जिससे थी शिकायत उसे ही मिली जांच की जिम्मेदारी, बैठक में मंत्री ने खारिज की जांच रिपोर्ट
बॉटम पेज 4::::::::बैठक में विधायक सूर्यकांत पासवान द्वारा भवन निर्माण में अनियमितता की शिकायत करते हुए इसकी जांच कराने की मांग की गई। जिसकी जांच रिपोर्ट शनिवार को हुई बैठक में प्रस्तुत की गई। जांच...

बखरी, निज संवाददाता। नगर परिषद के सम्राट अशोक भवन सभागार में जिला क्रियान्वयन समिति की हुई बैठक में डिग्री कॉलेज निर्माण में अनियमितता पर चर्चा की गई। पिछले बैठक में विधायक सूर्यकांत पासवान द्वारा भवन निर्माण में अनियमितता की शिकायत करते हुए इसकी जांच कराने की मांग की गई। जिसकी जांच रिपोर्ट शनिवार को हुई बैठक में प्रस्तुत की गई। जांच रिपोर्ट को बैठक की अध्यक्षता कर रहे राजस्व एवं भूमि सुधार सह प्रभारी मंत्री संजय सरावगी ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि जिस बिल्डिंग की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, उसके निर्माण की जिम्मेवारी भी उन्हीं पर थी।
जिन्होंने इसकी जांच रिपोर्ट सौंपी है। ऐसे में यह जांच रिपोर्ट कितना सटीक होगा यह कहना मुश्किल है। उन्होंने इसे फिर से दूसरे माध्यम जांच कराने के लिए डीएम को कहा है। मालूम हो कि बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के द्वारा यहां डिग्री कॉलेज का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें गड़बड़ी की शिकायत के बाद इसकी जांच रिपोर्ट 31 मई को कार्यपालक अभियंता बेगूसराय द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को दी गई है। जिसमें बीस सूत्री की समीक्षा बैठक का हवाला देते हुए इन्होंने जांच रिपोर्ट में कहा है कि यहां वर्तमान में फर्स्ट फ्लोर का निर्माण कार्य चल रहा है। कराए गए निर्माण कार्य में उपयोग की गई सामग्री तथा बालू, गिट्टी, छड़ इत्यादि की क्वालिटी को लैब से टेस्ट किया गया जो संतोषजनक पाया गया है। इस रिपोर्ट पर मंत्री ने ही सवाल खड़े कर दिए। खेसरा पर लगी रोक हटाने की मांग को लेकर मंत्री से न्याय की गुहार बखरी, निज संवाददाता। नगर परिषद क्षेत्र के मक्खाचक निवासी शशिकांत मिश्र ने राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री को आवेदन देकर अपने पैतृक भूमि के खेसरा पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि खाता संख्या-151, खेसरा संख्या-1066, रकबा 6 कट्ठा 4 धूर जमीन उनके पूर्वजों के नाम से दर्ज है और इस पर उनका परिवार लंबे समय से वैध रूप से काबिज है। बताया कि उक्त भूमि तीन भाइयों के बीच पारिवारिक बंटवारे में विभाजित हो चुकी है। इस खेसरा के केवल एक भाग, रकबा एक कट्ठा ग्यारह धूर भूमि को स्व. चतुर ठाकुर के पुत्र सरोवर ठाकुर द्वारा रामजानकी मंदिर ट्रस्ट को दान किया गया था, जबकि शेष भूमि अब भी उनके परिवार की निजी संपत्ति के रूप में प्रयुक्त हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि बची हुई भूमि की पूर्व में भी खरीद-बिक्री होती रही है। हाल ही में जब उन्होंने इसी भूमि के एक हिस्से की खरीद के लिए रजिस्ट्री ऑफिस से चालान प्राप्त किया, तो खेसरा पर लगी रोक के कारण खरीद प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। इस विषय में अंचलाधिकारी द्वारा एक रिपोर्ट अपर समाहर्ता को भेजी जा चुकी है, फिर भी अब तक रोक नहीं हटाई गई है। इन्होंने आरोप लगाया कि अपर समाहर्ता कार्यालय के कुछ कर्मी किसी व्यक्ति विशेष के प्रभाव में आकर निर्णय ले रहे हैं, जिससे उन्हें बार-बार बखरी से लेकर बेगूसराय तक चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उन्होंने मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय की मांग की है। मालूम हो कि फिलहाल उक्त खेसरा की संपूर्ण भूमि को ट्रस्ट संपत्ति बताते हुए उसकी खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गई है, जबकि वास्तविकता इससे अलग प्रतीत होती है।
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