कैमूर के सुगंधित चावल की दूसरे प्रदेशों में खूब है मांग (पेज चार की बॉटम खबर)
दिल्ली, कोलकाता, झारखंड और यूपी के व्यापारी कैमूर जिले के सुगंधित चावल की एडवांस बुकिंग करवा रहे हैं। जिले में 400 से अधिक चावल मिलें हैं, जहां से हर दिन अन्य राज्यों में चावल की ढुलाई होती है। कैमूर...
दिल्ली, कोलकाता, झारखंड, यूपी के व्यापारी करा रहे चावल की एडवांस बुकिंग जिले में 400 से अधिक चावल मिल से करते हैं ढुलाई, मेहमानवाजी के लिए खास भभुआ, हिन्दुस्तान संवाददाता। शाहाबाद क्षेत्र के ‘धान का कटोरा के नाम से चर्चित कैमूर जिले का सुगंधित चावल दूसरे प्रदेशों के डीनर टेबल पर खुश्बू बिखेर रहा है। यहां के सुगंधित चावल की मांग विभिन्न राज्यों में खूब होती है। जिले के किसान विभिन्न प्रजाति के साथ-साथ सुगंधित चावल की खेती भी बड़े शौक से करते हैं। जिले का कुछ खास इलाका सुगंधित चावल की खेती के लिए विख्यात है। कैमूर जिले में करीब 400 से अधिक चावल मिलें हैं। इन मिलों से मिलिंग किए गए हजारों क्विंटल चावल की ढुलाई हर दिन दूसरे प्रदेश के व्यापारी कराते हैं। सूत्रों की माने तो कैमूर के सुगंधित चावल की एडवांस बुकिंग उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कोलकाता, झारखंड, यूपी के अलावा अन्य राज्यों के व्यापारी करा रहे हैं। बुकिंग के हिसाब से व्यापारी इन राज्यों में चावल की आपूर्ति करते हैं। दूसरे राज्यों में चावल भेजने के लिए कैमूर जिले में भभुआ रोड स्टेशन पर माल गाड़ी का रेंक भी लगता है। जानकार सूत्र का कहना है कि जिले के किसान अपने लिए सालभर खाने के लिए घर में अनाज रखने के बाद अन्य आवश्यकताओं को पूर्ति करने के लिए बाजारों में धान व चावल बेच देते हैं। बताया जाता है कि कैमूर जिले के किसानों ने इस वर्ष 1.41 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की थी। कृषि विभाग के अफसर की माने तो इतनी हेक्टेयर भूमि में लगभग 98.70 लाख क्विंटल धान की उपज होने की संभावना है। इस आंकड़े का पता तब चला जब सांख्यिकी व कृषि विभाग द्वारा किसानों के खेतों में धान की फसल की क्रॉप कटिंग कराई गई। सांख्यिकी विभाग की क्रॉप कटिंग में एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 70 क्विंटल धान की उपज हुई है। ऐसे में कैमूर के किसानों ने इस बार लगभग 22 अरब 70 करोड़ 10 लाख रुपए के धान की उपज की है। मोकरी के चावल से अयोध्या में लगता है भोग भभुआ। कैमूर जिले के मोकरी गांव के गोविंदभोग चावल से अयोध्या में रामलला का भोग लगाया जाता है। यह चावल अपनी सुगंध और स्वाद के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी मशहूर है। मान्यता है कि इस चावल में खुशबू ज्यादा होने की वजह है कि पहाड़ पर स्थित एक मंदिर के रास्ते जड़ी-बूटी से स्पर्श कर पानी गांव में आता है। बारिश के समय पहाड़ी क्षेत्र से पानी रिसकर खेतों तक पहुंचता है, जिससे सिंचाई होती है। इस चावल की कीमत 5 से 6 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल है। यह चावल प्रवासी भारतीय भी विदेश में ले जाते हैं। इसके लिए उन्हें भी एडवांस बुकिंग करानी पड़ती है। कैमूर जिले के कुदरा में है सैकड़ों राइस मिलें भभुआ। कैमूर जिले के कुदरा व लालापुर राइस मिलों के हब के नाम से मशहूर है। यहां पर अरवा व उसना चावल की सैकड़ों राइस मिलों का प्लांट है। जानकार सूत्रों की माने तो कुदरा व लालापुर के राइस मिलों से देश के विभिन्न हिस्सों में चावल की सप्लाई की जाती है। कुदरा व लालापुर के अलावा भी जिले में अन्य स्थानों पर कई राइस मिलें हैं, जहां से बिहार के अलावा अन्य राज्यों में हर दिन चावल की सप्लाई की जाती है। फोटो-18 जनवरी भभुआ- 6 कैप्शन- भभुआ के बाईपास पथ में स्थित एक मिल में शनिवार को धान की कुटाई कर चावल निकालते मिलर।
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