आदित्य का शव पहुंचते ही बीहट में मचा कोहराम
पेज 3::::::के छात्र आदित्य की हो गई मौत परिजनों के क्रंदन से माहौल हुआ गमगीन, ढांढ़स बंधाने जुटी लोगों की भीड़ बीहट, निज

बीहट, निज संवाददाता। चचेरे चाचा के साथ सिमरिया में गंगा स्नान के क्रम में शुक्रवार को बीहट गुरुदासपुर टोला (वार्ड-33) निवासी कुंदन सिंह के 18 वर्षीय पुत्र आदित्य कुमार की डूबने से मौत हो गई। करीब छह घंटे के बाद आदित्य का शव नदी से बाहर निकाला जा सका। आदित्य बेगूसराय पॉलिटेक्निक का छात्र था। उसके डूबने की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया। परिजनों के क्रंदन से मुहल्ले का माहौल गमगीन हो गया। आदित्य अपने चचेरे चाचा आर्मीमेन बमबम कुमार के साथ गंगा स्नान कर रहा था। तभी चाचा ने आदित्य को डूबते देख हल्ला करना शुरू किया गया। गंगा तट पर मौजूद एसडीआरएफ की टीम तमाशबीन बनी रही। परिजनों ने जब गंगा तट पर मौजूद एसडीआरएफ से सर्च अभियान चलाने की मांग की तो एसडीआरएफ के अधिकारी ने पेट्रोल नहीं रहने के कारण सर्च अभियान चलाने में असमर्थता जाहिर की। गोताखोर ने भी थोड़ी ही देर में ऑक्सीजन खत्म होने की बात कहकर सर्च अभियान को रोक दिया। खरीब दो घंटे के बाद परिजनों के द्वारा पेट्रोल देने तथा गोताखोर को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध होने पर सर्च अभियान चला और करीब चार घंटे के सर्च अभियान के बाद डूबे आदित्य के शव को बाहर निकाला जा सका। चकिया थाना की पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय भेज दिया है। घटना की सूचना मिलने पर तेघड़ा विधायक रामरतन सिंह, सदर एसडीएम राजीव कुमार, सीओ सूरजकांत समेत अन्य लोग पहुंचे और तब जाकर सर्च अभियान शुरू किया गया। समय पर बचाव की पहल होती तो बच सकती थी आदित्य की जान पीड़ित परिवार के लोगों का कहना है कि एसडीआरएफ अगर तत्क्षण कार्रवाई करता तो संभव था कि आदित्य की जान बच जाती। सिमरिया धाम में गंगा स्नान के दौरान डूबने से आदित्य की मौत को लेकर परिजनों तथा बीहट के ग्रामीणों ने एसडीआरएफ पर तमाशबीन बने रहने का आरोप लगाया है। मृतक के चचेरे चाचा नीरज कुमार, ग्रामीण वरुण कुमार, संजय कुमार आदि ने बताया कि आदित्य को डूबते देख उसके चाचा बमबम ने हल्ला किया। ठीक सामने एसडीआरएफ की टीम मौजूद थी लेकिन टीम तमाशबीन बनी रही। परिजनों ने जब सर्च अभियान चलाने का आग्रह किया तो बोट के लिए पेट्रोल नहीं रहने की बात कही गई। परिजनों ने कहा कि जब गंगा तट पर डूबते को बचाने के लिए एसडीआरएफ तथा गोताखोर तैनात हैं तो उन्हें जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। जब संसाधन ही नहीं तो फिर गंगा घाट पर एसडीआरएफ या फिर गोताखोरों की तैनाती का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अक्सर जब कोई सिमरिया धाम में गंगा स्नान के क्रम में डूबता है तो सर्च अभियान के लिए पीड़ित परिवार के लोगों को ही पेट्रोल देना पड़ता है।
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