कैमूर जिले के 55 उच्च विद्यालयों में नहीं है प्रयोगशाला (पड़ताल/युवा पेज की लीड खबर)
कैमूर जिले के 101 उच्च विद्यालयों में प्रयोगशाला के उपकरणों की स्थिति खराब हो गई है। 2018 में भेजी गई राशि का सही उपयोग नहीं हुआ है, जिससे छात्र प्रायोगिक शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं। 55 विद्यालयों में...
प्रयोगशाला वाले 101 विद्यालयों में 6 साल पूर्व भेजी गई थी उपकरण के लिए राशि, अधिक दिन होने से उपकरण हो गए क्षतिग्रस्त बचे उपकरण से हाई स्कूल प्रशासन चल रहा है प्रायोगिक शिक्षा का काम बिना प्रायोगिक शिक्षा के परीक्षा में अच्छे अंक लाने को ले छात्र चिंतित ग्राफिक्स 166 उच्च विद्यालय हैं कैमूर जिले में 101 हाई स्कूलों में भेजी गई थी राशि 65 हाई स्कूलों को है राशि का इंतजार भभुआ, एक प्रतिनिधि। कैमूर जिले में 166 में से 55 उच्च विद्यालयों में प्रयोगशाला के लिए अलग कक्ष नहीं बनाए गए हैं। इसके अभाव में छात्रों को प्रायोगिक शिक्षा लेने में दिक्कत हो रही है। जिले के सभी हाई स्कूलों को प्लस टू स्कूल का दर्जा प्राप्त हो गया है। हाई स्कूल एवं प्लस टू स्कूल में प्रायोगिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा जिले के 101 हाई स्कूल में विज्ञान प्रयोगशाला हैं। सरकार ने लैब के उपकरण की खरीदारी के लिए वर्ष 2018 में 5-5 लाख रुपए दिए थे। प्रयोगशाला के उपकरण की खरीद किए लगभग 6 वर्ष पूरे हो गए। कई केमिकल खत्म हो गए हैं। कुछ उपकरण भी डैमेज हो गए हैं। ऐसे में हाई स्कूलों को जहां प्रयोगशाला कक्ष का इंतजार है, वहीं जिनके पास कक्ष है, उन्हें उपकरण की जरूरत है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी हाई स्कूलों को विभाग की ओर से 50 हजार रुपए दिए गए हैं, जिससे वह अपनी जरूरत के सामानों की खरीद कर सकते हैं। विद्यालयों में उपलब्ध छात्र निधि कोष का भी उपयोग जरूरत के हिसाब से प्रयोगशाला उपकरण की खरीद में कर सकते हैं। हालांकि अगर देखा जाए तो जिले के 65 उच्च विद्यालयों को अब तक इस मद की राशि नहीं मिली। जिन 101 विद्यालयों को राशि मिली थी, उनमें उपकरण खरीदे गए हैं। प्रधानाध्यापकों की माने तो जिस उपकरण की खरीद की गई थी, अब वह धीरे-धीरे डैमेज हो रहे हैं। बचे उपकरण से ही जैसे-तैसे छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जा रही है। वही 55 विद्यालयों के बच्चे लैब के अभाव में प्रायोगिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। उच्च विद्यालयों एवं प्लस टू स्कूलों में दसवीं एवं इंटर कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के लिए प्रायोगिक विषय की शिक्षा अनिवार्य किया गया है। प्रायोगिक शिक्षा के लिए उन्हें विद्यालयों में प्रयोगशाला की आवश्यकता पड़ रही है। लेकिन, प्रयोगशाला की सुविधा नहीं होने से छात्रों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। प्रायोगिक विषय की पढ़ाई नहीं होने से छात्र मैट्रिक परीक्षा की तैयारी अच्छे से नहीं कर पा रहे हैं। सिर्फ प्रायोगिक कॉपयां ही तैयार कर पा रहे हैं। प्रयोगशाला में कुछ सीख पाने का उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा है। प्रायोगिक शिक्षा से हो रहे वंचित छात्रोंने बताया कि हाई स्कूलों में नौवीं कक्षा से विज्ञान विषय की पढ़ाई शुरू हो जाती है। लेकिन, प्रयोगशाला नहीं होने से वह प्रायोगिक शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। दसवीं कक्षा के छात्र प्रेम प्रकाश पांडेय, अश्विनी कुमार, मनोज कुमार सिंह, प्रियंका कुमारी, प्रभा रानी आदि ने बताया कि अगर नौवीं कक्षा से ही प्रायोगिक शिक्षा देने का प्रबंध किया जाता तो उन्हें दसवीं कक्षा में बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होती। विज्ञान विषय की