कुकुरनहिया नहर जानेवाला नाला बस पड़ाव के पास हुआ ध्वस्त
भभुआ में एकता चौक से समाहरणालय जाने वाले नाले की खराब स्थिति से क्षेत्र में दुर्गंध फैल रही है। कई ढक्कन टूट गए हैं और दीवार ध्वस्त हो गई है, जिससे गंदा पानी खेतों में बहता है और फसल को नुकसान होता...

एकता चौक से होकर समाहरणाल पथ से बस पड़ाव पटिया होते हुए कुकुरनहिया नहर में जाकर गिरता है नाले का गंदा पानी कई जगह ढक्कन व एक तरफ की दीवार टूटने से आ रही है दुर्गंध हादसे को आमंत्रण दे रहा नगर परिषद की ओर से निर्मित ध्वस्त नाला (पटना का टास्क) भभुआ, एक प्रतिनिधि। नगर परिषद ने शहर के एकता चौक से समाहरणालय जाने वाली सड़क के पश्चिमी किनारे नाले का निर्माण कराया है। यह नाला एकता चौक, कैमूर स्तंभ, लिच्छवी भवन, कलेक्ट्रेट, अखलासपुर बस पड़ाव, पटिया मोहल्ला होते हुए पेट्रोल पंप के पास कुकुरनहिया नहर में मिलता है। लगभग तीन किलोमीटर लंबे नाले की चौड़ाई चार फुट व गहराई आठ फुट है। इस नाले में शहर के पांच वार्डों का पानी आता है, जिसे कुकुरनहिया नहर में गिराने का प्रबंध किया गया है। इस नाले की हालत यह है कि कई जगह इसके ढक्कन टूटे हुए हैं। अखिलेशपुर बस पड़ाव के पास नाले की एक दीवार ध्वस्त हो गई है। लगभग 5 से 7 मीटर दूरी तक के ढक्कन टूटकर नाले में गिर गए हैं। कुछ गिरने की स्थिति में बस पड़ाव के पास मिले अंकित कुमार सिंह, रौनक पासवान, मुकेश कुमार चौहान, बटेश्वर साहनी आदि ने बताया कि जब इस नाले का पानी धीमी गति से नहर की ओर जाता है, तब इसका ग्रामीण इलाकों के खेतों में चला जाता है, जिससे फसल को काफी नुकसान होता है। मुखराम सिंह व नरेंद्र सिंह ने बताया कि नगर परिषद द्वारा शहर के घरों से निकलने वाले गंदे पानी को ग्रामीण इलाके से होकर नहर में गिराया जा रहा है। लेकिन, इसकी नियमित देखरेख नहीं करने से यह कई जगहों पर जाम हो गया है। ढक्कन टूट गए हैं। दीवार ध्वस्त हो गई है। पानी का बहाव तेज गति से नहीं हो रहा है। यही कारण है कि कभी-कभी यह पानी नहर में ना जाकर खेतों में बहने लगता है, जिससे फसल को नुकसान होता है। जगह-जगह जाम है मुख्य नाला एकता चौक से अखलासपुर बस पड़ाव होते कुकुरनहिया नहर तक जाने वाला नाला काफी लंबा व मुख्य नाला है। यह नाला शहर के बाजार से निकलने वाले गंदे पानी के अलावा वार्ड 11, 12 सहित अन्य वार्डो के गंदे पानी को नहर तक पहुंचाता है। नाले का कुछ जगहों पर ढक्कन टूटे होने से उसमें कचरा भर जाता है। वार्डो से निकली नालियों के पानी के साथ आनेवाली गंदगी भी इसी नाले में गिरती है। इससे नाला अक्सर जाम हो जाता है। नाला जाम होने से कलेक्ट्रेट से आगे एवं बस पड़ाव से आगे खाली जमीन में इसका पानी बहता है, जिससे किसानों के खेत में लगी फसल को क्षति पहुंचती है। अमित कुमार व धनंजय सिंह ने बताया कि बस पड़ाव और कलेक्ट्रेट के बीच में यह नाला अक्सर जाम होता है। सड़क ऊंची होने की वजह से इसका पानी ढाल इलाके में बहता है। मुख्य नाले की नगर परिषद करे नियमित निगरानी शहर के चारों तरफ नगर परिषद द्वारा मुख्य नाले का निर्माण कराया गया है। नाला का गंदा पानी नहर एवं नदी में गिरता है। जब कहीं अवरोध होता है, तो पानी के दबाव के कारण बदहाल नाला व उसका ढक्कन टूट जाता है। इस कारण उसमें कचरा भरकर जाम हो जाता है। इससे आसपास रहने वाले लोगों को काफी दिक्कत होती है। नगर परिषद को नियमित रूप से नाले की निगरानी करनी चाहिए। अगर नाला कहीं जाम होता है या फिर कहीं इसके ढक्कन टूटते हैं तो इसपर तुरंत काम होना चाहिए, ताकि भविष्य में समस्या न हो। बसंत प्रसाद और अंगद कुमार ने बताया कि नाला जाम होने से शहर के लोग प्रभावित होते हैं। चारों ओर नाले का निर्माण कराने के बाद भी पानी का बहाव तेज नहीं होने का मतलब नाला जाम है। फोटो- 06 मार्च भभुआ- 3 कैप्शन- शहर के अखलासपुर अंतरराज्यीय बस पड़ाव के ध्वस्त व बिना ढक्कन का गुरुवार को दिखता नाला।
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