सनातन धर्म ही भारत राष्ट्र की आत्मा: डॉ. धनाकर ठाकुर
सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ सिमारिया धाम के ज्ञान मंच पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन वक्ताओं ने रखे विचार
सिमरिया धाम, एक संवाददाता। सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ सिमारिया धाम के ज्ञान मंच पर स्वामी चिदात्मन वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन बुधवार को राष्ट्रीय चेतना की समृद्धि में सनातन धर्म का अवदान विषय पर अतिथियों ने प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि अंतर राष्ट्रीय मैथिली परिषद के संस्थापक डॉ. धनाकर ठाकुर ने कहा कि सनातन धर्म ही भारत राष्ट्र की आत्मा है। इसे ऋषियों और कवियों ने युग युग से संजोया है। डॉ. जनार्दन चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना और सनातन धर्म में एक खास अभिन्नता दिखाई पड़ती हैं, जो मिथिला बनाम विद्यापति के साहित्य में है। डॉ. राम पुनीत झा ने कहा कि विद्यापति एक प्रसिद्ध कवि हैं। श्याम बाबू ने कहा कि सनातन ही संस्कार, धर्म, कर्म और मर्म की जननी है। राज किशोर ने कहा कि महाकवि विद्यापति मिथिला संस्कृति की मधुर भाव, उसकी विस्तारित जनमानस में स्तुति और राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में अपनी महती योगदान को अंतिम दम तक करते रहे। प्रो. अवधेश कुमार झा ने कहा कि आज हम विश्व शांति के लिए राष्ट्र कल्याण के लिए महाकवि विद्यापति जी का स्मृति पर्व मना रहे हैं। प्रो. झा ने सनातन धर्म को मानव से मानव को जोड़ने वाला बताया। सर्वमंगला के व्यवस्थापक रविन्द्र ब्रह्मचारी ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन संस्थान के सचिव सत्यानंद तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. पीके. झा प्रेम ने किया। इस अवसर पर नारायण झा, संस्थान के निदेशक डॉ. विजय कुमार झा, सर्वमंगला परिवार के श्याम सनातन, राम भारद्वाज, लक्ष्मण, सदानंद, रंजना जी, दिनेश झा, विपिन समेत अन्य लोग उपस्थित थे। वही तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिन संस्थान से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका अम्बरमणि शक्ति अंक का लोकार्पण अतिथियों के द्वारा किया गया था।
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