प्रायोगिक शिक्षा जरूरी है। बिना इसके पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है। प्रैक्टिकल का अंक जुड़ने से रिजल्ट अच्छा आता है छात्रों ने यह भी बताया कि प्रायोगिक परीक्षा में अंक अच्छे मिलते हैं। इस विषय के अंक जुड़ने से परीक्षा परिणाम बेहतर होते हैं। लेकिन, जिले के काफी विद्यालयों में प्रयोगशाला नहीं है, जिससे छात्र प्रायोगिक विषयों की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण उन्हें प्रायोगिक परीक्षा में कम अंक आने की आशंका बन रही है। मैट्रिक परीक्षा की तैयारी कर रहे प्रमोद कुमार, जागृति कुमारी, आकांक्षा कुमारी, मनोज कुमार आदि ने बताया कि प्रायोगिक पाठ्यक्रम को अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में जब वह पढ़ेंगे ही नहीं, तो प्रायोगिक परीक्षा कैसे दे पाएंगे। सिर्फ प्रायोगिक विषयों की कॉपियां तैयार कर पाते हैं, जिसे परीक्षा के दौरान जमा करना होता है। क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक श्रीमती उदासी देवी प्लस टू स्कूल के प्रधानाध्यापक विष्णु शंकर उपाध्याय, अटल बिहारी सिंह प्लस टू स्कूल के प्रधानाध्यापक शिवशंकर कुमार ने बताया कि विद्यालयों में वर्ष 2018 में पांच लाख रुपए मिले थे, जिससे लैब के लिए उपकरण की खरीद की गई थी। लेकिन, उपकरण का उपयोग बार-बार होने से कुछ डैमेज हुए हैं। अभी ज्यादातर उपकरण ठीक हैं, जिससे छात्रों के प्रायोगिक विषयों की जानकारी दी जा रही है। उनका कहना है कि प्रायोगिक विषयों की शिक्षा देने के लिए विभाग द्वारा संसाधनयुक्त प्रयोगशाला की व्यवस्था नहीं की गई। क्या कहते हैं दसवीं के छात्र दसवीं कक्षा में पढ़ रही आकांक्षा कुमारी, गुरु प्रकाश, असलम अली, फातिमा आदि ने बताया कि परीक्षा के दौरान प्रायोगिक विषयों की कॉपियां तैयार की जाती हैं। विद्यालय की ओर से जो कुछ पढ़ाया गया होता है, उसके आधार पर हमलोग अच्छी प्रायोगिक कॉपी तैयार करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, प्रायोगिक शिक्षा नहीं मिलने से संतोषजनक कॉपी तैयार नहीं कर पाते हैं। छात्रों प्रशांत कुमार पांडे व अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय में लैब की सुविधा है। लेकिन, कई परखनली, जार व अन्य उपकरण टूट गए हैं। जो उपलब्ध है उसे से प्रयोग करते हैं। बेसिक जानकारी नहीं मिलने पर होती है दिक्कत छात्र संजय कुमार, सुप्रिया कुमारी, प्रगति कुमारी, आयुष्मान कुमार ने बताया कि विद्यालय के उत्क्रमित होने के बाद नौवीं कक्षा में हम लोगों ने नामांकन कर लिया आप 10वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन, विद्यालय में प्रयोगशाला नहीं है। प्रयोगशाला नहीं होने से प्रायोगिक शिक्षा नहीं मिल पा रही है। विज्ञान शिक्षक द्वारा ब्लैक बोर्ड पर प्रयोग के उपकरण को बनाकर दिखाए जाते हैं, जिसके आधार पर हम लोगों को कुछ जानकारी मिल जाती है। कोट प्रयोगशाला कक्ष निर्माण के लिए अभी तक मुख्यालय की ओर से कोई भी निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। विद्यालयों को मुख्यालय से 50 हजार रुपए भेजा गया है, जिससे प्रधानाध्यापक जरूरत के हिसाब से उपकरण खरीद सकते हैं। छात्र निधि का भी उपयोग उपकरण की खरीद में कर सकते हैं। सुमन शर्मा, जिला शिक्षा पदाधिकारी कोट उच्च विद्यालयों में जहां प्रयोगशाला नहीं है, वहां विज्ञान के शिक्षक वर्ग कक्ष में छात्रों को प्रयोग उपकरण के आधार पर शिक्षा दे सकते हैं। विभाग की ओर से प्रयोगशाला कक्ष के निर्माण के लिए निर्देश मिलने पर निर्माण कराया जाएगा। अक्षय कुमार पांडेय, डीपीओ, माध्यमिक शिक्षा फोटो-23 नवंबर भभुआ- 13 कैप्शन- भभुआ शहर के हाई स्कूल की प्रयोगशाला में रखे गए उपकरण। (सिंगल कॉलम फोटो)
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