अब कैमूर जिले की महिलाएं तैयार कर रहीं हैं कालीन व साड़ी (सर के ध्यानार्थ)
कैमूर की 1641 महिलाएं जीविका परियोजना से जुड़कर आत्मनिर्भर हो गई हैं। ये महिलाएं छोटे उद्योग स्थापित कर रही हैं, जैसे कालीन बुनाई और साड़ी निर्माण। इसके अलावा, वे बकरी, मुर्गी पालन, और अन्य कृषि...
कैमूर की 1641 महिलाएं जीविका परियोजना से जुड़कर बन गई हैं आत्मनिर्भर सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने में कामयाबी हासिल कर रही हैं महिलाएं भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर की महिलाएं सामाजिक व आर्थिक बदलाव में महती भूमिका निभाने लगी हैं। पुरुषों की कमाई पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिभग्र बन उनकी मददगार साबित होने लगी हैं। जिले की 1641 महिलाएं जीविका परियोजना से जुड़कर सीधे रोजगार पा रही हैं। इनमें से 865 महिलाएं छोटे-छोटे उद्योग स्थापित कर कारोबार कर रही हैं। जीविका परियोजना से जुड़ी महिलाएं अपने हाथों से कालीन बुनने और साड़ी बनाने तक का काम कर रही हैं। भगवानपुर प्रखंड के कसेर गांव की इंदा देवी कालीन निर्माण करती हैं। पूछने पर बताया कि उनके परिवार की माली हालत खराब थी। जैसे-तैसे घर का खर्च चलता था। लेकिन, जीविका परियोजना की पहल पर उन्हें वित्तीय सहायता मिली, जिससे कच्चा माल मंगाकर कालीन तैयार कर उसकी बिक्री शुरू की, तो आर्थिक पक्ष मजबूत हुआ। उनके पास से यूपी के भदोई के या फिर स्थानीय व्यापारी कालीन खरीदकर ले जाते हैं। भभुआ प्रखंड के अखलासपुर की बेबी खातून बनारसी साड़ी तैयार करती हैं। उनके द्वारा तैयार की गई साड़ी स्थानीय बाजार में खूब बिकती है। जिले की 20 महिलाएं कालीन बुनने व साड़ी तैयार करने का काम कर रही हैं। अन्य महिलाओं को भी कालीन व साड़ी तैयार करने का गुर सिखा रही हैं। जिले की 845 महिलाएं बकरी, मुर्गी पालन, पौधों की नर्सरी, खेतीबारी, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, सजावट, खेती, दुकान, सत्तू, बेसन, खोवा, दाना, खाद्य पदार्थ उत्पाद कर रही हैं। गुड़गांव के सरस मेला से लौटीं महिलाएं हरियाणा के गुरुग्राम में आजीविका द्वारा लगाए गए सरस मेला में कैमूर की छह जीविका दीदी द्वारा बिहारी व्यंजन का स्टॉल लगाया गया। वहां से 12 से 29 अक्टूबर तक लगे मेले में जीविका दीदी द्वारा 2.33 लाख रुपयों की शुद्ध कमाई की गई। गुरुग्राम के सरस मेला से दीपावली के दिन लौटीं पुष्पा देवी व संजू देवी ने बताया कि वहां लिट्टी-चोखा, मटन-चावल, चिकेन आदि व्यंजनों का स्टॉल लगाया गया था। उनकी अच्छी पहल के लिए उन्हें मेले में सम्मानित भी किया गया। कोलकाता, कश्मीर, तेलंगना, दिल्ली, पटना आदि के सरस मेले में भी यहां जीविका दीदी शिरकत कर चुकी हैं। ग्रामीण बाजार खोलकर कर रहीं कमाई जीविका दीदी द्वारा भभुआ शहर के पूरब पोखरा, चैनपुर के हाटा, चांद, दुर्गावती, नुआंव व मोहनियां में ग्रामीण बाजार खोला गया है। यहां की दुकानों में अपने उत्पाद के अलावा अन्य सामग्री की बिक्री की जा रही हैं। जीविका 30-35 जविका दीदी सिलाई, कटाई, बुनाई के काम से भी अच्छी कमाई कर रही हैं। 'जीविका' कैमूर के ग्रामीण क्षेत्र में उन महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हुआ है, जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है। यहीं कारण है कि महिलाओं की सोंच और आर्थिक स्थिति दोनों को ही बदल कर रख दिया है। कोट जीविका परियोजना से जुड़कर कैमूर की 1641 महिलाएं सीधे रोजगार प्राप्त कर रही हैं। उद्यमी बनकर परिवार के विकास में मदद करने के साथ सामाजिक व आर्थिक बदलाव का काम कर रही हैं। रोजगार करने के लिए उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। कुणाल कुमार शर्मा, डीपीएम, जीविका फोटो- 04 नवंबर भभुआ- 1 कैप्शन- भगवानपुर प्रखंड के कसेर गांव में कालीन की बुनाई करती जीविका दीदी। फोटो- 04 नवंबर भभुआ- 2 कैप्शन- चैनपुर प्रखंड के ईदगहिया मोहल्ला में इसी हैंडलूम से तैयार करती हैं खड़ी जीविका दीदी।
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