बोले बेगूसराय: नर्सरी से जुड़े लोगों को मिले प्रशिक्षण और आर्थिक मदद
नर्सरी उद्योग पर्यावरण संरक्षण, हरियाली और सौंदर्य के लिए महत्वपूर्ण है। पौधों की मांग बढ़ने के साथ नर्सरी संचालकों को परिवहन में नुकसान, जलवायु प्रभाव और उच्च लागत जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
नर्सरी उद्योग पर्यावरण संरक्षण, हरियाली और सौंदर्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। घरों, कार्यालयों और बगीचों को सजाने के साथ यह शुद्ध हवा, तनाव मुक्ति और औषधीय लाभ भी प्रदान करता है। बढ़ती जागरूकता से पौधों की मांग बढ़ रही है, लेकिन परिवहन में नुकसान, जलवायु प्रभाव और रखरखाव की उच्च लागत नर्सरी संचालकों के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। यदि सरकार से सब्सिडी व आधुनिक तकनीकों का समर्थन मिले, तो यह उद्योग और तेजी से विकसित हो सकता है। जब भी हमारे घरों और बगीचों को सजाने की बात आती है, तो सबसे पहले हमारा ध्यान खूबसूरत पौधों और रंग-बिरंगे फूलों की ओर जाता है। हरियाली से घिरे घर न सिर्फ देखने में सुंदर लगते हैं, बल्कि यह हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं। बदलते दौर में लोग अपने घरों, बालकनियों, छतों और बगीचों को सजाने के लिए नर्सरी की ओर रुख कर रहे हैं। नर्सरी से खरीदे गए छोटे-छोटे पौधे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और घरों को एक नई सुंदरता और पहचान देते हैं। इन खूबसूरत पौधों को हम तक पहुंचाने में नर्सरी संचालकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें पौधों को विकसित करने, उनकी देखभाल व उपचार करना और उन्हें सही हालत में ग्राहकों तक पहुंचाना शामिल है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं।
जिले के रोसरा-मंझौल पथ मोहनपुर में स्थित क्यारी नर्सरी के संचालक संजीव कुमार बताते हैं कि हमारे नर्सरी में करीब पांच सौ प्रकार के फूल, फल, शो प्लांट, इमारती लकड़ी और औषधीय गुण वाले पौधे उपलब्ध हैं। साथ ही, रखरखाव, उपचार और गार्डनिंग संबंधी सभी प्रकार की सामग्री व उपकरण भी यहां मिलते हैं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हरियाली से घिरा घर एक सुकून भरी जगह होती है। पौधे न केवल घर की सुंदरता बढ़ाते हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं। ये हवा को शुद्ध करते हैं, वातावरण को ठंडा रखते हैं और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं। कई शोधों में यह साबित हुआ है कि जो लोग पौधों के बीच समय बिताते हैं, वे ज्यादा खुश और तनावमुक्त रहते हैं।
संजीव कुमार बताते हैं कि जिले में नर्सरी उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसकी राह में कई मुश्किलें हैं। एक बड़ी समस्या यह है कि अधिकतर नर्सरी संचालक पश्चिम बंगाल से फूलों, फलों और इमारती लकड़ी के पौधे लाते हैं। इस सफर के दौरान इन पौधों का एक बड़ा हिस्सा रास्ते में ही खराब हो जाता है। लंबी यात्रा के दौरान उचित देखभाल की कमी और मौसम की मार के कारण कई पौधे दम तोड़ देते हैं। यह नुकसान नर्सरी संचालकों के लिए बहुत भारी पड़ता है, क्योंकि पौधों के खराब हो जाने से उनकी लागत बढ़ जाती है और मुनाफा कम हो जाता है। जो पौधे सही-सलामत बचते हैं, वे थोड़े महंगे हो जाते हैं, जो आम ग्राहकों के बजट को प्रभावित करता है। रास्ते में पौधों को पानी, धूप, हवा और तापमान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। कई बार तेज धूप में पौधे मुरझा जाते हैं, तो कभी ज्यादा ठंड से उनकी जड़ें खराब हो जाती हैं। बारिश के मौसम में नमी की वजह से पौधों में फंगस लगने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, अगर सही पैकिंग न हो, तो पौधों की टहनियां टूट जाती हैं और मिट्टी उखड़ जाने का भी खतरा रहता है। इन सभी समस्याओं के बावजूद हमारी हर संभव कोशिश रहती है कि ग्राहकों को बेहतरीन और उन्नत किस्म के पौधे मिलें। लेकिन इन कठिनाइयों को हल करने के लिए एक स्थायी समाधान निकालना जरूरी है। संजीव कुमार का मानना है कि अगर नर्सरी संचालकों को पौधों की ग्राफ्टिंग तैयार करने, बोनसाई सहित आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाए, तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है। ग्राफ्टिंग से स्थानीय स्तर पर ही अच्छी किस्म के पौधे तैयार किए जा सकते हैं, जिससे बाहरी स्थानों से पौधे मंगाने की जरूरत कम होगी। बोनसाई एक जापानी कला है, जो न केवल पौधों को आकर्षक बनाती है, बल्कि छोटे स्थानों में भी हरे-भरे पेड़ उगाने की सुविधा देती है। इसके अलावा, नर्सरी संचालकों को सरकारी सहायता और अनुदान मिलना चाहिए, जिससे वे अपने व्यवसाय को बेहतर बना सकें। पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस जैसी संरचनाएं बहुत जरूरी हैं, जो पौधों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करती हैं। ड्रिप सिंचाई प्रणाली की मदद से पानी की बचत होती है और पौधों को आवश्यकतानुसार नमी मिलती है। इससे उनकी गुणवत्ता बनी रहती है और खराब होने की संभावना भी कम हो जाती है। अगर स्थानीय स्तर पर कृषि उद्योग विभाग की ओर से ये सारे उपकरण मुहैया कराए जाएं, तो हमें काफी मदद मिलेगी।
किसानों की तरह नर्सरी संचालकों को भी मिले सब्सिडी व प्रशिक्षण
मीरगंज स्थित नर्सरी संचालक सुधीर कुमार, जो पिछले कई वर्षों से नर्सरी व्यवसाय से जुड़े हैं, बताते हैं कि पौधों को विकसित करना एक कला के साथ-साथ धैर्य और मेहनत का काम भी है। वह कहते हैं कि नर्सरी चलाना सिर्फ पौधों को उगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी सही मार्केटिंग और ग्राहकों तक बेहतर सेवा पहुंचाना भी जरूरी है। आजकल लोग सिर्फ फूलों और सजावटी पौधों में ही नहीं, बल्कि एयर प्यूरीफाइंग और मेडिसिनल पौधों में भी रुचि दिखा रहे हैं। एलोवेरा, तुलसी, नीम, गिलोय जैसे औषधीय पौधों की मांग तेजी से बढ़ी है। नर्सरी व्यवसाय में मौसमी चुनौतियां सबसे बड़ी बाधा हैं। गर्मियों में पौधों की सिंचाई का सही प्रबंधन जरूरी होता है, क्योंकि अधिक तापमान में मिट्टी जल्दी सूख जाती है और पौधे मुरझा जाते हैं। वहीं, सर्दियों में पाला गिरने से पौधों को नुकसान होता है। हमें पॉलीहाउस और शेडनेट जैसी संरचनाओं की जरूरत पड़ती है, लेकिन छोटे नर्सरी संचालकों के लिए यह काफी महंगा साबित होता है। सुधीर कुमार बताते हैं कि ग्राहकों की पसंद बदल रही है। पहले लोग सिर्फ बड़े पेड़-पौधे खरीदते थे, लेकिन अब वे मिनिएचर गार्डनिंग और इंडोर प्लांट्स में ज्यादा रुचि लेने लगे हैं। स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, स्पाइडर प्लांट जैसे पौधे घरों और दफ्तरों के लिए लोकप्रिय हो रहे हैं। अगर सरकार नर्सरी व्यवसाय को कृषि क्षेत्र की तरह समर्थन दे, तो यह उद्योग और तेजी से आगे बढ़ सकता है। किसानों की तरह नर्सरी संचालकों को भी सब्सिडी और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, ताकि वे आधुनिक तकनीकों को अपना सकें और अपने व्यवसाय को मजबूत कर सकें।
सुझाव:
1.ग्राफ्टिंग व बोनसाई के लिए प्रशिक्षण दिया जाए इससे बाहरी पौधों पर निर्भरता कम होगी।
2.नर्सरी उद्योग को कृषि की तरह सब्सिडी व प्रशिक्षण दिया जाए।
3. पौधों के परिवहन के लिए आधुनिक पैकिंग व लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देना होगा।
4. बिक्री बढ़ाने के लिए वेबसाइट व सोशल मीडिया को प्राथमिकता देता होगा।
5.ड्रिप सिंचाई व ग्रीनहाउस तकनीक से पानी की बचत के साथ ही पौधे को स्वस्थ रखी जा सकती है।
समस्याएं
1. लंबे सफर में पौधों का खराब होना बड़ा नुकसान पहुंचाता है।
2.अत्यधिक गर्मी, ठंड या बारिश से पौधों की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
3.पॉलीहाउस व ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीकें छोटे व्यवसायियों के लिए महंगी हैं।
4.बड़े नर्सरी संचालकों के आगे छोटे उद्यमियों को कठिनाई होती है।
5. नर्सरी उद्योग को कृषि की तरह पर्याप्त सब्सिडी व प्रशिक्षण नहीं मिल रहा।
उभरा दर्द
छोटे नर्सरी संचालकों के लिए पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस जैसी संरचनाएं महंगी हैं, इसमें सहायता मिलनी चाहिए। इससे पौधों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
-संजीव कुमार, क्यारी नर्सरी
