कब से लोहा काट रहे हैं कागज के इन तलवारों से...
अगर कभी लड़खड़ा कर गिरी भी, तो अपनी वजह से... ये पंक्ति बरौनी प्रखंड के रूपनगर गांव में कवि रामावतार यादव शक्र के जयंती समारोह के मौके पर शनिवार को...
अगर कभी लड़खड़ा कर गिरी भी, तो अपनी वजह से... ये पंक्ति बरौनी प्रखंड के रूपनगर गांव में कवि रामावतार यादव शक्र के जयंती समारोह के मौके पर शनिवार को नवोदित कवियत्री रूपम गौतम ने सुनाईं। कवि अशांत भोला ने कब से लोहा काट रहे हैं कागज के इन तलवारों से...कविता से खूब वाहवाही बटोरी।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे जनकवि दीनानाथ सुमित्र ने खत लिखा है तेरे नाम से दर्द अपना बयां किया...सुनाकर तालियां बटोरीं। बरौनी बीडीओ ओम राजपूत ने रात अभी जारी है, अब किसकी बारी है...से देश में लेखकों व महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को चित्रित किया। शबनम कुमारी ने देश में नेता से बढ़कर कौन है बड़ा बेईमान... सुनाई। शंकर राय ने अब तो मैं उम्रदराज हूं, अब तो मुझमें कुछ बचा ही नहीं ....कविता सुनाई। कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से एक ओर महिलाओ पर हो रहे अत्याचार का विरोध किया तो दूसरी ओर देश में फैल रही बेरोजगारी व भ्रष्टाचार को लेकर नेताओं पर जमकर प्रहार किया। संचालन संजीव फिरोज ने किया। स्वागत भाषण प्रवीण प्रियदर्शी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पूर्व मुखिया रामानुज सिंह ने किया।
कवि सम्मेलन में विनोद बिहारी, बबलू दिव्यांशु, मैथिली कवि श्यामनंदन निशाकर, नेहा कुमारी, राहुल शिवाय, रामकृष्ण, नवीन कुमार, रामानंद प्रसाद यादव, शंकर राय, विद्यासागर ठाकुर ने भी काव्य पाठ से दर्शकों का मन मोह लिया। मौके पर गंगाधर पासवान, उदयकांत यादव, प्रभु साह, सुजीत कुमार, अशोक पासवान, वकील रजक, मोहन साह, राज नंदनी, कृष्ण नंदन कुमार, बिकेश, अजीत, राज कुमार आदि थे।
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