असर रिपोर्ट 24: कैमूर की प्रारंभिक शिक्षा के स्तर में सुधार
कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में 81.2% बच्चे नामांकित थे, जबकि 2024 में यह संख्या 78.6% रह गई है। हाल की रिपोर्ट से पता चलता है कि भाषा ज्ञान में 17.2% की वृद्धि हुई है, और गणित में भी बच्चों की समझ...
वर्ष 2022 की अपेक्षा साल 2024 में भाषा ज्ञान में 17.2 प्रतिशत हुई है वृद्धि कोराना काल में 81.2% बच्चे थे सरकारी स्कूल में नामांकित, अब 78.6 फीसदी (अच्छी खबर/सर को दिखाकर खबर लगानी होगी।) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर की प्रारंभिक शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। बच्चों में भाषा का ज्ञान बढ़ा है। यह जिले के लिए सुखद है। लेकिन, कोराना काल की अपेक्षा सरकारी विद्यालयों में नामांकन दर में कमी आई है। इसका खुलासा असर की रिपोर्ट- 2024 से हुआ है। जारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में कक्षा तीन से पांच तक के 50.3 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा की किताब पढ़ सकते हैं। लेकिन, वर्ष 2022 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलेगा कि उस समय ऐसे बच्चों की संख्या 67.5 प्रतिशत थी। मतलब 17.2 प्रतिशत बच्चों में किताब पढ़ने का ज्ञान बढ़ा है। इसी तरह वर्ष 2024 में वर्ग छह से आठ तक के 69.5 बच्चे दूसरी कक्षा की किताब पढ़ सकते हैं। जबकि वर्ष 2022 में कक्षा छह से आठ तक के 55.7 बच्चे ही दूसरी कक्षा के हिन्दी विषय की किताब पढ़ पाते थे। मतलब दो वर्षों में हिन्दी भाषा का ज्ञान 13.8 प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन, यह प्रतिशत प्राइमरी स्कूल के बच्चों से 3.4 प्रतिशत कम है। मतलब मिडिल स्कूल के वनिस्पत प्राइमरी स्कूल के बच्चे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। अगर गणित विषय की बात करें तो वर्ष 2024 में वर्ग तीन से पांच तक के 50.3 बच्चे साधारण घटाव बनाना जानते हैं। जबकि कक्षा छह से आठ तक के 50.3 प्रतिशत बच्चे साधारण घटाव बना सकते हैं। लेकिन, वर्ष 2022 में असर की जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि कैमूर में कक्षा तीन से पांच तक के 39 प्रतिशत ही साधारण भाग बनाते थे, जबकि कक्षा छह से आठ तक के 46.7 फीसदी बच्चे साधारण भाग बना लेते थे। मतलब गणित विषय में भी बच्चों की समझ बढ़ी है। कक्षा तीन से पांच तक के 11.3 प्रतिशत और कक्षा छह से आठ तक के बच्चों में 3.6 फीसदी गणित बनाने के ज्ञान में वृद्धि हुई है। मिडिल स्कूल से बेहतर कर रहे प्राइमरी के बच्चे कैमूर जिले के मिडिल स्कूल से प्राइमरी स्कूल के बच्चे बेहतर कर रहे हैं। हिन्दी की किताब पढ़ने की बात हो या फिर गणित बनाने की। इसके पीछे के कारणों के बारे में कुछ अभिभावकों उदय सिंह, राजेंद्र गोंड व नरेश राम से बता की गई तो उन्होंने कहा कि बच्चे स्कूल से लौटने और स्कूल जाने से पहले फोन पर गेम खेलते रहते हैं। हो सकता है कि इस कारण वह पढ़ाई में कमजोर हों। लेकिन, पूछने पर कहते हैं कि होमवर्क बना लिए हैं। अब हमलोगों को उनकी डायरी, होमवर्क, गतिविधि पर नजर रखनी होगी, ताकि वह बेहतर कर सकें। प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं से कराया सर्वे बताया गया है कि असर ने अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के बाद वर्ष 2024 में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में शिक्षा के स्तर का हाल जानने के लिए सर्वे कराया था। सर्वे के बाद जो रिपोर्ट जारी की गई, वह कैमूर जिले के लिए सुखद है। लेकिन, कोरोना काल की अपेक्षा अब सरकारी विद्यालयों में बच्चों का नामांकन व ठहराव कम हुआ है। वर्ष 2024 में 6-14 साल के 78.6 प्रतिशत बच्चे नामांकित हैं। जबकि वर्ष 2022 में इनकी संख्या 81.2 प्रतिशत थी। अब अनामांकित बच्चे 3.6 प्रतिशत है, जबकि वर्ष 2022 में स्कूल से बाहर रहनेवाले बच्चों की संख्या 1.6 प्रतिशत थी। कोट राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा मे गिरावट आई है। जबकि बिहार का स्तर बढ़ा है। कोरोना काल में सरकारी स्कूलों मे बच्चों की उपस्थिति बढ़ी थी। निपुण शिक्षा नीति के तहत जो लक्ष्य 2027 तक रखा गया है, उसे पूरा करने की ओर बिहार बढ़ रहा है। अनामांकित बच्चों की संख्या मे कमी आई है। शिक्षकों की नियुक्ति से पठन-पाठन में सुधार होगा। प्रभाकर कुमार, राज्य समन्वयक, असर कोट सभी विद्यालयों में 100 दिन का प्लान दिया गया है, जिसमें हिन्दी पढ़ने और गणित समझने की बात कही गई है। अभी 60 दिन पूरे हुए हैं। जांच में इनपुट बेहतर आया है। वैसे छात्रों को स्कूल से ड्रॉप आउट किया गया, जो निजी स्कूल में पढ़ते हुए सरकारी स्कूल में नामांकन करा योजना का लाभ ले रहे थे। इसलिए नामांकन दर कम दिख रही है। विकास कुमार डीएन, डीपीओ, एसएसए फोटो- 29 जनवरी भभुआ- 3 कैप्शन- शहर के नगरपालिका मध्य विद्यालय में बुधवार को पढ़ाई करतीं छात्राएं।
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