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बोले कटिहार : युवाओं को बहकने से बचाने को रोजगार जरूरी, की जाए पहल

कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल में विकास की स्थिति चिंताजनक है। बिजली की बाधित आपूर्ति, जर्जर सड़कें, और शिक्षकों की कमी ने जनजीवन को प्रभावित किया है। कृषि संकट और बेरोजगारी के कारण युवाओं का पलायन...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 26 April 2025 11:29 PM
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बोले कटिहार : युवाओं को बहकने से बचाने को रोजगार जरूरी, की जाए पहल

कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल में विकास की तस्वीर बदहाल है। बाधित बिजली आपूर्ति ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं जर्जर सड़कें रोजाना हादसों को न्योता देती हैं। शिक्षकों की भारी कमी ने बच्चों के सपनों की उड़ान पर विराम लगा दिया है। कृषि के लिए न तो पर्याप्त सिंचाई है, न उर्वरक की सुचारू उपलब्धता। रोजगार के अवसर नगण्य हैं, जिससे बेरोजगारी और पलायन बढ़ रहा है। इन तमाम संकटों के बीच क्षेत्र में नशे का जाल भी फैलता जा रहा है। सरकार और प्रशासन से ठोस पहल की उम्मीद है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान क्षेत्र के लोगों ने अपनी समस्या बताई।

04 प्रखंडों का है बारसोई अनुमंडल

02 विधानसभा क्षेत्र हैं बारसोई अनुमंडल में

06 लाख से अधिक मतदाता करते हैं मतदान

कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल की तस्वीर आज भी बदहाली की कहानी कहती है। बुनियादी सुविधाओं की कमी ने लोगों की जिंदगी को संघर्ष में बदल दिया है। क्षेत्र में बाधित बिजली आपूर्ति से रोजमर्रा का जीवन अस्त-व्यस्त है। गांवों में कई-कई घंटे बिजली नहीं रहती, जिससे बच्चों की पढ़ाई और किसानों की खेती दोनों प्रभावित हो रही है। जर्जर सड़कें गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने के बजाय रोजाना जोखिम बढ़ा रही हैं।

उम्मीद के अनुरूप नहीं है शिक्षा व्यवस्था

शिक्षा व्यवस्था भी उम्मीद के अनुरूप नहीं है। सरकारी विद्यालयों में छात्रों की संख्या तो बढ़ रही है, पर योग्य शिक्षकों की भारी कमी से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सपना बनती जा रही है। वहीं कृषि भी गंभीर संकट से जूझ रही है। किसानों को न तो पर्याप्त सिंचाई सुविधा मिल पा रही है, न ही समय पर खाद और बीज। लगातार घटती आमदनी ने किसानों को कर्ज के जाल में उलझा दिया है। बेरोजगारी ने युवाओं को पलायन के लिए मजबूर कर दिया है।

नशे के रोजगार से युवा वर्ग में भटकाव

इन्हीं परेशानियों के बीच अब बारसोई एक और बड़ी चुनौती से जूझ रहा है। वह है नशे का बढ़ता कारोबार। सीमावर्ती इलाका होने का फायदा उठाकर शराब, गांजा और अन्य मादक पदार्थों की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। छोटे-छोटे बच्चों तक को नशे के अवैध धंधे में धकेला जा रहा है। हर गली-मोहल्ले में नशे का जाल फैलता जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ी का भविष्य गहरे संकट में है। लेकिन अंधेरे के इस दौर में उम्मीद की एक किरण भी फूटी है। बिधौर पंचायत के ग्रामीणों ने नशे के खिलाफ बिगुल फूंका है। हजारों लोग एकजुट होकर जन जागरूकता अभियान चला रहे हैं। गांव-गांव में सभाएं हो रही हैं, पोस्टर लगाए जा रहे हैं, युवाओं को नशे से दूर रहने की प्रेरणा दी जा रही है। ग्रामीणों ने तय किया है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दी जाएगी। अब जरूरत इस जज्बे को स्थायी आंदोलन में बदलने की है। साथ ही, बिजली, सड़क, शिक्षा और कृषि जैसे मूलभूत ढांचे को सुधारने के लिए ठोस सरकारी पहल की दरकार है। अगर समाज और प्रशासन मिलकर काम करें, तो बारसोई फिर से विकास की पटरी पर लौट सकता है, और युवा नशे के अंधेरे से निकलकर अपने भविष्य को नई रोशनी दे सकते हैं।

शिकायत

1. बाधित बिजली आपूर्ति, जर्जर सड़कें और खराब सिंचाई व्यवस्था ने आम जनता का जीवन कठिन बना दिया है।

2. छात्रों की तुलना में शिक्षकों की भारी कमी और बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता से बच्चों का भविष्य खतरे में है।

