प्रोसेसिंग यूनिट व कोल्ड स्टोर नहीं रहने से किसानों को क्षति (पेज चार की लीड खबर)
कैमूर जिले के किसानों को कोल्ड स्टोर और प्रोसेसिंग यूनिट की कमी के कारण आर्थिक नुकसान हो रहा है। टमाटर, आलू, प्याज और फूलगोभी जैसे उत्पाद खेतों में नष्ट हो रहे हैं। केवल एक निजी कोल्ड स्टोर है, और...
टमाटर, आलू, प्याज, फूलगोभी व अन्य उत्पाद को रखने के लिए नहीं है कोल्ड स्टोर प्रोसेसिंग प्लांट के अभाव में किसानों के खेतों में नष्ट हो जाता है टमाटर व अन्य उत्पाद भभुआ, हिन्दुस्तान संवाददाता। कैमूर में कृषि विभाग के पास प्रोसेसिंग यूनिट व कोल्ड स्टोर नहीं रहने के कारण जिले के किसान आर्थिक क्षति झेल रहे हैं। जिले में मात्र कुदरा बीज निगम के पास चार प्रोसेसिंग यूनिट तथा पुसौली में एक निजी कोल्ड स्टोरेज है। बीज निगम के प्लांट इंजीनियर अनूप कुमार ने बताया कि निगम से निबंधित किसान अपनी उपज को यहां पर लाकर रखते हैं। उस बीज से खर-पतवार, मिट्टी व कंकड़ को निकालकर बीज का प्रोसेसिंग किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रोसेसिंग बीज को पुन: किसानों को खेती के लिए दिया जाता है। बताया जाता है कि जो किसान बीज निगम से निबंधित हैं, सिर्फ उन्हीं के बीज का निगम द्वारा प्रोसेसिंग का काम किया जाता है। जिले के बाकी किसान इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं। किसान संतोष कुमार सिंह, अनिल पांडेय, सुरेन्द्र सिंह तथा राधारमण पांडेय ने बताया कि अगर कृषि विभाग के पास प्रोसेसिंग यूनिट उपलब्ध रहता, तो हम किसान अपने बीज का अच्छे ढंग से प्रोसेसिंग करा लेते। रबी एवं खरीफ सीजन में खेती के लिए महंगे दाम पर बाजारों से गेहूं व धान की बीज नहीं खरीदना पड़ता। जिले कई किसानों ने बताया कि हमलोग खेत में उपजाए गए अपने बीज को प्रोसेसिंग कराने के लिए कुदरा बीज निगम में लेकर गए थे। वहां के पदाधिकारियों ने बताया कि यहां पर उन्हीं किसानों के बीज की प्रोसेसिंग की जाती है जो निगम से निबंधित है। हमलोग बीज लेकर वापस लौट आए। खराब होती है किसानों की सब्जी जिले के हर प्रखंड में कोल्ड स्टोर नहीं रहने के कारण किसानों द्वारा उपजाए गए टमाटर, आलू, प्याज, फूलगोभी व अन्य उत्पाद खराब हो जाते हैं। पुसौली में एक निजी कोल्ड स्टोर है। लेकिन, उसकी दूरी ज्यादा होने के कारण अधौरा, भगवानपुर, चैनपुर, चांद, रामपुर, नुआंव व रामगढ़ प्रखंड के किसान सब्जी की उपज वहां पर ले जाकर नहीं रख पाते हैं। सूत्रों की माने तो व्यापारी किसानों से सस्ते दामों पर सब्जी खरीदकर कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं और जब आलू-प्याज का बाजार में आवक कम हो जाता है, तब वह बाजार में गिराते हैं। 50-60 हजार रुपया प्रति एकड़ होता है खर्च फूलगोभी की खेती पर 50-60 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। दो माह तक किसानों को खेत में दिन-रात मेहनत करना पड़ता है, तब फूलगोभी तैयार होती है। किसान फारुक राइन व मनोहर सिंह ने बताया कि पहले बीज खरीदकर उसकी नर्सरी तैयार करनी पड़ती है। फिर खेत तैयार कर उसके पौधों को रोपना पड़ता है। अगले दिन भोर में पौधों में पानी डालना पड़ता है। फिर सोहनी-कोढ़नी करके पौधों की जड़ पर मिट्टी चढ़ानी पड़ती है। कीट लगे तो पाउडर व दवा का छिड़काव, सिंचाई करनी पड़ती है। इन कार्यों के लिए मजदूर रखना पड़ता है। लेकिन, एक साथ ज्यादा उत्पादन होने पर उसके अच्छे दाम नहीं मिलते हैं, जिससे काफी नुकसान होता है। इसलिए परेशान रहते हैं किसान किसानों को कभी मौसम की मार झेलनी पड़ती है तो कभी उत्पादन अधिक होने पर उनके फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने से नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को या तो अपनी उत्पादित वस्तु को औने-पौने दाम में बेचना पड़ता है या फिर उसे नष्ट करना पड़ता है। कोरोना काल में यही हुआ था। अब फूलगोभी उत्पादक किसान इसलिए परेशान हैं कि उन्हें लागत खर्च भी नहीं मिल पा रहा है। अगर यहां प्रोसेसिंग प्लांट और कोल्ड स्टोर होता तो किसानों को अपनी उपज सस्ती दर पर नहीं बेचनी पड़ती। टोमैटो सोस तैयार करने की भी यूनिट नहीं है। जबकि यहां टमाटर का बेहतर उत्पादन होता है। कोट कोल्ड स्टोर के निर्माण पर बिहार सरकार किसानों को 35 प्रतिशत अनुदान दे रही है। जो किसान कोल्ड स्टोर का निर्माण कराना चाहते हैं, वह विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। स्वीकृति के बाद विभाग जिला में भेजता है। कैमूर जिले के सिर्फ पुसौली में निजी कोल्ड स्टोर है। डॉ. अभय कुमार गौरव, जिला उद्यान पदाधिकारी फोटो-20 दिसम्बर भभुआ- 5 कैप्शन- भभुआ के हवाई अड्डा रोड में एक खेत में लगी पत्तागोभी की फसल की कोड़ाई करते किसान।
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