नालों की उड़ाही करने के लिए हटाना पड़ता हंै अतिक्रमण
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पेज चार की लीड खबर--पटना का टॉस्क नालों की उड़ाही करने के लिए हटाना पड़ता हंै अतिक्रमण शहर में बसी किसी नई बस्तियों में कच्ची नाली से निकलता है पानी तो कहीं परती जमीन में जाकर जमा होता है घरों से निकलने वाला पानी गंदे पानी की निकासी के लिए बने नाले पर कई जगह हो गई हैं ध्वस्त कुछ जगहों पर नाले पर नहीं दिखे ढक्कन, ओवरफ्लो करता है पानी 03 तरफ से बहती हैं नदियां व नहर भभुआ, एक प्रतिनिधि। शहर के अधिकांश इलाकों के नाले पर अस्थाई अतिक्रमण देखने को मिला। इन नालों पर चाय, पान, नाश्ता, सब्जी, फल, कपड़े, प्लास्टिक आदि चीजों की दुकानें सजी है। इस कारण नालों की उड़ाही करते समय सफाईकर्मियों को परेशानी होती है। तब नगर परिषद प्रशासन को अतिक्रमण हटाकर नालों की उड़ाही करनी पड़ती है। शहर की कई नई बस्तियों में कच्ची नालियां दिखीं, जिससे पानी निकल रहा था। लेकिन, कुछ नई बस्तियों में तो नाली का निर्माण ही नहीं हुआ था। ऐसी बस्तियों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी परती जमीन में जमा हो रहा है। कुछ ऐसे पुराने नाले दिखे, जिसका कुछ हिस्सा ध्वस्त हो गया था और जाम है। जबकि कुछ नालों पर स्लैब नहीं था। शहर के पटेल चौक से जेपी चौक तक, एसडीओ आवास से प्रखंड कार्यालय प्रवेश द्वार, सदर अस्पताल के पास, शहीद संजय सिंह महिला कॉलेज के पास, नगर परिषद कार्यालय द्वार से एकता चौक तक, एकता चौक से मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल से आगे तक, एकता चौक से पुराना चौक जाने वाले पथ में छोटकी पुल तक नाले पर अस्थाई रूप से अतिक्रमण कर कई तरह की दुकानें खोली गई हैं। उक्त इलाकों के नालों से ही शहर में जलनिकासी का प्रबंध किया गया है। लेकिन, जब भी इन प्रमुख नालों की उड़ाही करनी होती है, तब उसके उपर लगाई गईं दुकानों को हटवाना पड़ता है। इससे दुकानदारों के साथ सफाई कर्मियों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है। शहर के वार्ड एक में छात्रावास जाने वाले पथ, वार्ड सात में सदर थाना के पीछे के मुहल्ले में, पोस्टऑफिर गली के पीछे के मुहल्ले में, वार्ड 11 में नगरपालिका के पीछे वाले हिस्से में, छावनी मुहल्ला के अंदर उत्तर तरफ कच्ची नालियां बनी हैं, जिससे पानी का बहाव हो रहा है। नगर परिषद क्षेत्र के बाईपास रोड से उत्तर बसी अधिकांश नई बस्तियों में, एकता चौक से दक्षिण मुन्नी सिंह की गली में दक्षिण ओर नाली का निर्माण नहीं किया गया है। जिससे इन बस्तियों में रहने वाली आबादी को बरसात के दिनों में परेशानी झेलनी पड़ती है। युवा व अन्य तो परेशानी झेलते हुए घर से निकलकर सड़क तक पहुंच जाते हैं, पर बच्चों व महिलाओं को निकलना मुश्किल हो जाता है। इन इलाकों में निर्मित हैं नालें शहर की एकता चौक से पटेल चौक ,पटेल चौक से सुवरा नदी तट, जयप्रकाश चौक से हवाई अड्डा होते हुए सुवरा नहर तक, एकता चौक से चौक बाजार वाले पथ में छोटकी पुल तक, एकता चौक से कलेक्ट्रेट होते हुए बबुरा तक, कैमूर स्तंभ से बाईपास होते हुए कुकुरनहिया नहर तक एवं सब्जी मंडी रोड से पंडा जी पोखरा होते हुए बाईपास तक नाले का निर्माण किया गया है, जिसके माध्यम से शहर में जलनिकासी का प्रबंध नगर परिषद द्वारा किया गया है। कहीं नाला ध्वस्त तो कहीं स्लैब नहीं सब्जी मंडी रोड से बाईपास जाने वाले नाले के उपर स्लैब नहीं दिखे। बरसात में इस नाले का पानी ओवरफ्लो कर सड़क पर फैलता