एक वर्ष में कैमूर के वायु गुणवत्ता सूचकांक में 43 की वृद्धि (पड़ताल पेज चार की लीड खबर)
कैमूर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 2023 में 133 से बढ़कर 2024 में 176 हो गया है। यह बढ़ता प्रदूषण मुख्यतः सड़क किनारे काम करने वाले मजदूरों, फुटपाथ दुकानदारों, और महिलाओं को प्रभावित कर रहा है। फेफड़ों,...
कैमूर में खुली जगह पर काम करनेवाले मजदूर, फुटपाथ दुकानदार, वाहन चालक, पुलिस, महिलाएं हो रही हैं प्रभावित वर्ष 2023 के नवंबर में 133 था व वर्ष 2024 में 176 एक्यूआई है फेफड़ा, बाल, चमड़ी, आंख, गला, नाक प्रभावित, फेस मास्क पहने एयर क्वालिटी इंडेक्स मानक 0-50 अच्छा 51-100 संतोषजक 101-200 सामान्य 201--300 खराब 301--400 अत्यंत खराब 401-500 गंभीर भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर के वायु गुणवत्ता सूचकांक में 43 की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023 के नवंबर माह में 133 एक्यूआई था। गुरुवार को 176 एक्यूआई है, जिसे सामान्य माना जाता है। फिर भी यह तीन सिगरेट पीने के बराबर है। जिले में पीएम 2.5 वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान 80 यूजी/एम 3 है। हालांकि कैमूर में वायु गुणवत्ता माप करने का यंत्र नहीं लगा है। सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने, जेनरेटर का उपयोग करने, निर्माण कार्य में सावधानी नहीं बरतने, गंदगी लगने, पराली व कचरा जलाने आदि से प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर व्यापारी, रिक्शा चालक, दिहाड़ी मजदूर, फुटपाथ दुकानदार, वाहन चालक, पुलिस, महिलाओं पर पड़ रहा है। प्रदूषण के कारण लोगों के शरीर के फेफड़ा, बाल, चमड़ी, आंख, गला, नाक प्रभावित हो रहे हैं। यह सब सड़क किनारे व खुली जगह काम करने की वजह से हो रहा है। अस्पतालों के ओपीडी में तकरीबन 30 प्रतिशत लोग इसी वर्ग के बीमार होकर आ रहे हैं। संपन्न लोग अपने घरों में एयर-कंडिशनर और एयर-प्योरिफायर जैसे यंत्र लगा रहे हैं। जिले का एक बड़ा वर्ग वायु प्रदूषण का सामना कर रहा है। कंबाइंड हार्वेस्टर मशीन जो फसल काटने के साथ-साथ धान निकालने का काम करती है, खेतों में नुकेले और बड़े डंठल पीछे छोड़ देती हैं। इसको जलाने से वायु प्रदूषण होता है, जिससे मानव अंग प्रभावित होते हैं। गांवों में घर के अंदर चूल्हे से होने वाला वायु प्रदूषण भी बड़ी समस्या है। इसका सबसे ज्यादा खमियाज़ा महिलाओं को भुगतान पड़ता है। अधौरा जैसे पहाड़ी इलाके में वर्षा आधारित खेती, पशुपालन व जंगलों पर निर्भर लोगों की जिंदगी पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। इस वजह से बढ़ रहा वायु प्रदूषण भूगोल शास्त्र के प्राध्यापक सोनू सिन्हा कहते हैं कि हवा को प्रदूषित बनाने में ओजोन का भी अहम रोल है। वाहन, बिजली संयंत्र, औद्योगिक बॉयलर, रिफाइनरियां, रासायनिक संयंत्रों और अन्य स्रोतों से उत्सर्जित होकर सूर्य के प्रकाश से प्रतिक्रिया करता है और हवा को प्रदूषित बना देता है। इस वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा के मरीज, बच्चे और बुजुर्ग के साथ बाहर काम करने वालों के लिए यह खतरनाक होता है। इन बीमारियों से पीड़ित हो रहे लोग सदर अस्पताल के उपाधीक्ष डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। आंखों में खुजली और जलन, नाक में सूखापन और खुजली, गले में खराश, खांसी, दमा या सांस लेने में परेशानी, टीबी, क्रोनिक ब्रोन्काइटिस, फेफड़े के ऊतकों को नुकसान, किडनी के डैमेज का खतरा, लिवर के टिश्यू को नुकसान, कार्डियोवस्कुलर डिजीज और यहां तक की कैंसर का खतरा हो सकता है। प्रदूषण का खतरनाक स्तर नाक, कान के जरिए हमारे ब्लड तक पहुंचता है। यह फेफड़े, हार्ट और सांस के लिए खतरनाक है। ऐसा करके रोकें वायु प्रदूषण कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमीत बताते हैं कि कैमूर में धान की कटनी शुरू हो गई है। जिन किसानों के खेतों में कृषि अवशेष रह जाते हैं, वह उसे भूलकर भी नहीं जलाएं। पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ने, उपज कम होने, मिट्टी की उर्वरा शक्ति का हा्रस होने का खतरा ज्यादा रहता है। किसानों को चाहिए कि जब खेतों में डंठल हो, तो वह उसकी जुताई कर उसमें पानी भर दें। कुछ दिनों में वह सड़-गलकर खाद बन जाएगा। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और वायु प्रदूषण का खतरा भी नहीं रहेगा। कोट कैमूर में वायु गुणवत्ता माप करने का यंत्र नहीं लगा है। जिले में फिलहाल वायु गुणवत्ता ज्यादा हानिकारक स्थिति में नहीं है। भवन निर्माण कार्य शुरू करने से पहले उसे किसी चीजे से कॉवर कर लें। सड़क निर्माण करते समय पानी का नियमित छिड़काव करें। खुली जगह पर कामकाज करनेवाले लोग फेस मास्क का उपयोग करें। सड़क किनारे लगे पेड़ के पत्तों पर संबंधित विभाग पानी का छिड़काव करे। चंचल प्रकाशम, डीएफओ, वन एवं पर्यावरण विभाग फोटो- 21 नवंबर भभुआ- 1 कैप्शन- भभुअ शहर के शहीद संजय सिंह महिला महाविद्यालय के पास गुरुवार को फुटपॉथ पर खरीद-बिक्री करते दुकानदार व ग्राहक।
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