समस्या झेल रहे विकास की संभावनाओं वाले ताला के ग्रामीण (पेज चार की बॉटम खबर)
ताला गांव के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां 16 किमी दूर प्रखंड मुख्यालय है, लेकिन गांव में बिजली, पानी और शिक्षा की कमी है। बच्चे पढ़ाई के लिए दूर जाते हैं, जिससे कई बच्चे...
बिजली, पेयजल, सिंचाई, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए अधिकारी व जनप्रतिनिधि तक से ग्रामीण लगा चुके हैं गुहार पांचवीं कक्षा के बाद की पढ़ाई के लिए तय करनी पड़ती है लंबी दूरी गांव में न इलेक्ट्रॉनिक बिजली और सोलर प्लांट, पानी चार घरों में अधौरा, एक संवाददाता। प्रखंड का ताला गांव प्रखंड मुख्यालय से 16 किमी. दूर है। लेकिन, भभुआ-अधौरा मुख्य मार्ग पर है। इस गांव में विकास की असीम संभावनाएं हैं, पर यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। यह कई समस्याओं को झेल रहे हैं। ग्रामीणों ने समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक से गुहार लगाई। लेकिन, समस्याएं जस की तस बरकरार है। ग्रामीण शमीमुद्दीन मियां कहते हैं कि उनका गांव मुख्य पथ के किनारे बसा है। यहां 25-30 दुकानों का छोटा बाजार है, जिसमें कपड़ा, रेडीमेड, किराना, बर्तन, चाय, नाश्ता, पान आदि की दुकान के अलावा आटा चक्की, छोटी राइस मिल भी है। यह गांव अधौरा व भगवानपुर के करीब मध्य में है। यहां बेहतर बाजार स्थापित हो सकता है। सरकार जड़ी-बूटी का क्रय केंद्र खोलकर ग्रामीणों को रोजगार और गांव के बगल से गुजरी नदी में बांध बनाकर सिंचाई का प्रबंध कर सकती है। यहां सहायक पुलिस थाना भी स्थापित किया जा सकता है। पूर्व मुखिया वीरेंद्र खरवार ने बताया कि इस गांव में बिजली, पेयजल, सिंचाई, शिक्षा की समस्या है। ताला से होकर 33 हजार वोल्ट का बिजली तार गुजरा है। लेकिन, इस गांव को इलेक्ट्रिक बिजली नहीं मिलती। सोलर प्लांट से बिजली मिलती थी। वह भी पांच वर्षों से बंद है। जबकि इसी तार से अधौरा, बभनी, चैनपुरा, पटपर गांवों को इलेक्ट्रिक बिजली दी जा रही है। यहां के युवक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली जैसे शहरों में जाकर मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। अगर उन्हें यहीं पर रोजगार देने का प्रबंध हो जाता तो, उन्हें दूसरी जगह नहीं जाना पड़ता। बीच में बच्चे छोड़ देते हैं पढ़ाई पूर्व पैक्स अध्यक्ष महेंद्र सिंह बताते हैं कि ताला गांव में प्राथमिक विद्यालय है। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को 5 किमी. दूर भड़ेहरा या फिर 20 किमी. की दूरी पर स्थित करर गांव में जाना पड़ता है। भड़ेहरा जाने के लिए जंगल होकर व करर के लिए रोजाना 30 रुपया बस भाड़ा खर्च करना पड़ता है। छोटे बच्चे जंगल से होकर पढ़ने जाना नहीं चाहते और रोज 30 रुपए भाड़ा पर खर्च करना सभी के लिए आसान नहीं है। इसलिए कुछ बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। प्राथमिक विद्यालय को अपग्रेड कर दिया जाता तो बेहतर होता। सिर्फ चार घरों में होती है पानी की आपूर्ति ग्रामीण उदय नाथ यादव, संजय प्रजापति बताते हैं कि गांव में नल-जल योजना से टंकी स्थापित है, पर सिर्फ चार घरों में पानी की आपूर्ति होती है। क्योंकि पाइप नहीं है। जबकि इस गांव के करीब 120 घरों में 1200 आबादी निवास करती है। इस गांव में यादव, मुस्लिम, अजजा वर्ग के 40-40 घर हैं। अभी तो जैसे-तैसे पानी का प्रबंध कर लिया जा रहा है, पर गर्मी के दिनों में पेयजल संकट उत्पन्न हो जाता है। कोट अधौरा में पिछले दिनों जिला पदाधिकारी आए थे। ग्रामीणों से संवाद किए। समस्याएं सुने और समाधान की दिशा में पहल करने की बात कही। मैंने भी ताला गांव में सोलर प्लांट से बिजली व नल-जल योजना से हर घर में पानी आपूर्ति का आवेदन दिया। अभी तक कुछ नहीं हुआ। पिंगला देवी, मुखिया कोट सोलर प्लांट से बिजली आपूर्ति करने पर ताला गांव के ग्रामीण 30 रुपया मासिक शुल्क नहीं दे रहे थे। जबकि इसे संचालित करने के लिए कर्मियों को मानदेय देना होता है। प्लांट में स्थानीय लोग छेड़छाड़ करते थे। इसलिए ताला गांव का सोलर प्लांट पांच साल से बंद है। रोहित शर्मा, एलएनटी कंपनी, संचालक फोटो- 18 नवंबर भभुआ- 3 कैप्शन- अधौरा-भभुआ मार्ग में स्थित ताला से गुजरा बिजली तार व स्थापित छोटा बाजार।
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