सूबे के स्कूलों में विकसित होगी गुरुकुल पद्धति
मिड डे मील से होगी शुरुआत, पंक्तिबद्ध हो आसन पर भोजन करेंगे छात्र प्रदेश के
भागलपुर, रवि कुमार / वरीय संवाददाता देश की पौराणिक शिक्षा पद्धति गुरुकुल पद्धति को एक बार फिर से बिहार के स्कूलों में विकसित किया जाएगा। इसकी शुरुआत प्रारंभिक स्कूल के छात्र-छात्राओं के वर्ग समूह से की जाएगी। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने नई योजना बनाई है। इसके तहत सबसे पहले प्रारंभिक स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम) के संचालन पर मुख्य रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है। योजना के अनुसार प्रारंभिक स्कूल के बच्चों को मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम) खिलाए जाने के दौरान उन्हें एक साथ बिठाकर भोजन कराने और उन्हें समूहों में किस तरह से एक साथ बैठकर पूरे समूह का भोजन खत्म होने तक अनुशासित रहना है, इसके लिए प्रेरित किया जाएगा। इसको लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन) को निर्देश जारी किया है।
एमडीएम के दौरान एक ही तरह के आसन पर भी बैठेंगे बच्चे
योजना के अनुसार प्रारंभिक स्कूलों के छात्रों को मध्याह्न भोजन के दौरान स्कूलों में एक साथ एक ही तरह के आसन (दरी) पर बिठाकर भोजन कराया जाएगा। इस योजना की शुरुआत सूबे के 52 हजार से ज्यादा प्रारंभिक स्कूलों में होगी। साथ ही इससे सूबे के एक करोड़ नौ लाख बच्चों को पद्धति की जानकारी मिलेगी। अपर मुख्य सचिव के जारी निर्देश के अनुसार स्कूलों में एक साथ पंक्तिबद्ध होकर बच्चों को आसन पर बैठकर भोजन करना है। इतना ही नहीं प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ाई करने वाले इन 1.09 करोड़ बच्चों को उनके वजन के अनुसार मध्याह्न भोजन देने का निर्देश दिया गया है, ताकि कोई भी बच्चा कुपोषण का शिकार होने न पाए। साथ ही यह ताकीद भी की गई है कि जिन स्कूलों में बच्चों को दरी के बदले जमीन पर ही बैठाए जाने की शिकायत मिलेगी, उनके प्रधानाध्यापक पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कुपोषण व संक्रामक रोगों से बच्चों को बचाने की होगी कवायद
विभागीय गाइडलाइन के अनुसार अब स्कूलों में बच्चों के मध्याह्न भोजन करने की जगह से करीब दो सौ मीटर दूरी तक की जगह पूरी तरह से साफ-सुथरी रखे जाने का निर्देश दिया गया है। विभाग की ओर से जारी निर्देश में स्पष्ट तौर पर यह निर्देश है कि छोटे बच्चों में कुपोषण और संक्रामक रोगों की चपेट में आने की आशंका रहती है। इसलिए उनके मध्याह्न भोजन की जगह पूरी तरह से साफ-सुथरी होगी। इसके अलावा इस पूरी योजना का संचालन स्कूल के प्रधानाध्यापक की देखरेख में कराये जाने का निर्देश दिया गया है।
कोट----
प्रारंभिक स्कूल के बच्चों को गुरुकुल पद्धति की सीख दिये जाने का विभागीय निर्देश है। बच्चे एक साथ एक तरह के आसन पर बैठकर भोजन करेंगे, इससे उनमें अनुशासन विकसित होगा। इसको लेकर तैयारी की जा रही है।
-राजकुमार शर्मा, डीईओ
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।