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मकर संक्रांति आज, दही, चुड़ा व तिलकुट का लोग उठाएंगे लुत्फ

फोटो नं.11, कचहरी रोड स्थित दुकान पर खरीदारी करने उभड़ी ग्राहकों की भीड़। सुबह की ठंड के कारण भले ही बाजारों में सन्नाटा था, लेकिन जैसे-जैसे भगवान भास्कर ने अपनी किरणों से धर

Newswrap हिन्दुस्तान, बेगुसरायMon, 13 Jan 2025 08:31 PM
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बेगूसराय,हिंदुस्तान प्रतिनिधि। मकर संक्रांति का पर्व हर साल परंपरा, उमंग और सांस्कृतिक उल्लास का संदेश लेकर आता है। इस बार भी रविवार को मकर संक्रांति के मौके पर शहर के बाजारों में गजब का उत्साह देखने को मिला। सुबह की ठंड के कारण भले ही बाजारों में सन्नाटा था, लेकिन जैसे-जैसे भगवान भास्कर ने अपनी किरणों से धरती को गर्म किया, बाजारों में चहल-पहल बढ़ती गई। ग्राहकों की उभड़ी भीड़ ने जम कर खरीदारी की। खिचड़ी बनाने की परंपरा के चलते सब्जी बाजारों में ग्राहकों का तांता लगा रहा। तिलवा, तिलकुट, गट्टा, लाई-चिउड़ा और पट्टी की दुकानों पर लोग पूरे दिन खरीदारी करते नजर आए। विशेषकर कचहरी रोड स्थित गोकुल चाट हाउस पर घीवर की बिक्री जमकर हुई है। कारीगर चंदन पासवान ने बताया कि यहां का घीवर जो न सिर्फ शहर में बल्कि दूर-दराज से आने वाले ग्राहकों के बीच भी लोकप्रिय है। घी में बना घीवर 600 रुपये प्रति किलो और रिफाइंड ऑयल में बना घीवर 260 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है। पतंगबाजी का क्रेज युवाओं में उत्साह मकर संक्रांति के साथ पतंगबाजी का जुनून हमेशा से जुड़ा रहा है। इस बार भी स्टेशन चौक, ट्रैफिक चौक और पावर हाउस रोड जैसे स्थानों पर पतंग और मांझा खरीदने वालों की भारी भीड़ देखी गई। बच्चों से लेकर युवाओं तक, सभी ने अपनी पसंद की पतंगें खरीदीं। तिलक नगर स्थित दुकानदार घनश्याम कुमार ने बताया यहां ग्राहकों ने इस बार 2 रुपये से लेकर 10 रुपये तक की पतंगों की खरीदारी की है। बाजारों में दिखी उत्सव की उमंग फुट फ़ाट पर सजी अस्थाई दुकानों पर उभड़े ग्राहकों की भीड़ ने बाजारों को संक्रांति के उत्सव का केंद्र बना दिया। लाई, तिलकुट, और पतंग जैसी पारंपरिक वस्तुओं की मांग ने दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। दुकानदारों का कहना है कि संक्रांति की बिक्री ने उन्हें इस साल राहत दी है। अंबेडकर चौक स्थित आरके जेनरल स्टोर के दुकानदार राज कुमार ने बताया कि लोग सुबह से चुरा, मुहरी, चीनी, गुड सहित अन्य सामग्री की खरीदारी करने बड़ी संख्या में ग्राहक आ रहे है। इसबार व्यापार पिछले वर्ष के तुलना में अच्छी हुई है।मुंगेरीगंज निवासी ग्राहक क्रांति देवी ने कहा कि मकर संक्रांति न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का भी पर्व है। बाजारों में उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि यह त्योहार हर वर्ग के लोगों को जोड़ने का माध्यम है। परंपरा और आधुनिकता का यह संगम, उत्साह और उमंग का यह मेल, सचमुच मकर संक्रांति को एक यादगार पर्व बना देगा। बाजारों में बिक्री हुई सामग्री टन में दूध 8 लाख टन दही 80 टन चूड़ा 5 लाख टन मुरही 10 हजार टन तिलकूट 120 टन तिलवा 70 टन मकर संक्राति आज, अपराह्न 2.55 के बाद पुण्यकाल मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान से होता है भाग्योदय-स्वामी चिदात्मन बीहट, निज संवाददाता। मिथिलाचंल पंचांग के अनुसार मकर संक्राति आज है। आज सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे।मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। सूर्य धनु से मकर राशि में 09 बजकर तीन मिनट में प्रवेश करेंगे। अपराह्न 2 बजकर 55 मिनट के बाद से पुण्यकाल शुरू होगा और इस दौरान ही मिथिलांचल के लोग अपने गृह देवता पर तिल चढ़ाऐंगे। मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश अर्थात संक्रमण का प्रतीक है। सूर्य के उत्तरायण होने की वजह से सर्द मौसम के समाप्त होने का भी परिचायक मकर संक्राति है। मकर संक्रांति पूरे देश में विविध क्षेत्रीय रीति रिवाजों के साथ मनाया जाता है। गुजरात में पतंगबाजी, तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी तथा बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के महात्मय की चर्चा करते हुए मां कालीधाम सिमरियाघाट के स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति के मौके पर दही, तिल, शक्कर आदि का सेवन आरोग्यवर्द्धक, ह्दय को पुष्ट करने वाला तथा प्रज्ञा शक्ति को बढ़ाने वाला होता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने से मनुष्य को हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। भाग्योदय के लिहाज से मकर संक्रांति को महत्वपूर्ण माना गया है। गंगा स्नान से आत्मा की शुद्धि तथा मनुष्य को समृद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्य के उत्तरायण होते ही खरमास समाप्त हो जाता है तथा मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। स्वामी चिदात्मन जी ने बताया कि यों तो मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही गंगा स्नान असीम फलदायी होता है। लेकिन अपराह्न काल दो बजकर 55 मिनट के बाद मिथिलावासियों के लिए गृहदेवता पर तिल चढ़ाना विशेष रूप से पुण्यदायी होगा।

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