3. सिंचाई, उर्वरक और आधुनिक कृषि तकनीक की कमी से किसान आर्थिक संकट झेल रहे हैं।

4. स्थानीय रोजगार के अवसरों के अभाव में बड़ी संख्या में युवा अन्य राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं।

5. सीमावर्ती इलाकों में मादक पदार्थों की तस्करी और युवाओं का नशे में फंसना सामाजिक ताने-बाने को तोड़ रहा है।

सुझाव:

1. गांवों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति, पक्की सड़कें, और सिंचाई के लिए नई योजनाएं लागू की जाएं।

2. स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नियुक्त हों, शौचालय, पानी और डिजिटल सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।

3. किसानों को समय पर बीज-उर्वरक उपलब्ध कराए जाएं, सिंचाई सुविधा बढ़ाई जाए और फसल बीमा योजना को सरल बनाया जाए।

4.मनरेगा और स्वरोजगार योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू कर युवाओं को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए।

5. नशा तस्करों पर कड़ी कार्रवाई हो, नशामुक्ति अभियान चलाए जाएं और युवाओं के लिए पुनर्वास व काउंसिलिंग केंद्र स्थापित किए जाएं।

इनकी भी सुनें

गांव में बिजली संकट, जर्जर सड़कें, कमजोर शिक्षा व्यवस्था और कृषि की बदहाली ने मिलकर हमारे भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है। ऊपर से नशे की लत बच्चों का भविष्य निगल रही है। अगर अभी एकजुट होकर नहीं लड़े तो अगली पीढ़ी तबाह हो जाएगी।

-हाफिज जाहिर

युवाओं के पास न शिक्षा है, न रोजगार के अवसर। बिजली की कमी, खराब सड़कें और खेती की मुश्किलें युवाओं को निराश कर रही हैं। नशा इस निराशा को और गहरा बना रहा है। सही दिशा देने के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता सबसे जरूरी है।

-जकी अनवर

इस्लाम में नशा हराम है, फिर भी समाज में इसका बढ़ता प्रसार बेहद दुखद है। बिजली, सड़क और शिक्षा की हालत भी खराब है। धार्मिक स्थलों से नशा विरोधी संदेश देकर समाज को चेताना होगा, तभी हम एक मजबूत भविष्य गढ़ सकेंगे।

-मौलाना अब्दुल मन्नान

गांव में खुलेआम नशा बिक रहा है और पुलिस की निष्क्रियता से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। साथ ही सड़कें टूटी हैं, बिजली नहीं है, किसान बेहाल हैं। पुलिस को सख्ती दिखानी होगी और बुनियादी ढांचे को सुधारने की दिशा में तुरंत काम करना चाहिए।

-अब्दुल मजीत

परिवर्तन नीचे से शुरू होता है। जब हम मोहल्ले से जागरूकता फैलाएंगे तभी समाज बदलेगा। बिजली, सड़क, शिक्षा और खेती की समस्याओं का समाधान जरूरी है ताकि युवा नशे से बचें और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें।

-मो. मंजर

सरकार को युवाओं के लिए विशेष रोजगार योजनाएं लानी चाहिए। सड़क, बिजली और कृषि का विकास हो तभी पलायन रुकेगा। बेरोजगारी ही नशे की ओर धकेल रही है। आत्मनिर्भरता से ही हम इस दलदल से बाहर निकल सकते हैं।

-मो. एहसान

समाज और प्रशासन जब मिलकर काम करेंगे, तभी बदलाव आएगा। बिजली, सड़क, शिक्षा और कृषि के क्षेत्र में सुधार होगा तभी नशे के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकेगी। हमें एकजुट रहकर हर मोर्चे पर संघर्ष करना होगा।

-मो. शहीद

स्कूलों में विशेष कक्षाएं चलाई जानी चाहिए ताकि बच्चे नशे के दुष्परिणाम समझ सकें। सड़कें दुरुस्त हों, बिजली सुचारू मिले और शिक्षा बेहतर हो तभी हम भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। बच्चों को सही दिशा देना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

-मोहम्मद जुगनू

हर पंचायत में स्थायी नशा मुक्ति केंद्र जरूरी है ताकि नशे के शिकार युवाओं को समय पर इलाज और सलाह मिले। साथ ही बिजली, सड़क और कृषि की समस्याओं को हल करना भी गांवों के सतत विकास के लिए अनिवार्य है।

-मुजकीर

नुक्कड़ नाटक, रैलियां और पोस्टरों के जरिए नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ानी होगी। जब जनता जागेगी तो सड़कें, बिजली और शिक्षा सुधारने की मांग भी जोर पकड़ेगी। जनभागीदारी से ही सही मायनों में बदलाव संभव है।

