सीमांचल व कोसी के सात जिलों का बनेगा नया गजेटियर
पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, अररिया, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा का बनेगा गजेटियर राजस्व एवं भूमि सुधार
भागलपुर, वरीय संवाददाता। राज्य सरकार ने सीमांचल और कोसी के सात जिलों का नया गजेटियर तैयार करने का निर्णय लिया है। सरकार ने सीमांचल के पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार तथा कोसी के सहरसा, सुपौल और मधेपुरा जिला का गजेटियर बनाने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को जिम्मेदारी दी है। विभाग ने इन सात जिलों में गजेटियर निर्माण के लिए एजेंसी ढूंढ़नी शुरू की है। विभाग के स्तर से निविदा भी निकाली गई है। नये साल में 17 जनवरी को गजेटियर निर्माण का टेंडर खुलेगा। 1970 में गजेटियर का हुआ था अंतिम प्रकाशन
राजस्व विभाग के पदाधिकारियों ने बताया कि चयनित एजेंसी गजेटियरों की पांडुलिपि तैयार करेगी। ये सात जिले दशकों पूर्व भागलपुर जिला से संबद्ध थे। जो धीरे-धीरे अलग होते गए। आज की तारीख में भी दशकों पुरानी दस्तावेजों की खोज भागलपुर आकर करनी पड़ती है। राजस्व से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि गजेटियर का अंतिम प्रकाशन वर्ष 1970 में हुआ था। उस वक्त कोसी-सीमांचल के कई जिले भागलपुर प्रमंडलीय क्षेत्र के अधीन होते थे। पिछले 50 साल में गतिविधियों में बहुत अधिक परिवर्तन हुआ है। जिला गजेटियर एक वृहद सूचना बैंक होता है। इसमें न केवल जिले का इतिहास बल्कि एक-एक तथ्य की जानकारी होती है। साहित्य एवं संस्कृति, शिक्षा, भूगोल एवं प्राकृतिक संसाधन, प्रशासन, विधि-व्यवस्था एवं न्याय, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, पर्यटन, बैंकिंग सहित सभी तरह की सूचना एवं विवरणी रहती है।
ब्रिटिश काल से रही है गजेटियर लिखने की परंपरा
सेवानिवृत्त राजस्व अधिकारी एके सिंह बताते हैं, देश में ब्रिटिश काल से ही गजेटियर लिखने की परंपरा है। गजेटियर किसी इलाके के बारे में एक संपूर्ण मार्गदर्शिका होता है। अंग्रेज अफसरों ने अपनी सहूलियतों के लिए भारतीय समाज का बेहद गहराई तक अध्ययन किया था। अंग्रेजी शासन में इतिहास-भूगोल, कला-संस्कृति, धर्म और अपराध, न्याय और प्रशासन, खेती, अर्थव्यवस्था, मौसम सहित तमाम महत्वपूर्ण पहलुओं को समेटते हुए जिलावार गजेटियर तैयार किया जाता था। अंग्रेजी राज के बाद स्वतंत्र भारत में भी बिहार सरकार ने एक बार जिलेवार गजेटियर तैयार कराए थे।
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