भाई के दीर्घायु जीवन के लिए बहन करती हैं सामा-चकेवा की पूजा
छठ पर्व संपन्न होते ही मंसूरचक बाजार में सामा-चकेवा की मूर्तियों की बिक्री जोरों परकार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलने वाले इस लोकपर्व पर महिलाओं के गीत से गुंजायमान रहता है इलाका ...
मंसूरचक, निज संवाददाता। लोक आस्था का महापर्व छठ के समापन होने के साथ ही मिथिला का प्रसिद्ध लोक पर्व सामा चकेवा शुरू हो गया है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलने वाले इस लोक पर्व के दौरान महिलाएं सामा चकेवा की मूर्तियों के साथ सामूहिक रूप से गीत गाती हैं। कहा जाता है कि सामा भगवान श्रीकृष्ण की पुत्री सामा और सांब पुत्र थे। सामा को घूमने में मन लगता था इसलिए वह अपनी दासी दिहुली के साथ वृंदावन में जाकर ऋषियों के साथ खेलती थी। यह बात दासी को रास नहीं आयी। उसने सामा के पिता से इसकी शिकायत कर दी। आक्रोश में आकर कृष्ण ने उसे पक्षी होने का श्राप दे दिया। इसके बाद सामा पक्षी का रूप लेकर वृंदावन में रहने लगी। इस वियोग में ऋषि-मुनि भी पक्षी बनकर उसी जंगल में विचरण करने लगे। कालांतर में सामा के भाई सांब अपनी बहन की खोज की तो पता चला कि निर्दोष बहन पर पिता के श्राप का साया है। उसके बाद उसने अपने पिता की तपस्या शुरु कर दी। भगवान श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर नौ दिनों के लिये उसके पास आने का वरदान दिया। सामा ने उसी दिन से अपने भाई के दीर्घायु की कामना लेकर बहनों को पूजा करने का आशीर्वाद दिया। इधर, क्षेत्र के समसा, मकदमपुर, विजैया, कस्टोली, आगापुर, गोविन्दपुर, साठा, हवासपुर, छविलापुर, अहियापुर सहित जिले के ग्रामीण इलाकों में उक्त पर्व को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। बछवाड़ा प्रखण्ड क्षेत्र के नारेपुर, झमटिया, श्रवणटोल, जहानपुर, भरौल सहित करीब दर्जन भर गांव में तथा सीमावर्ती समस्तीपुर जिले के सोहिलवाड़ा मंदा मकदमपुर, सांखमोहन, शाहपुर, सुरौली, कामराइन सहित करीब दर्जनभर गांवों के लोग मंसूरचक बाजार से सामा चकेवा की मूर्तियां ले जाकर परंपरागत ढंग से पर्व मनाते हैं। छठ पर्व के समापन के बाद से मंसूरचक बाजार में सामा-चकेवा की मूर्तियां खरीदने के लिये दिनभर महिलाओं और लड़कियों की भीड़ बाजार में देखी जा रही है। सामा-चकेवा की मूर्तियां बाजार में 100 से 250 रुपये तक बिक रही है। कुम्हारों के यहां सामा चकेवा की मूर्ति की खरीदारी करने में युवतियों की भीड़ लगी रही। मूर्ति खरीदने के बाद लड़कियों ने बताया कि रात में अपने दरवाजे पर सामूहिक रुप से सामा चकेवा के लोक गीत और नृत्य का उत्सव होगा। प्रखंड क्षेत्र में शाम होते ही गांव की गलियों में सामा चकेवा के गीतों से मिथिलांचल के साथ-साथ ही इस क्षेत्र में उत्सवी माहौल देखने को मिल रहा है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।