मुंगेर के श्रीकृष्ण सेवा सदन से शुरू होगी नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा
रहुत सड़क का मुंगेर-रसीदपुर पथ एक बार फिर नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा का गवाह बनेगा। स्वतंत्रता संग्राम में...
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह द्वारा बसाया गया साहेबपुरकमाल प्रखंड का श्रीनगर गांव व क्षेत्र स्थित अवध-तिरहुत सड़क का मुंगेर-रसीदपुर पथ एक बार फिर नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा का गवाह बनेगा। स्वतंत्रता संग्राम में नमक सत्याग्रह आंदोलन के दौरान बिहार में श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व मुंगेर से गढ़पुरा तक ऐतिहासिक सत्याग्रह यात्रा कर नमक कानून तोड़ने की याद में गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति की ओर से हर साल 17 से 21 अप्रैल तक की जाने वाली पदयात्रा इस वर्ष भी मुंगेर स्थित श्रीकृष्ण सेवा सदन से शुरू होगी।
पदयात्रा को लेकर नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति सदस्यों ने श्रीनगर, फुलमलिक, रघुनाथपुर, शालिग्रामी, समस्तीपुर, पंचवीर, सनहा आदि गांवों में जनसंपर्क कर सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों से पदयात्रा में शामिल होने की अपील की। समिति के राष्ट्रीय महासचिव राजीव कुमार ने बताया कि पदयात्रा के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों व बुद्धिजीवियों से संपर्क कर उन्हें विशेष तौर पर इसमें शामिल होने की अपील की जा रही है। उन्होंने बताया कि बिहार शताब्दी वर्ष व बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह की 125वीं जयंती के अवसर पर शुरू की गई यह पदयात्रा ऐतिहासिक व गौरवशाली होने के साथ ही अनूठी भी है।
समिति के सदस्यों ने बताया कि चुनाव आचार संहिता के कारण इस बार पदयात्रा वर्ष 2014 की तरह सांकेतिक तौर पर आयोजित करने की योजना है। पदयात्रा मुंगेर स्थित श्रीकृष्ण सेवा सदन से शुरू होगी जो साहेबपुरकमाल के श्रीनगर, शालिग्रामी, खरहट, समस्तीपुर, बलिया, सदानंदपुर, रहाटपुर, सफापुर, बेगूसराय, मंझौल होते हुए गढ़पुरा पहुंचकर संपन्न होगी।
मौके पर समिति के सुशील सिंघानिया, रमेश महतो, संजीव पोद्दार, मुकेश बिक्रम यादव, डोमन महतो, सुरेन्द्र वर्मा, संजीवन पोद्दार आदि थे। इधर, पदयात्रा को लेकर श्रीनगर गांव के बुजुर्गों में अभी से ही गजब का उत्साह है। वे इस पदयात्रा में शामिल भी होना चाहते हैं। गांव निवासी रामनिवास यादव, अजय भारती, मुकेश यादव, सुबोध यादव, सुरेश यादव आदि बताते हैं कि इस गांव के लोग जब गंगा के कटाव के कारण विस्थापन का दंश झेल रहे थे तब श्रीबाबू ने ही तत्कालीन जमींदारों से बात कर इस गांव को यहां बसाया था। लेकिन, दुःख की बात यह है कि तब से अब तक किसी भी सरकार ने इस गांव की सुधि नहीं ली। लोगों का कहना था कि उपेक्षा का शिकार बना यह गांव आज भी एक पक्की सड़क के लिए तरस रहा है। गांव के विद्यालयों की स्थिति भी दयनीय है।
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