पौधों को दूर-दराज से लाने में भारी नुकसान होता है, जिससे लागत बढ़ जाती है और ग्राहकों के लिए कीमतें भी महंगी हो जाती हैं। सरकार को पौधों के सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था करनी चाहिए।
सनातन कुमार
आधुनिक तकनीकों जैसे ग्राफ्टिंग, बोनसाई और हाइड्रोपोनिक्स का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि स्थानीय स्तर पर बेहतर पौधे तैयार किए जा सकें। इससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और व्यवसायिक लाभ मिलेगा।
जितेन्द्र कुमार
ड्रिप इरिगेशन और ऑटोमैटिक सिंचाई की सुविधा मिले, जिससे पानी की बचत हो और पौधे उचित नमी प्राप्त कर सकें। जल संसाधन के कुशल उपयोग से उत्पादन लागत भी घटेगी।
शिव कुमार पाठक
नर्सरी के पौधों को कीटों और फंगस से बचाने के लिए उचित जैविक कीटनाशकों और उपचार की सुविधा मिलनी चाहिए। जैविक विधियों को अपनाने से पर्यावरण को भी लाभ होगा।
अखिलेश कुमार
किसानों की तरह नर्सरी संचालकों को भी सब्सिडी मिले, जिससे वे अपनी नर्सरी का विस्तार कर सकें। इससे नए उद्यमियों को भी प्रेरणा मिलेगी और हरित क्षेत्र बढ़ेगा।
मो.दाउद
गर्मी, सर्दी और बारिश के कारण पौधे खराब हो जाते हैं, जिससे बचाव के लिए उचित संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। जलवायु अनुकूल तकनीकों को अपनाने से नुकसान को कम किया जा सकता है।
सत्यदीप कुमार
छोटे नर्सरी संचालकों के लिए एक समर्पित मार्केटिंग चैनल बने, जिससे वे सीधे ग्राहकों तक पहुंच सकें। इससे उनके उत्पादों को उचित मूल्य मिलेगा और बिचौलियों की भूमिका घटेगी।
शंकर कुमार
स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता वाले बीज और पौध उपलब्ध कराए जाएं, ताकि बाहरी निर्भरता कम हो। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बढ़ेगा और उत्पादन लागत घटेगी।
राजीव कुमार
नई और आकर्षक किस्मों के पौधों पर रिसर्च को बढ़ावा मिले, जिससे अधिक ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। इससे नर्सरी व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और वैश्विक बाजार तक पहुंच बनेगी।
राजदीप कुमार
बैंक और सरकार से नर्सरी व्यवसाय के लिए विशेष लोन और वित्तीय सहायता की सुविधा दी जाए। इससे छोटे नर्सरी संचालकों को भी अपने व्यवसाय को बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
मानिक कुमार
नर्सरी संचालकों को शहरों में ग्रीन स्पेस विकसित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए। इससे प्रदूषण कम होगा और शहरों में हरियाली को बढ़ावा मिलेगा।
विद्यासागर
सरकारी स्तर पर एक प्लेटफॉर्म बनाया जाए, जहां नर्सरी संचालक अपने पौधे ऑनलाइन बेच सकें। इससे दूर-दराज के ग्राहक भी आसानी से पौधे खरीद सकेंगे।
पवन कुमार
पौधों के सुरक्षित परिवहन के लिए विशेष अनुदान मिले, जिससे नुकसान को कम किया जा सके। इससे ताजे और स्वस्थ पौधे ग्राहकों तक पहुंच पाएंगे।
सुधीर कुमार
उचित दर पर आधुनिक बागवानी उपकरण और जैविक खाद उपलब्ध कराई जाए। इससे नर्सरी संचालकों की उत्पादन क्षमता और कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
प्रेम कुमार
नर्सरी के पौधों को बाढ़, आंधी और ओलावृष्टि से बचाने के लिए सुरक्षा उपायों की व्यवस्था हो। इससे अप्रत्याशित नुकसान को कम किया जा सकेगा।
मो.असलम
सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और संस्थानों में स्थानीय नर्सरी के पौधों को प्राथमिकता दी जाए। इससे स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा मिलेगा और व्यवसाय में स्थिरता आएगी।
राम मनोज साह
नर्सरी संचालकों को पर्यावरण सुधार में योगदान देने के लिए कार्बन क्रेडिट जैसी योजनाओं से जोड़ा जाए। इससे हरियाली बढ़ेगी और व्यवसाय को आर्थिक लाभ भी मिलेगा।
लाल बहादुर
हमें जब भी तुलसी एलोवेरा गिलोय के पौधों की आवश्यकता पड़ती है तो हम स्थानीय नर्सरी की ओर रुक करते हैं। नर्सरी संचालकों को सुविधा मिलनी चाहिए।
-क्रांति देवी, ग्राहक
सरकार को नर्सरी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए एक समर्पित नीति बनानी चाहिए। इससे यह उद्योग संगठित होगा और दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित होगा।
-कैलाश महतो, ग्राहक
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