Hindi NewsBihar NewsBhabua NewsNutrition Gardens in Schools Only 12 Out of 354 Schools Implemented in Kaimur District

राशि मिलने के बाद भी विद्यालयों में नहीं लगी पोषण वाटिका (पड़ताल/युवा पेज की लीड खबर)

कैमूर जिले के 354 स्कूलों में से केवल 12 स्कूलों में पोषण वाटिका लगाने का कार्य हो सका है। शिक्षा विभाग द्वारा आवंटित राशि का सही उपयोग न होने के कारण छात्रों को ताजा हरी सब्जियां नहीं मिल पा रही हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआTue, 17 Dec 2024 10:49 PM
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पोषण वाटिका में उत्पादित हरी सब्जी एवं साग का विद्यालय के छात्रों के लिए बननेवाले मध्याह्न भोजन में करना है उपयोग कैमूर के सिर्फ 12 विद्यालय में ही लगाई जा सकी है पोषण वाटिका आवंटित राशि से करनी थी फल-सब्जी के पौधों की खरीद व घेराबंदी ग्राफिक्स 1182 विद्यालय हैं जिले में संचालित 354 स्कूलों में लगानी है पोषण वाटिका भभुआ, एक प्रतिनिधि। शिक्षा विभाग द्वारा राशि आवंटित किए जाने के बाद भी स्कूलों में पोषण वाटिका लगाने का काम नहीं हो सका। इस कारण छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन के दौरान वाटिका में उत्पादित ताजी व हरी साग-सब्जी खाने के लिए नहीं मिल रही है। स्कूल प्रबंधन को यह चीजें बाजार से खरीदनी पड़ रही है। मध्याह्न भोजन के साथ बच्चों को ताजी हरी व पौष्टिक सब्जी खिलाने के उद्देश्य से प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में पोषण वाटिका लगाने का निर्देश सरकार द्वारा दिया गया था। राज्य मुख्यालय के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने पोषण वाटिका लगाने के लिए जिले के 1182 विद्यालयों की सूची भेजी थी। लेकिन, 354 विद्यालयों का चयन पोषण वाटिका लगाने के लिए किया गया। इस काम के लिए विभाग ने चयनित सभी विद्यालयों को राशि भी आवंटित किया है। एक विद्यालय को पोषण वाटिका लगाने के लिए 5 हजार रुपए दिए गए हैं। लेकिन, पोषण वाटिका लगाने में लधिकतर विद्यालय पिछड़ गए। चयनित विद्यालयों में से करीब चार प्रतिशत स्कूल में ही पोषण वाटिका लग सकी। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, आवंटित राशि से प्रधानाध्यापक को पोषण वाटिका की घेराबंदी कटीले तार से करने पर एक हजार रुपए, कुदाल, फड़वा, खुरपी, बाल्टी आदि की खरीद पर दो हजार, फल-सब्जी के पौधे आदि की खरीद में एक हजार और अतिरिक्त खर्च के लिए एक हजार रुपए विभाग की ओर से भेजे गए हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक जिले के 12 विद्यालयों में ही पोषण वाटिका लग सकी है, जिसमें उत्पादित फल, सब्जी, साग का उपयोग मध्याह्न भोजन में किया जा रहा है। क्यों नहीं लगी 342 विद्यालयों में वाटिका आमजन सवाल कर रहे हैं कि जब वाटिका लगाने के लिए जिले के 354 विद्यालयों का चयन किया गया है, तो फिर 12 विद्यालय में ही पोषण वाटिका क्यों लगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विद्यालयों के विकास के लिए शिक्षा विभाग द्वारा राशि भेजी गई थी। इसी राशि में से पोषण वाटिका पर चार-पांच हजार रुपए खर्च करनी थी। इस राशि से कुदाल, खुरपी, खांची आदि की खरीदारी करनी थी। पोषण वाटिका उन्हीं विद्यालयों में लगानी थी, जिसकी चहारदीवारी है। जहां है बोरिंग, वहां लहलहा रही वाटिका जिले के सभी विद्यालयों में बोरिंग करने का निर्देश शिक्षा विभाग की ओर से मिला हुआ है। हालांकि अभी काफी विद्यालयों में बोरिंग नहीं किया जा सका है। ऐसे विद्यालयों के बच्चे चापाकल के पानी पीते हैं और इसी के पानी से मध्याह्न भोजन भी पकता है। जिन विद्यालयों में बोरिंग है, वहां पेयजलापूर्ति हो रही है। एमडीएम पकाने में भी कोई दिक्कत नहीं आ रही है और पोषण वाटिका की भी अच्छे से सिंचाई हो रही है, जिससे वाटिका में रोपे गए फल, फूल व सब्जी के पौधे लहलहा रहे हैं। विभाग ने मांगी पोषण वाटिका की रिपोर्ट मध्याह्न भोजन योजना से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि पोषण वाटिका को लेकर राज्य मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी गई है। विभाग के निर्देश पर बीपीएम को रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट मिलते ही उसमें संशोधन कर राज्य मुख्यालय भेज दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले के कई ऐसे प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय हैं, जिनकी चहारदीवारी नहीं हो पाई है। ऐसे में वहां पोषण वाटिका लगाना संभव नहीं है। अगर उसमें पोषण वाटिका लगाई जाती है तो मवेशी उसे नष्ट कर देंगे। पोषण वाटिका लगाने की सूचना नहीं दे रहे एचएम जिले के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक को स्कूल परिसर में पोषण वाटिका लगाने का निर्देश दिया गया है। अभी तक किसी प्रधानाध्यापकों द्वारा यह नहीं बताया गया है कि किस विद्यालय में पोषण वाटिका का कार्य पूर्ण हो गया है और वहां साग-सब्जी निकलने लगी है। ऐसे में विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को पोषण वाटिका की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया जा रहा है। बीपीएम से विद्यालयों की जांच कर पोषण वाटिका की स्थिति की जानकारी लेने के लिए पत्र निर्गत किया जा रहा है। कोट विद्यालयों में पोषण वाटिका लगान से छात्रों को पौष्टिक आहार मिलेगा। वाटिका में शारीरिक श्रम से शरीर में फूर्ति आती है। पोषण वाटिका लगाना प्रधानाध्यापक, शिक्षक एवं छात्रों की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। पोषण वाटिका लगाने के लिए राशि भेजी गई है। जिन विद्यालयों में पोषण वाटिका लगी हैं, काफी सुंदर दिख रही हैं। कृष्ण मुरारी गुप्ता, डीपीओ, प्रभारी एमडीएम फोटो- 12 दिसंबर भभुआ- 2 कैप्शन- सदर प्रखंड भभुआ के ओदार स्थित मध्य विद्यालय ओदार की पोषण वाटिका में खिले फूल के पौधे।

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