परदेसियों के घर लौटने से पैसेंजर ट्रेनों में भी उमड़ रही भारी भीड़
लीड पेज 4:::::::पटना, मुजफ्फरपुर,समस्तीपुर आदि जगहों से बरौनी आने वाली ट्रेनें भी खचाखच भरी हुई रह रही हैं।

बरौनी,निज संवाददाता। होली पर्व पर देशभर में काम करने वाले जिले के कामगार अपने-अपने घर लौट रहे हैं। इस कारण पैसेंजर ट्रेनों में भीड़ काफी बढ़ गयी है। पटना, मुजफ्फरपुर,समस्तीपुर आदि जगहों से बरौनी आने वाली ट्रेनें भी खचाखच भरी हुई रह रही हैं। हालत यह है कि बैठने वाली सीट के अलावा ट्रेन के अंदर सामान रखने वाली सीट के ऊपर करियर पर भी लोग बैठे रहते हैं। उसके बाद आने-जाने वाले रास्ते व दोनों सीट के बीच वाली जगह में भी लोग खड़े हो कर यात्रा कर रहे हैं। दोनों ओर की सीटों के बीच और आने-जाने वाले रास्ते के अलावा शौचालय व गेट के आसपास भी यात्रियों के खचाखच भरे होने के कारण लोगों के लिए ट्रेन पर चढ़ना भी मुश्किल हो रहा है। जो लोग किसी प्रकार ट्रेन के अंदर प्रवेश कर जाते हैं उन्हें यात्रियों की भीड़ के बीच ट्रेन के अंदर सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। बोगी के गेट पर भी बहुत सारे यात्री लटके होते हैं जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इस दौरान ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों को भी कठिनाइयों सामना करना पड़ रहा है। भीड़ इतनी अधिक होती है कि एक ट्रेन खचाखच भर जाने के बाद भी बहुत सारे पैसेंजर प्लेटफार्म पर ही रह जाते हैं जो ट्रेन में नहीं चढ़ पाते। इनमें महिलाओं, बच्चे व बुजुर्गों की संख्या ज्यादा होती है। बेगूसराय जिले के विभिन्न प्रखंडों से बड़ी संख्या में युवा लोग कमाने के लिए दूसरे राज्यों व प्रदेशों में जाते हैं। जिले के युवा ज्यादातर गुजरात, सूरत, बेंगलुरु, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई आदि के साथ ही जम्मू कश्मीर तक मजदूरी करने के लिए जाते हैं। ये लोग साल में कम से कम दो बार एक होली के समय और दूसरे छठ पर्व के पहले अपने-अपने घर जरूर लौटते हैं। ऐसे में बिहार के इन दोनों प्रमुख पर्व-त्योहारों के समय दूसरे प्रदेश में काम करने वाले बिहार के अधिकतर परदेसियों के अपने घर लौटने के कारण ट्रेनों में भीड़ बहुत बढ़ जाती है। इन मजदूर वर्ग के लोगों के अलावा बड़े शहरों में विभिन्न कंपनियों में इंजीनियर, मैनेजर सहित अन्य पदों पर काम करने वाले बिहार के लोगों की भी बड़ी संख्या है। इसमें बेगूसराय जिले के भी बड़ी संख्या में लोग उच्च पदों पर भी बाहर में नौकरी कर रहे हैं। ऐसे लोग भी पर्व के अवसर पर अपने परिजनों से मिलने और उनके साथ होली खेलने घर आ रहे हैं। कई परदेसियों ने बताया कि पटना, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर आने में वाली एक्सप्रेस ट्रेनों का टिकट मिलने से वहां तक आ जाते हैं और वहां पैसेंजर ट्रेन के जरिए बरौनी या बेगूसराय तक आते हैं। इस कारण बरौनी, बछवाड़ा व बेगूसराय आने वाली पैसेंजर ट्रेनों में भी भीड़ काफी बढ़ गयी है। पर्व के बाद परदेसियों को लौटने की भी बनी है चिंता महानगरों में जॉब कर रहे लोगों का कहना है कि अगर किसी तरह हम त्योहार पर बच्चों के बीच घर लौट भी आएंगे तो दो-तीन दिन बाद भी न चाहते हुए भी फिर से लौटना ही पड़ेगा। ऐसे में न चाहकर भी दलालों के चंगुल में फंसना उनकी मजबूरी है। बीते नवंबर से रेलवे ने 120 दिन एडवांस टिकट देने की बजाय घटाकर 60 दिन कर दिया है। यह भी मुख्य समस्या ही है। होली पर परदेस से घर आने-जाने के लिए इस साल भी जबरदस्त मारा-मारी की स्थिति बनी है। सोमेश मंडल, विनीत कुमार, सन्नी महतो, दीपन सदा आदि ने कहा कि पहले केवल त्योहारों पर ही दिक्कत होती थी लेकिन अब तो साल के 365 दिन टिकटों के लिए मारा मारी होती रहती है। इसके चलते बहुत से लोग तो पूर्व से टिकट भी निकाल लेते हैं और बाकी लोग टिकटों के लिए भागदौड़ में लगे रहते हैं। होली का त्योहार खास त्योहारों में माना जाता है। होली के 15 दिन बाद ईद के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों की घर वापसी का दौर शुरू हो जाएगा। नतीजतन चालू मार्च माह में टिकट की समस्या से निजात पाना काफी मुश्किल है। जिन्हें हर हाल में घर आना है वे समीपवर्ती स्टेशनों के टिकट पाने का भी जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं।
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