-सनाउल्लाह

नशा गांवों को अंदर से खोखला कर रहा है। बच्चों की जिंदगी बचानी है तो अब कड़े कदम उठाने होंगे। साथ ही बिजली, सड़क और शिक्षा जैसी बुनियादी समस्याओं पर भी ध्यान देना होगा ताकि भविष्य उज्ज्वल बन सके।

-सालेक

हर मोहल्ले में युवा टोलियां बनाकर नशा रोकने का प्रयास करें। साथ ही बिजली, सड़क और शिक्षा की मांग भी जोरदार तरीके से उठाएं। जब युवा संगठित होंगे तभी समाज से बुराइयां दूर होंगी और समृद्धि आएगी।

-जाहिद

एकता में अपार शक्ति है। अगर हम सब मिलकर ठान लें, तो नशे को जड़ से खत्म कर सकते हैं। साथ ही सड़क, बिजली, शिक्षा और कृषि को मजबूत कर गांव को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

-असगर

माता-पिता को चाहिए कि बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें। उन्हें सही दिशा दिखाएं। जब परिवार मजबूत होंगे, तभी शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी, नशा रुकेगा और बिजली व सड़क जैसी समस्याएं भी हल होंगी।

-अफाक आलम

महिलाएं समाज की रीढ़ हैं। नशा विरोधी अभियान में उनकी भागीदारी अनिवार्य है। साथ ही महिलाओं को सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी मांगों के लिए भी आगे आना चाहिए ताकि समाज में असली बदलाव हो।

-अब्दुल जब्बार

नशा मुक्ति सिर्फ एक सामाजिक आंदोलन नहीं, बल्कि आर्थिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक सुधार की शुरुआत है। जब बिजली, सड़क, शिक्षा और कृषि का सुधार होगा तभी समाज नशे से आजाद होकर विकास के पथ पर चलेगा।

-अमन कुमार

गांव में नशा बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, अगर सड़कें अच्छी हों, बिजली नियमित मिले, शिक्षा का स्तर ऊंचा हो और किसान सशक्त हों, तो नशे का जड़ से खात्मा संभव है।

-बिहारी तुरी

युवाओं को खेल, पढ़ाई और हुनर के रास्ते पर लाना जरूरी है। सड़क, बिजली, शिक्षा और कृषि की स्थिति सुधरेगी तो युवाओं के सपनों को उड़ान मिलेगी और वे नशे की दुनिया से दूर रहेंगे।"

-जयकिशन पोद्दार

बोले जिम्मेदार

क्षेत्र में बिजली, सड़क, शिक्षा और कृषि की समस्याएं गंभीर हैं, मैं खुद इन मुद्दों को विधानसभा में बार-बार उठाता रहा हूं। सीमावर्ती इलाकों में नशा का बढ़ता कारोबार भी चिंताजनक है। युवाओं का भविष्य बचाना हमारी प्राथमिकता है। सरकार से लगातार मांग कर रहा हूं कि यहां आधारभूत सुविधाओं को दुरुस्त किया जाए और नशा रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। हम जनता के साथ मिलकर हर स्तर पर संघर्ष करेंगे ताकि क्षेत्र का विकास हो और आने वाली पीढ़ी एक सुरक्षित, मजबूत भविष्य की ओर बढ़ सके।

-महबूब आलम, विधायक, बलरामपुर

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बंद पड़े स्टेट बोरिंग नहीं हुए चालू तो होगा आंदोलन

कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले के दर्जनों गांवों में वर्षों से बंद पड़े स्टेट बोरिंग को चालू कराने की किसानों की मांग पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। हिन्दुस्तान अखबार में बीते सप्ताह 20 अप्रैल को यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था, लेकिन विभागीय निष्क्रियता का आलम यह है कि खेत अब भी प्यासे हैं और किसान मायूस। ग्रामीण किसान रामविलास यादव कहते हैं कि प्रशासनिक चुप्पी हमें बर्बादी की ओर धकेल रही है। गर्मी तेज हो गई है, निजी पंप के खर्चे ने कमर तोड़ दी है। मक्का, करेला, भिंडी जैसी फसलें अब मुरझाने लगी हैं। किसानों का आरोप है कि पंचायत से लेकर जिला स्तर तक गुहार लगाई गई, लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने सिर्फ मीटिंग और औपचारिक जवाबों से काम चला दिया। बंगाल सीमा से सटे बारसोई, आजमनगर, कुर्सेला व मनिहारी क्षेत्र के किसान सर्वाधिक प्रभावित हैं। वहां 200 रुपये प्रति घंटे की दर से पटवन किया जा रहा है, जिससे मुनाफा खत्म और कर्ज बढ़ता जा रहा है। स्थानीय किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द बोरिंग की मरम्मत और संचालन शुरू नहीं हुआ, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।

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