बीएयू ने फूंका पूर्वी भारत के लिए हरित क्रांति 2.0 की तैयारी का बिगुल
सभी विभागों के अधिकारी ओर डीन उच्च स्तरीय मंथन में रहे शामिल कई क्षेत्रों में

भागलपुर, कार्यालय संवददाता। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर में सोमवार को एक उच्च स्तरीय मंथन सत्र का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. दुनिया राम सिंह ने की। इस सत्र का उद्देश्य ‘बिहार और पूर्वी भारत के लिए हरित क्रांति 2.0 की अवधारणा, रणनीति और कार्यान्वयन की रूपरेखा तैयार करना था। इस मौके पर विवि के सभी डीन, निदेशक, वैज्ञानिक एवं विवि के अधिकारी मौजूद थे।
बैठक के दौरान हरित क्रांति 2.0 को पारंपरिक कृषि विकास की सीमाओं से आगे बढ़कर एक जलवायु-संवेदनशील, तकनीकी-सक्षम, और बाजार-संलग्न कृषि मॉडल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव दिया गया। कुलपति ने कहा कि बिहार को कृषि-आधारित निर्यात, रोजगार सृजन और ग्रामीण समृद्धि का मॉडल राज्य बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2026 से ‘हरित क्रांति 2.0 का औपचारिक शुभारंभ प्रस्तावित है, जो बिहार को आत्मनिर्भर, नवोन्मेषी और निर्यातोन्मुख कृषि राज्य के रूप में स्थापित करेगा।
मंथन के दौरान पारंपरिक फसल प्रणाली में सुधार और बहुफसलीकरण के अंतर्गत धान-गेहूं आधारित परंपरागत फसल चक्र की सीमाओं को देखते हुए, कम उत्पादक क्षेत्रों में मखाना, दलहन और उच्च मूल्य फसलों को बढ़ावा देने की रणनीति प्रस्तुत की गई। जलवायु-लचीली और अल्पावधि की उन्नत किस्मों के उपयोग पर बल देते हुए संरक्षण कृषि को भी बढ़ावा देने का सुझाव दिया गया।
सहरसा में मखाना अनुसंधान और नवाचार केंद्र का प्रस्ताव: इस दौरान सहरसा जिले में मखाना अनुसंधान और नवाचार केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया। जो मखाना की आनुवंशिक सुधार और बीज उत्पादन, जलवायु-संवेदनशील उत्पादन तकनीक, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन, निर्यात उन्मुख मूल्य शृंखला विकास के बारे में काम करेगा। इसके साथ यह केंद्र भारत के जलीय कृषि-जैव-अर्थव्यवस्था का प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में कार्य करेगा।
रोजगार सृजन और पलायन की रोकथाम पर चर्चा के दौरान बिहार के 75 लाख किसानों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने, ग्रामीण युवाओं को उद्यमशीलता से जोड़कर रोजगार के अवसर पैदा करने पर चर्चा हुई। इसके लिए• कृषि परामर्श और प्रशिक्षण केंद्र,• एफपीओ और कृषि उत्पादक कंपनियां,• स्टार्टअप और नवाचार हब का विस्तार करने पर बात हुई।
बिहार के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विशिष्ट कृषि आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया। इसके तहत वैज्ञानिक फसल, योजना, कृषि-औद्योगिक क्लस्टर, कोल्ड चेन और भंडारण अवसंरचना, डिजिटल कृषि और ट्रेसबिलिटी प्रणाली, निर्यात सुविधा केंद्र की स्थापना करेगा। इससे स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जा सकेगा। एक जिला एक जीआई नीति पर काम करने की कार्ययोजना तैयार की गई। तकनीकी एवं संस्थागत आधार के तहत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आईसीटीसी आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली, मौसम एवं बाजार सूचना की रीयल-टाइम उपलब्धता, जैव-इनपुट्स द्वारा मृदा स्वास्थ्य सुधार पर विस्तार से बात हुई।
2026 तक बीएयू ने मखाना, मोटे अनाज और जीआई फसलों में 1 लाख हेक्टेयर विस्तार का लक्ष्य तैयार किया है। साथ ही 10 से अधिक एसएईजेड कार्यान्वित कराने,₹10,000 करोड़ से अधिक कृषि निर्यात, 25,000 से ज्यादा प्रशिक्षित एवं समर्थित कृषि उद्यमी, 75 लाख किसान मूल्य श्रृंखला से जोड़ने और 15 से अधिक जीआई उत्पादों को लाने का लक्ष्य तैयार किया है।
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