सुवरा नदी के पास उपेक्षित पड़ा है महात्मा बुद्ध का प्रवास स्थल (पेज चार की फ्लायर खबर)
बोधगया से सारनाथ की यात्रा के दौरान गौतम बुद्ध ने जहां विश्राम किया, वह स्थल वर्तमान में उपेक्षित है। इस जगह पर बौद्ध स्तूप की अवशेष हैं, लेकिन सुरक्षा और सुविधाओं की कमी है। स्थानीय लोगों का कहना है...
बोधगया से सारनाथ की यात्रा के दौरान गौतम बुद्ध ने विश्राम कर दिया था उपदेश जमीन की खुदाई कर महात्मा बुद्ध की स्फटिक की कीमती मूर्ति की कर ली थी चोरी भगवानपुर, एक संवाददाता। प्रखंड के मसही और गौरा गांव के मध्य सुअरा नदी के तट पर स्थित महात्मा बुद्ध का प्रवास स्थल उपेक्षित पड़ा हुआ है। इस स्थल पर पहुंचने के लिए बनी बनी कच्ची सड़क को अशोक पथ के नाम से जाना जाता है, जहां बौद्ध स्तूप है। बोधगया से सारनाथ की पदयात्रा के दौरान गौतम बुद्ध ने इसी स्थल पर प्रवास कर अपने शिष्यों को उपदेश दिया था। इसकी जानकारी काशी प्रसाद शोध संस्थान के पुरातत्वविद मानस रंजन मानवंश ने अपने शोध के दौरान भी करीब 10 वर्ष पहले दी थी। बौद्ध स्तूप का प्राचीन स्थल तब प्रकाश में आया था, जब वर्ष 1997 में जमीन का समतलीकरण करने की आड़ में तस्करों द्वारा भूमि की खुदाई कर बुद्ध की स्फटि की कीमती मूर्ति को नदी पारकर चुरा ली गई थी। यह खबर जब प्रशासन तक पहुंची, तब तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी रविंद्र सिंह पुलिस प्रशासन की मदद से उक्त स्थल पर पहुंचकर वहां से बौद्ध स्तूप के पड़े पत्थर की नक्काशी वाले स्तंभ तथा बुद्ध की एक खंडित मूर्ति को बरामद कर भगवानपुर थाना परिसर में लाया गया था। इस प्रशासनिक कार्रवाई के बाद आसपास ही नहीं जिले में इसकी चर्चा खूब हो रही थी। यह खबर ऑल इंडिया आकाशवाणी से भी प्रसारित की गई थी। बाद में उक्त प्राचीन स्थल को प्रशासन द्वारा घेराबंदी कर उसकी सुरक्षा के लिए गौरा गांव के एक पटना के रिश्तेदार को गार्ड नियुक्त कर दिया गया था। हालांकि वर्तमान समय में बौद्ध स्तूप स्थल की खूबसूरत दीवार बनाकर घेराबंदी कर दी गई है तथा उसमें लोहे का वृहद ग्रेट भी लगाया गया है। सुविधाओं की है कमी स्थानीय लोगों ने बताया कि इस प्राचीन स्थल पर गार्ड के रहने के लिए न कोई कमरा है और पेयजल, बिजली, वहां तक जाने के लिए पक्की सड़क है। बौद्ध स्तूप स्थल की घेराबंदी वाला गेट हमेशा खुला रहता है। यह स्थल उपेक्षित पड़ा हुआ है। अगर इसे व्यवस्थित कर दिया जाए, तो महात्मा बुद्ध के अनुयायी यहां भ्रमण करने, स्थल के महत्व की जानकारी लेने के उद्देश्य से आ सकते हैं। वैसे कैमूर में कई ऐसे स्थल है, जहां गौतम बुद्ध ने विश्राम किया था। प्राचीन है अशोक पथ प्रखंड के जानकारों सरैयां गांव डॉ. रामेश्वर सिंह, भगवानपुर के योगेंद्र प्रसाद सिंह, सरैयां के अशोक सिंह, रामप्रसाद सिंह उर्फ घुरहू सिंह ने बताया कि बुजुर्गों द्वारा बताया जा रहा था कि सरैयां पंचायत से होकर एक प्राचीन कच्ची सड़क निकली है, जिसे अशोक पथ के नाम से जाना जाता है। इसका उल्लेख आर्कियोलॉजिकल के नक्शे में भी है। जो कैमूर पहाड़ी की तलहटी से बोधगया से चांद प्रखंड के बौद्ध शिलालेख गुफा होते हुए उत्तर प्रदेश के सारनाथ को जोड़ता है। फोटो-16 दिसम्बर भभुआ- 4 कैप्शन- भगवानपुर प्रखंड के मसही और गौरा गांव के मध्य सुअरा नदी के तट पर स्थित उपेक्षित पड़ा महात्मा बुद्ध का प्रवास स्थल।
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