है। शहर के चैनपुर सड़क में सुवरा नदी के पास से बना नाला दुर्गा टॉकीज के पास पूरी तरह से ध्वस्त हैं। इस कारण इसका पानी नदी तक नहीं पहुंच रहा हैं। मोहनियां पथ में अखलासपुर बस पड़ाव के पास का नाला ध्वस्त दिखा। इसका पानी भी कुकुरनहिया नहर में नहीं पहुंच रहा है। सब्जी मंडी रोड से पंडा जी पोखरा होते हुए बाईपास तक जाने वाले नाले में काफी दूर तक ढक्कन नहीं दिखे। बारिश होती है तो पानी सड़क पर बहता है, जिससे गंदगी पसरती है। एक बार में नाला निर्माण नहीं होने से परेशानी शहर के अधिकांश नालों का निर्माण एक बार में नहीं हुआ है। जैसे-जैसे आबादी व बस्तियों बसीं जरूरत के हिसाब से पुराने नालों का आगे की ओर विस्तार किया गया। इस कारण नाले कहीं ढाल तो कहीं उंचा हो गए, जिससे इसका पानी एकसिरे से नहीं निकल पाता है। इस वजह से बरसात के दिनों में आस पास रहने वाले लोग अपने घरों तक जाने और वाहन ले जाने में परेशानी होती है। कुछ जगह तो नाले तोड़े भी गए हैं। हालांकि नगर परिषद द्वारा इसकी नियमित जांच की जाती और लोगों के जरूरत के हिसाब से नाले का निर्माण कराया जाता, ताकि लोगों को परेशानी न हो। नाले व नालियों के लेबल में अंतर से जलजमाव शहर में नाले व नालियों का निर्माण कराते समय उसके लेबल का ख्याल नहीं रखा गया। इस वजह से जलजमाव की समस्या उत्पन्न होती है। मुख्य नाले की उंचाई ज्यादा है, जबकि वार्डों से निकलने वाली नालियां ढाल में हैं। ऐसे में कई वार्डों की नालियों का पानी मुख्य नाले तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे जलभराव होता है। उदाहरण के तौर पर शहर के वार्ड सात की नाली को देख सकते हैं। यहां की नालियां ढाल में हैं और इन नालियों से जुड़ने के लिए बने नाले उंचे हैं। इस कारण नालियों का पानी मुख्य नाले तक नहीं पहुंच पाता है और प्रखंड कार्यालय पथ व खाली जगह में जमा होता है। पटेल चौक से मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल तक वेंडर जोन शहर के पटेल चौक से लेकर मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल तक लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी में नाला के आगे वेंडर जोन बनाया गया है, दुकानदार ठेले पर समान बेचते हैं। जबकि इनके पीछे की दुकानों के दुकानदार नाले पर अपना सामान रखते हैं। नगर परिषद इसे अस्थाई अतिक्रमण मानते हुए सफाई के समय उसे खाली कराती है। हालांकि शहर के लोगों का कहना है कि नाले के ऊपर अस्थाई अतिक्रमण होने से लोगों को जहां आने-जाने में दिक्कत होती है, वहीं सफाई के दौरान कचरा सड़क तक आ जाता है। नाला जाम की शिकायत मिलने पर नगर परिषद करता है साफ शहर से निकलने वाला गंदा पानी नाले के रास्ते नदी या नहर में जाता है ऐसे में जब नाला के जाम होने की शिकायत मिलती है,तो नगर परिषद उसकी सफाई करता है। अधिकारियों ने बताया कि अभी दो दिन पूर्व एकता चौक के पास नाला जाम हुआ था, जिसकी सफाई कराई गई है। हालांकि बरसात से पूर्व शहर के नाले की सफाई कराई जाती है। कोट शहर की मुख्य सड़कों पर लगभग 6-7 किलोमीटर मुख्य नाले का निर्माण कराया गया है, जिससे जलनिकासी कराई जाती है। जहां से ढक्कन टूटने की शिकायत आती है, उसकी मरम्मत कराई जाती है। वाहन ले जाने के दौरान कुछ जगहों पर नाले ध्वस्त हुए हैं, जिसकी मरम्मत कराई जाएगी। संजय उपाध्याय, ईई, नगर परिषद फोटो- 28 फरवरी भभुआ-05 कैप्शन-शहर के एकता चौक के पास खुले नाले में बह रहा शहर का गंदा पानी
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