अगले तीन चार दिनों तक चलेगी पछिया हवा, सताएगी ठंड
खोदावंदपुर में अगले 3 से 4 दिनों में पछिया हवा के चलने से ठंड बढ़ने की संभावना है। अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 10 से 13 डिग्री सेल्सियस रहेगा। कृषि वैज्ञानिकों ने रब्बी फसल की...
खोदावंदपुर, निज संवाददाता। अगले तीन से चार दिनों की अवधि में 3 से 7 किमी प्रति घण्टा की रफ्तार से पछिया हवा चलने का अनुमान है, जिसके कारण ठंड में एक बार फिर से बृद्धि होने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम व न्यूनतम तापमान में काफी अंतर रहेगा। ग्रामीण कृषि मौषम सेवा, कृषि मौषम विभाग, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के द्वारा जारी मौषम के पूर्वानुमान में यह जानकारी दी गई है। जारी पूर्वानुमान के अनुसार अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 10 से 13 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। जारी पूर्वानुमान के अनुसार सुबह की आर्द्रता 85 से 95 प्रतिशत व दोपहर की आर्द्रता 50 से 60 प्रतिशत रह सकती है। मौषम में बदलाव को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने रब्बी फसल की विशेष निगरानी करने की सलाह किसानों को दिया है। अरहर पौधों में लगने वाले तना छेदक व फल छेदक कीट के उन्मूलन के लिए किसानों को 1.5 मिली लीटर करताप हाइड्रोक्लोराइड दवा एक लीटर पानी के घोल में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करने की सलाह दिया है। पिछात गेहूं फसल में जिंक की कमी से होने वाले पौधों के पीलापन को दूर करने के लिए 2.5 किलो ग्राम जिंक सल्फेट,1.25 किलोग्राम बुझा हुआ चुना एवं 12.5 किलोग्राम यूरिया के मिश्रण को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है। इस फसल में दीमक कीट का प्रकोप दिखाई देने पर उससे बचाव के लिए क्लोरपायरीफांस 20 ई सी दवा 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर सन्ध्या के समय खेत में छिड़काव कर सिंचाई करने की सलाह दी गई है। विलम्ब से बोई गई दलहनी की फसलों में 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार करने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों ने दी है। मटर की फसल में होने वाले चूर्णिल फफूंदी रोग से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने 1 मिली लीटर कैराथेन दवा को 1 लीटर पानी के घोल के साथ अथवा 3 ग्राम सल्फेक्स दवा को प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर इसका छिड़काव करने की सलाह दी है। आलू में लगने वाले झुलसा रोग से बचाव के लिए 1.5 ग्राम रिडोमिल दवा प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। चने की फसल में सुंडी कीट से बचाव के लिए 1 मिली लीटर स्पेनोसेड दवा प्रति 3 लीटर पानी का घोल बनाकर उसका छिड़काव करने की सलाह दी गई है। कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की फसल में लाही कीट से बचाव के लिए 30 ई सी 1मिली लीटर डाईमेथोएट दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधों पर इसका छिड़काव करने की सलाह दिया है। मिर्च के पौधों को थ्रिप्स कीट से बचाने के लिए 17.8 ई सी 1 मिली लीटर इमिडक्लोप्रीड दवा प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर इसका छिड़काव मिर्च के पौधों पर करने की सलाह दी है।
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