प्याज व मटर में कीटों की निगरानी करें किसान: कृषि वैज्ञानिक
लगातार बदल रहा है मौसम, सुबह-शाम ठंड तो दिन में लग रही गर्मी ही गर्मी मौसम में बदलाव से रोगाणुओं के पनपने का मंडरा रहा खतरा सिंघौल, निज संवाददाता। फरवरी के तीसरे सप्ताह
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सिंघौल, निज संवाददाता। फरवरी के तीसरे सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में सुबह-शाम ठंड तो दिन में तेज गर्मी का एहसास हो रहा है। मौसम में हो रहे रोजाना परिवर्तन के कारण जहां लोग प्रभावित हो रहे हैं वहीं खेतों में लगी फसल भी इससे अछूता नहीं है। यह मौसम फसलों में लगने वाले कीटों व रोगाणुओं को लिए उपयुक्त माना जाता है। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा डा. आर. पी.सी.ए.यू, पूसा, समस्तीपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 15-19 फरवरी, 2025 तक के पूर्वानुमान के अनुसार उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल आ सकते है। हालांकि मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है। इस अवधि में अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान में बढ़ोत्तरी के साथ अधिकतम तापमान 24 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच एवं न्यूनतम तापमान 11 से 14 डिग्री सेल्सियस बीच रह सकता है।15 फरवरी को सतही हवा की रफ्तार ज्यादा रह सकती है उसके बाद औसतन 6-8 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से अगले एक-दो दिनों तक मुख्य रूप से पछिया हवा तथा उसके बाद पूरवा हवा का अनुमान है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिशत तथा दोपहर में 50 से 60 प्रतिशत रहने की संभावना है। प्याज व मटर में कीटों की करें निगरानी पूसा स्थित कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किए हैं। इसके अनुसार प्याज में थ्रिप्स कीट की देख-रेख करें। थ्रिप्स प्याज को नुकसान पहुंचाने वाला मुख्य कीट है। यह आकार में अतिसूक्ष्म होता है तथा यह पत्तियों की सतह पर चिपक कर रस चूसते है जिससे पत्तियों पर दाग दिखाई देते हैं जो बाद में हल्के सफेद हो जाते हैं। थ्रिप्स की संख्या अधिक पाये जाने पर प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. दवा का एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड दवा का एक एमएल प्रति 4 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। अच्छे परिणाम के लिए चिपकाने वाला पदार्थ जैसे टीपोल 10 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से घोल में मिलायें। प्याज में निकाई गुढ़ाई एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। वहीं मटर में फली छेदक कीट की निगरानी करें। इस कीट के पिल्लू फलियों में जालीनुमा आवरण बनाकर उसके नीचे फलियों में प्रवेश कर अन्दर ही अन्दर मटर के दानो को खाती रहती हैं। एक पिल्लू एक से अधिक फलियों को नष्ट करता है। फलियां खाने योग्य नहीं रह जाती, जिससे उपज में अत्यधिक कमी आती है। कीट प्रबन्धन हेतु प्रकाश फंदा का उपयोग करें। 15-20 टी आकार का पंछी बैठका (वर्ड पर्चर) प्रति हेक्टर लगावें। अधिक नुकसान होने पर क्वीनालफास 25 ई.सी. या नोवाल्युरॉन 10 ई.सी. का एक एमएल प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
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