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बच्चों के लिए निमोनिया घातक है, समय पर इलाज जरूरी (पेज तीन)

रामपुर में, शिशुओं में निमोनिया के लक्षणों की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक ने बताया कि 0 से 5 वर्ष के बच्चों में यह बीमारी घातक हो सकती है। समय पर इलाज न कराने पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआThu, 26 Dec 2024 08:41 PM
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निमोनिया रोग के लक्षण से बच्चों की पहचान के लिए आशा को किया प्रशिक्षित घर-घर जाकर आशा अभिभावकों को निमोनिया से बचाव के उपाय बताएंगी रामपुर, एक संवाददाता। प्रखंड के पीएचसी कोविड सभागार भवन में गुरुवार को शिशुओं में होनेवाले निमोनिया रोग की पहचान कर उनका समय पर इलाज कराने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण दे रहे पिरामल के आकांक्षी प्रखंड समन्वयक राकेश कुमार ने बताया कि शिशुओं के लिए यह घातक बीमारी है। अगर समय से बच्चे का उपचार नहीं कराया गया तो मृत्यु भी हो सकती है। निमोनिया 0 से 5 वर्ष आयु के बच्चों में अधिक होने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने आशा को बताया कि अगर 2 से 12 माह का बच्चा एक मिनट में 50 या इससे अधिक बार और 12 माह से 5 वर्ष उम्र का बच्चा एक मिनट में 40 बार या इससे अधिक बार सांस लेता है तो यह समझना चाहिए कि वह निमोनिया से प्रभावित हो सकता है। यह बातें बच्चों के माता-पिता को बताकर बच्चों की सेहत के प्रति उन्हें जागरूक कर इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर लाना है, ताकि बच्चे का समय से उपचार किया जा सके। निमोनिया से बच्चों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। यह फेफड़ों का संक्रमण है। बैक्टीरिया या वायरस के कारण निमोनिया पीड़ित व्यक्ति परेशान हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि 5 साल से कम उम्र के कई बच्चों ने निमोनिया रोग से जान गंवाई है। इसलिए इसके बारे में जानना बहुत ज्यादा जरूरी है। इस रोग के लक्षण, बचाव व उपचार के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी दें। निमोनिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को यह अधिक प्रभावित करता है। यह रोग वायु थैली में सूजन पैदा करता है, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती और सांस लेने में परेशानी होने लगती है। यह रोग किसी संक्रमित व्यक्ति के भोजन, पेयजल या उल्टी के संपर्क में आने से होता है। यह करें उपाय प्रशिक्षक ने आशा कार्यकर्ताओं को बताया कि इस रोग से बचाव के लिए अपने आसपास स्वच्छता का वातावरण बनाए रखें। मरीज के संपर्क में आने के बाद अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोएं। खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढंकें और बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें। निमोनिया के लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द होता है। मौके पर बीसीएम राकेश कुमार, अशोक कुमार सहित सभी आशा कार्यकर्ता थीं। फोटो- 26 दिसंबर भभुआ- 10 कैप्शन- रामपुर प्रखंड के पीएचसी के सभागार भवन में गुरुवार को आयोजित प्रशिक्षण भाग लेतीं आशा कार्यकर्ता।

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