Hindi NewsBihar NewsBhabua NewsCold Weather Reduces Milk Production in Kaimur Farmers Face Economic Loss

ठंड से मवेशी व पंक्षी तक होने लगे हैं परेशान (पेज चार की बॉटम खबर)

कम दूध उत्पादन के कारण कैमूर के पशुपालकों की आमदनी में कमी आई है। ठंड के कारण मवेशियों में बीमार होने की आशंका है, जिससे पशुपालक चिंतित हैं। दूध की कमी के चलते किसान गुनगुना पानी पिलाने और संतुलित...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआSat, 21 Dec 2024 10:06 PM
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कम दूध उत्पादन होने से कैमूर के पशुपालकों की आमदनी में आई कमी ठंड के कारण मवेशियों के बीमार होने की आशंका से पशुपालक चिंतित भभुआ, एक प्रतिनिधि। सुबह-शाम ठंड का प्रकोप बढ़ने लगा है। इससे पशु-पंक्षी व जंगली जानवर भी परेशानी हैं। शाम ढलने से पहले पंक्षी अपने घोसले में चले जा रहे हैं। जंगली जानवर भी प्राकृतिक आवास से दिन में देर से निकल रहे हैं। मवेशी ठंड से कांपते दिख रहे हैं। ठंड के कारण मवेशियों ने दूध देना भी कम कर दिया है। इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। पशुओं को ठंड से बचाना पशुपालकों के लिए एक चुनौती बन गया है। पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि पशुपालक दुधारू पशुओं के शरीर के तापमान को संतुलित रखें। उनकी देखरेख अच्छे से करें। उन्हें संतुलित आहार दें। ऐसा करने से गाय-भैंस दूध देना कम नहीं करेंगी। जिस जगह पशुओं को बांधा जाता है, वहां की खिड़कियों पर बोरी व टाट के पर्दे लगा देने चाहिए, जिससे उन्हें ठंड ना लगे। वैसा आहार देना चाहिए जिसमें सभी पोषक तत्व हो। मवेशियों के शरीर को बोरा से ढंककर रखें और गोशाला के आसपास अंगीठी जलाएं। लेकिन, सोने से पहले उसे बुझा दें या दूर रख दें। भभुआ के पशुपालक उमेश सिंह ने बताया कि उनकी गाय प्रतिदिन 8 लीटर दूध देती थी। लेकिन, ठंड की वजह से अब डेढ़-दो लीटर कम दूध दे रही है। भैंस 10 लीटर की जगह आठ लीटर दूध देने लगी। ऐसे में जहां दूध की आपूर्ति कम हो गई है, वहीं उनकी आय में कमी आई गई। पशुपालक अंबिका यादव ने बताया कि इस मौसम में मवेशी आहार लेना व पानी पीना कम कर देते हैं। इसलिए उन्हें गुनगुना पानी पिलाया जा रहा है। शाम में पहले लौट जा रहे जानवर अधौरा के महेश यादव बताते हैं कि उनकी गाय जंगल में चरने जाती है। ठंड इतनी ज्यादा है कि पहाड़ी क्षेत्र में उन्हें सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया है। इसलिए वह दूध कम देने लगी हैं। जो जंगली जानवर खाने-पीने के लिए सुबह पांच-छह बजे बाहर निकल जाते थे, वह आठ बजे से पहले नहीं दिख रहे हैं। हिरण, खरगोश, जंगली बिल्ली, बंदर, लंगूर पानी पीने के लिए चुआं के आसपास देर से पहुंच रहे हैं। शाम में पहले लौट भी जा रहे हैं। मवेशियों के आहार पर दें ध्यान पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि ठंड में मवेशियों को पानी में गुड़ मिलाकर दें। इससे वह पानी ज्यादा पीएंगे। आहार में गेहूं व मकई का दर्रा, चावल का ब्रान, गेहूं की भूसी के साथ दें। तीसी की खल्ली के साथ थोड़ा सरसो की खल्ली खिालाएं। भूसा में 30 से 50 ग्राम नमक अवश्य मिलाएं। आहार देने के बाद उन्हें गुड़ मिलाकर पानी पिलाएं। उनके रख-रखाव की उत्तम व्यवस्था करें। जहां मवेशी रह रहे हैं, उस स्थल को टाट से घेरकर रखें। बीमार होने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करें। मवेशियों को ठंड से ऐसे करें बचाव - मवेशियों को जूट के बोरे पहनाएं। - गोशाला के फर्श पर पुआल बिछा दें। - गोशाला में किनारे अलाव जलाएं। - मवेशियों को सरसो का तेल पिलाएं। - जहां पशु रहते हैं उसे बोरे से घेर दें। - पीने के लिए गुनगुना पानी देना चाहिए। - धूप निकलने पर मवेशियों को बाहर बांधें। - गोशाला को गरम करने का इंतजाम करें। फोटो- 21 दिसंबर भभुआ- 4 कैप्शन- भभुआ शहर के वार्ड 19 स्थित एक गोशाला में शनिवार को धूप में बंधी गायें।

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