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कैमूर के पचीस अस्पतालों के पास नहीं है अग्निशमन का एनओसी

पेज तीन की लीड खबर पेज तीन की लीड खबर कैमूर के पचीस अस्पतालों के पास नहीं है अग्निशमन का एनओसी वैधता तिथि खत्म हो

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआTue, 18 Feb 2025 09:12 PM
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कैमूर के पचीस अस्पतालों के पास नहीं है अग्निशमन का एनओसी

पेज तीन की लीड खबर कैमूर के पचीस अस्पतालों के पास नहीं है अग्निशमन का एनओसी वैधता तिथि खत्म हो जाने के बाद भी कुछ अस्पतालों में लगे दिखे फायर यंत्र, अधिकांश अस्पतालों में लगाए गए हैं नए फायर यंत्र जिले के कई अस्पताल रेजीडेंशियल कॉम्प्लेक्स या आसपास में हो रहे हैं संचालित आग लगने की घटना होने पर बिना फायर यंत्र या अन्य इंतजाम के नहीं है संभव ग्राफिक्स 55 अस्पतालों को अग्निशमन ने दिया है एनओसी 25 अस्पतालों के पास नहीं है अग्निशमन का एनओसी भभुआ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कैमूर जिले में करीब 25 ऐसे अस्पताल हैं, जिनके पास अग्निशमन का एनओसी नहीं है और वह उसका संचालन कर रहे हैं। जिले के 55 अस्पतालों को अग्निशमन ने एनओसी दिया है। इन अस्पतालों में लगे फायर यंत्र व उसकी वैधता तिथि की जांच करने के बाद दी गई है। इसकी पुष्टि अग्निशमन पदाधिकारी सुरेन्द्र राय ने कहा कि 25 अस्पतालों के पास विभाग का एनओसी नहीं है और 55 अस्पतालों को एनओसी निर्गत किया गया है। पड़ताल के दौरान कुछ अस्पतालों में यह देखने को मिला कि वैधता तिथि खत्म हो जाने के बाद भी फायर यंत्र टंगे हैं। जब प्रबंधन से बात करने की कोशिश की गई, तो मरीज की भीड़ का हवाला देकर शाम में आने की बात कही। हालांकि अधिकांश अस्पतालों में नए फायर यंत्र लगाए गए हैं। हालांकि जिले के भभुआ व मोहनियां शहर में कुछ ऐसे अस्पताल हैं, जो रेजीडेंशियल कॉम्प्लेक्स या आसपास में संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में अगर आग लगने की घटना होती है, तो मरीज व उस परिसर में रहने वाले लोगों की जान पर खतरा बन सकता है। मालूम हो कि वीते वर्ष 2022 के जनवरी के अंतिम सप्ताह में झारखंड के धनबाद जिले के हाजरा अस्पताल में भयंकर आग लग गई, जिससे डॉक्टर दंपती समेत छह लोग जिंदा जल गए और उनकी मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक 9 लोगों को जिंदा बचा लिया गया है। दरअसल, अस्पताल रेजीडेंशियल कॉम्प्लेक्स में चलता था और डॉ. विकास हाजरा अपने परिवार के साथ उसी परिसर में रहते थे। बड़े हादसे में डॉक्टर दंपती सहित छह लोगों की हुई मौत से कैमूर के अस्पताल संचालकों को सीख लेने की जरूरत है। अपने अस्पतालों में आग से बचाव का बेहतर इंतजाम करना चाहिए। सदर अस्पताल में लगे हैं 60 अग्निशमन यंत्र सदर अस्पताल के ओपीडी व आपातकाल सेवा के विभिन्न वार्डों में जाकर एक-एक फायर यंत्र की गिनती की गई। इस दौरान छोटे-बड़े कुल 60 अग्निशमन यंत्र मिले। इमरजेंसी वार्ड के प्रवेश द्वार पर एक, चिकित्सक कक्ष के पास दो, पावर रूम के बगल में दो, भंडार कक्ष के पास एक, सौर ऊर्जा इकाई के पास दो, प्रथम तत्ला के रैंप पर दो, आईसीयू वार्ड में दो, प्री अनेस्थेटिक रूम में एक, शल्य कक्ष के डॉक्टर रूम के पास एक, स्टरलाइजेशन रूम के पास दो, लेबर वार्ड में तीन, दोतल्ला के रैंप पर दो, यक्ष्मा वार्ड के पास दो, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम इकाई परिसर में पांच, पोषण पुनर्वास वार्ड में चार, तीसरा तल्ला के रैंप पर दो, प्रशिक्षण केंद्र के पास चार, पुरुष व महिला जेरियट्रिक एवं बच्चा वार्ड के पास तीन-तीन, प्रतिक्षा कक्ष में एक, ओपीडी के ब्लॉक एक में एक, दो में दो, तीन में दो फायर यंत्र लगे थे। वही ऑक्सीजन प्लॉट व उसके स्टोरेज में आठ अग्निशमन यंत्र लगे है। इनमें से छोटा वाला 8.2 किलो व बड़ा वाला यंत्र 16 किलो क्षमता का था। आग से बचाव के लिए अस्पतालों में यह है जरूरी आग से बचाव के लिए अस्पताल में पानी टैंक, अग्निशमन यंत्र, फायरमैन की नियुक्ति, स्मेकिंग अलर्ट, आग लगने पर मरीजों को अस्पताल से बाहर निकालने के लिए पुख्ता इंतजाम होना जरूरी है। स्मोक अलार्म लगाने के साथ ही बटन दबाकर उसकी जांच करते रहिए। इससे यह पता चल सकेगा कि वह चालू हालत में है या नहीं। इससे फायर एक्सटिंगिशर सही काम करेंगे। अस्पताल परिसर में मिट्टी का भी इंतजाम रखना चाहिए, ताकि आग लगने पर इसका इस्तेमाल कर सकें। आग लगने पर ऐसे बुझा सकते हैं अगर अपने शरीर में पहने हुए कपड़े में आग लग जाती है, तो सबसे पहले अपने मुंह को ढंककर जमीन पर लेटकर आग बुझाएं। आग लगने पर बंद कमरे में कभी न रहें। इससे दम घुटने से मौत होने की आशंका बनी रहती है। आग को ऑक्सीजन और ईंधन में से किसी एक को अलग कर बुझाया जा सकता है। आग पर पानी की पर्याप्त बौछार पड़ती है, तो ईंधन को ऑक्सीजन की उपस्थिति में बाधा पड़ती है और आग बुझ जाती है। आग पर कार्बन-डाइऑक्साइड के प्रयोग से भी उसे बुझाई जा सकती है।

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