हिंदी पर जोड़ दे रहा रेल प्रशासन और स्टेशनों पर स्थित पुस्तकालय हैं बंद
हिन्दी को बढ़ावा देने की बात रेलवे में बैठकों तक ही सीमित रह गई है। यकीन न हो तो भागलपुर स्टेशन पर फणीश्वरनाथ रेणु के नाम पर बना पुस्तकालय ढूंढ़कर देख लीजिए। रेल अफसरों ने दो साल पहले यहां हिन्दी...
हिन्दी को बढ़ावा देने की बात रेलवे में बैठकों तक ही सीमित रह गई है। यकीन न हो तो भागलपुर स्टेशन पर फणीश्वरनाथ रेणु के नाम पर बना पुस्तकालय ढूंढ़कर देख लीजिए। रेल अफसरों ने दो साल पहले यहां हिन्दी पुस्तकालय की किताबों की गठरी बांध रखवा दी। डिवीजन के एकमात्र ग्रेड ए-1 स्टेशन पर हिन्दी की उपेक्षा तब है, जब भागलुपर से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, फणीश्वरनाथ रेणु, गोपाल सिंह नेपाली, बनफूल, शरतचन्द्र और महादेवी वर्मा जैसे नामचीन साहित्यकारों के नाम जुड़े हैं।
दो दिन पहले पूर्व रेलवे के एजीएम एसएस गहलोत ने सभी विभागीय चीफ के साथ कोलकाता में बैठक की और रोजमर्रे के काम में हिन्दी को अपनाने और रेलवे के हिन्दी पुस्तकालयों को आमलोगों से जोड़ने पर बल दिया। हालांकि बैठक में बंद पुस्तकालयों की चर्चा नहीं हुई।
भागलपुर स्टेशन पर खुला पुस्तकालय कुछ वर्षों तक पार्सल कक्ष के पास एक टूटे-फूटे कमरे में चला। बाद में वहां की किताबों को समेटकर एक कबाड़खाने में रख दिया गया। सिर्फ भागलपुर ही नहीं, भागलपुर रेलखंड के जमालपुर, साहिबगंज, सुल्तानगंज आदि कई स्टेशनों पर बने पुस्तकालयों को भी रेलवे ने गठरी बांधकर रख दिया है। अब इनकी यादें ही शेष रह गई हैं। वैसे मालदा रेलमंडल में कुल नौ पुस्तकालय हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर अस्तित्व में नहीं हैं।
रेलवे स्टेशनों पर पुस्तकालयों की स्थिति
साहिबगंज जमालपुर रेलखंड के चारों पुस्तकालय बंद
फणीश्वरनाथ रेणु पुस्तकालय भागलपुर बंद कर दिया गया
रामधारी सिंह दिनकर पुस्तकालय जमालपुर डीजल शेड बंद
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पुस्तकालय सुल्तानगंज बंद रहता है
जयशंकर प्रसाद पुस्तकालय साहिबगंज खुलता ही नहीं
साहित्यकार पारस कुंज ने बताया कि भागलपुर में साहित्यिक समृद्धि रही है। दुर्भाग्य है कि रेलवे ने इसकी अनदेखी की। कवि गोपाल सिंह नेपाली की एकचारी से लौटते समय ट्रेन में मौत हुई तो उनका शव भागलपुर स्टेशन पर ही उतारा गया था। और भी साहित्यकारों के नाम भागलपुर से जुड़े हैं।
इतिहास लेखक शिवशंकर सिंह पारिजात ने बताया कि भागलपुर स्टेशन पर फणीश्वरनाथ रेणु के नाम पर खुला पुस्तकालय बंद हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। साहित्यकार बनफूल और शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय भागलपुर के ही थे। रेलवे इन पुस्तकालयों को सहेजे तो मोबाइल में खोये युवाओं को स्टेशन पर साहित्यिक विरासत दिखेगी।
पूर्व रेलवे के सीपीआरओ निखिल चक्रवर्ती ने बताया कि हिन्दी में कामकाज को रेलवे बढ़ावा दे रहा है। पूर्व रेलवे में इसके लिए कई कोशिशें हो रही हैं। जोन में जो भी लाइब्रेरी बंद हैं, उसे फिर से शुरू कराया जाएगा।
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