

हमारी भी सुनिए

1. बैंड बाजा पार्टी को साल में कुछ माह ही शादी विवाह के अवसर पर बैंड बजाने को मिलता है। बाकी दिनों में हमलोग बैंठे ही रह जाते हैं। सरकार इस पर ध्यान दे तो हमारी हालत सुधर सकती है।

-चिंटू कुमार

2. बैंड-बाजे के इस धंधे में आमदनी कम है। वहीं अब तो वैसी प्रतिष्ठा भी नहीं मिलती है। इसलिए हम आने वाले पीढ़ी को इस धंधे में नहीं लायेंगे।

-भोला कुमार

3. बैंड बाजा में उपयोग होने वाले उपकरण पर अनुदान मिलना चाहिए। आर्थिक बोझ बढ़ता है। हम लोगों के लिए सरकार को सोचना चाहिए।

-दामोदर राम

4. सरकार बैंड बाजा से जुड़े लोगों के लिए जनकल्याणकारी योजना चलाए ताकि उसका लाभ मिल सके। हमें भी रहने के लिए अच्छा घर और वैकल्पिक रोजगार चाहिए।

-धोरी राय

5. साल में तीन-चार माह ही काम मिलता है बाकि समय हमलोग बेरोजगार होते हैं। ऐसे में परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो जाता है।

-विनोद राम

6. हमलोग कम पैसों में दिन-रात काम करते हैं। हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई लोग बीमार जैसे रहते हैं। अलग से हेल्थ पैकेज चाहिए।

-सुशील राम

7. सरकार को बैंड पार्टी को बढ़ावा देने हेतु सदस्यों का रजिस्ट्रेशन कर उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना चाहिए। ताकि वर्षों पुरानी परम्परा मिटने से बच सके।

-आनंद कुमार

8. जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के सरकारी कार्यक्रमों में हमें भी बैंड बजाने की जगह मिलनी चाहिए। जिससे हम अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें।

-कृष्णा रविदास

9. सरकार बैंड बाजा पार्टी के लोगों को सस्ती ब्याज दर पर ऋण दे जिससे हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। खाली समय में वैकल्पिक रोजगार चल सके। हाउसिंग योजना का भी लाभ मिलना चाहिए ।

-सलमान

10. जब लग्न नहीं रहता है तो काम नहीं मिलता है। ऐसे में हमलोगों को सरकारी स्तर पर दैनिक काम दिलाने की व्यवस्था हो जाए तो माली हालत में सुधार आएगा।

-मुकेश कुमार

11. ब्रास बैंड पार्टी को यूनिफॉर्म से लेकर सभी तरह के संसाधनों में 50 फ़ीसदी अनुदान की व्यवस्था हो जाए तो इस पेशा में लोग दिलचस्पी लेंगे।

-कौशल कुमार

12. जिला में आयोजित होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में हमलोगों को भी जगह मिलनी चाहिए। ताकि हमारे प्रदर्शन की चर्चा हर जिले में हो। प्रदर्शन प्लेटफार्म नहीं है।

-दिलशाद

13. बैंड बाजा के इस धंधे में कलाकारों को मजदूरी कम मिलना तथा काम रोजाना नहीं मिलना उदासी का कारण है।

-राजा कुमार सिंगर

14. हमारे बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग व्यवस्था हो और कलाकारों के प्रशिक्षण के लिए भी सरकारी स्तर पर योजना बने। इससे नई पीढ़ी के लोग जुड़ते चले जाएंगे।

-मास्टर धर्मेंद्र दास

बोले जिम्मेदार

ब्रास बैंड पार्टी वाले का इंडिविजुअल रजिस्ट्रेशन नहीं होता है बल्कि अगर किसी ब्रास बैंड पार्टी ने कार्यालय खोल कर रखा है, उसके कार्यालय का दुकान प्रतिष्ठान 1953 अधिनियम के तहत लाइसेंस दिया जाता है। उस लाइसेंस के आधार पर बैंक लोन भी देती है।

-संजीव कुमार, उप श्रम आयुक्त, पूर्णिया

अधिकांश ब्रास बैंड पार्टी और इसमें काम करने वाले लोग हमारे विधानसभा क्षेत्र के हैं। इनके कल्याण और विकास के लिए सरकार के पटल पर इनकी जरूरत रखी जाएगी। इस संस्कृति को बचाए रखने के लिए कला संस्कृति विभाग से भी बात की जाएगी।

-आफाक आलम, विधायक, कसबा विधानसभा क्षेत्र।

बॉटम स्टोरी :

वेडिंग प्लानर की लिस्ट में कसबा की बैंड पार्टी:

आजकल शादी विवाह के आयोजन में काफी बदलाव आया है। अब सरकारी आवास, गांव-घर या फिर सार्वजनिक स्थलों पर विवाह बहुत कम होता है। इसकी जगह विवाह भवन, होटल और बैंक्विट हॉल ने ले ली है। अब लोग विवाह के आयोजन को ग्रामीण अथवा समाज के युवाओं के भरोसे नहीं बल्कि वेडिंग प्लानर के माध्यम से करवाते हैं। एक बार ठेका बट्टा हो गया तो निश्चिंत हो गए और विवाह स्थल के साथ-साथ बाजा और भोजन आदि की व्यवस्था वेडिंग प्लानर ही तैयार कर देता है। ऐसे ही वेडिंग प्लानर की लिस्ट में कसबा के इलाके के आधा दर्जन से अधिक ब्रास बैंड पार्टी के नाम अंकित हैं। कैसियो सिंगर, स्टेज सिंगर, रोड डांसर, बोल्ड डांसर के साथ इन ब्रास बैंड पार्टी के कलाकारों को सब्जेक्ट दे दिया जाता है। इस नई परंपरा में संसाधन युक्त ब्रास बैंड पार्टी वाले को ही मौका मिलता है। छोटे-छोटे बैंड पार्टी वाले अक्सर बेरोजगार ही रह जाते हैं। हालांकि इसके बावजूद कसबा का इलाका आज भी ब्रास बैंड पार्टी के मामले में काफी धनी है।

बैंड बाजा के लिए कसबा ही चर्चित क्यों?

चर्चा है कि नाच-गान और बैंड बाजा समेत सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक जमाने में कसबा से लेकर चंपानगर तक कलाकारों की कई टोलियां थी जो राजघराने की संगीत की शोभा बढ़ाती थी। विभिन्न तरह के आयोजन में शामिल होती थी। इस इलाके में चंपानगर, श्रीनगर, गढ़बनेली राजाओं की ड्योढ़ी होती थी जहां समय-समय पर इन लोगों की जरूरत होती थी। इन लोगों को वहां सालों भर काम मिले या ना मिले लेकिन सालों भर इनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था हो जाती थी। इसी कारण इस इलाके में यह परंपरा आज भी देखने को मिलती है। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस परंपरा को बचा कर रखने की जरूरत है ताकि नाच-गान की संस्कृति बरकरार रहे।

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