कोरोना काल में 50 की जगह 100 रुपये वसूल रहे किराया (पेज पांच की लीड खबर)
क्षमता से आधे सवारी लेकर चलने के सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा सीट भर लेकर चल रहे हैं बस संचालक, बिना सरकारी आदेश के दोगुना किराये वसूले जाने से परेशान हैं...
क्षमता से आधे सवारी लेकर चलने के सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा सीट भर लेकर चल रहे हैं बस संचालक
बिना सरकारी आदेश के दोगुना किराये वसूले जाने से परेशान हैं यात्री
मोहनियां से सासाराम व दुर्गावती रोड में बस संचालकों की बढ़ी मनमानी
मोहनियां। एक संवाददाता
जिले में बस संचालकों की मनमानी चरम पर है। इनके द्वारा कोरोना काल में बिना सरकारी आदेश के दोगुना किराया वसूले जाने यात्री परेशान हैं। सरकार के क्षमता से आधे सवारी बैठाकर चलने के आदेश को ठेंगा दिखाकर पूरी क्षमता से चलने वाले बस संचालक भी आपदा में अवसर तलाशने से नहीं चूक रहे हैं, जिसका सीधा असर यात्रियों की जेब पर पड़ रहा है। यात्री प्रशासन से इस पर पहल करने की गुहार लगा रहे हैं।
कुदरा प्रखंड के गायघाट निवासी विकास ने बताया कि उन्हें जरूरी कार्य से सासाराम जाना था। जब वह अंतरप्रांतीय बस डिपो में पहुंचे तो सासाराम जाने के लिये एक बस खड़ी थी, जिसमें बैठने के लिये वह टिकट लेने कंडक्टर के पास गये। उन्होंने बताया कि वह हमेशा जाने वाले यात्री हैं, इसलिये उनको किराया पहले से पता था। वह पचास रुपये का नोट जब कंडक्टर को दिये तो उसने लौटाते हुए सौ रुपये की मांग की तो वह सन्न रह गये। अचानक दोगुने किराया सुनने से अजीब सा लगा। फिर उस बस से जाने का फैसला बदल दिया।
इसी तरह मोहनियां से दुर्गावती जाने वाले दीपक कुमार सिंह ने बताया कि जब वे टिकट लेने के लिये पन्द्रह रुपये किराया दिये तो कंडक्टर द्वारा 25 रुपये की मांग की गई। जब इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि गुरुवार को उसकी बस चेकिंग में पकड़ी गई थी, जिसमें लगे जुर्माना को पूरा करने के लिये किराया बढ़ाया गया। अब सवाल यह है कि बस संचालक न तो सरकार की गाइड लाइन का पालन करते हैं और न ही तय किराये पर चलते हैं। ऐसे में इनकी मनमानी का सीधा असर यात्रियों की जेब पड़ रहा है, जिस पर प्रशासन को शीघ्र पहल करने की जरूरत है।
जब मन होता बढ़ा लेते हैं किराया
मोहनियां। जिले से चलने वाली प्राइवेट बसों के ऑपरेटरों का जब मन होता है वह किराया बढ़ा लेते हैं। सरकार द्वारा तय किराये का न तो बस संचालक अपने वाहनों पर नोटिस लगाते हैं और न तय किराया की सूची चिपकवाते हैं। डीजल का दाम बढ़ने का हवाला देकर अपने हिसाब से किराया बढ़ाकर आमजनों की जेब काट लेते हैं। बस संचालकों की इसी मनमानी के चलते कई बार मारपीट की नौबत भी आ चुकी है। यात्री प्रशासन से नये सिरे से किराये की निर्धारण की मांग कर रहे हैं।
पिछले साल से ही हर रूट में बढ़ा चुके हैं किराया
मोहनियां। बस ऑपरेटर पिछले साल जब लॉकडाउन और सरकार की नई गाइड लाइन आयी तो अपने हिसाब से किराया बढ़ा लिये। पहले जहां मोहनियां से वाराणसी का किराया 70 रुपये था, वह उसी साल सौ रुपये हो गया। मोहनियां से सासाराम के लिये 35 की जगह 50 रुपये की वसूली पिछले साल से ही चालू है। मोहनियां से दुर्गावती की महज दस किलोमीटर की दूरी के लिये 25 रुपये का किराया यात्रियों को हजम नहीं हो रहा, लेकिन मजबूरी में देना ही पड़ रहा है। बताया जाता है कि पिछले साल कोरोना काल से पहले रामगढ़ व मोहनियां का किराया पन्द्रह रुपये था, जिसे बस संचालक बीस रुपये कर दिये। अब सवाल यह है कि जब प्राइवेट बस संचालक अपने मन से ही हमेशा किराया तय कर लेंगे तो परिवहन विभाग व जिला प्रशासन का इस क्षेत्र में क्या भूमिका रहेगा।
फोटो-07 मई मोहनियां 1
कैप्शन- अंतरप्रांतीय बस डिपो मोहनियां में शुक्रवार को क्षमता के बराबर सवारी लेकर निकलती एक बस।
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