खाद कारखाना पुनर्निर्माण कार्य शुरू कराने को हरी झंडी
हिन्दुस्तान उर्वरक रसायन लि. (हर्ल) के माध्यम से कराया जा रहा बरौनी खाद कारखाने का पुनर्निर्माण कार्य तीन मई के बाद शुरू कराने के मामले में प्रशासन की हरी झंडी मिल गई है। हर्ल प्रबंधन को सशर्त्त काम...
हिन्दुस्तान उर्वरक रसायन लि. (हर्ल) के माध्यम से कराया जा रहा बरौनी खाद कारखाने का पुनर्निर्माण कार्य तीन मई के बाद शुरू कराने के मामले में प्रशासन की हरी झंडी मिल गई है। हर्ल प्रबंधन को सशर्त्त काम शुरू करने की अनुमति जिला प्रशासन की ओर से दे दी गयी है। कार्य शुरू कराने तथा रफ्तार पकड़ने के बाबत फिलहाल कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने तथा बताने से परहेज करते दिख रहे हैं। लेकिन, दो दिनों से कारखाना परिसर सहित उवर्रक नगर स्थित वर्कर कैंप में सेनिटाइजर के छिड़काव का कार्य शुरू कर दिया गया है। लॉकडाउन की वजह से मशीन व उपकरण लदे चार दर्जन से अधिक गाड़ियों के अनलोडिंग का कार्य शुरू कर दिया गया है। हर्ल के मुख्य महाप्रबंधक अतुल तिवारी ने बताया कि कुछ अत्यावश्यक कार्य को करने की इजाजत जिला प्रशासन से मांगी गयी है। जिला प्रशासन ने कई शर्तों के साथ फिलहाल अत्यावश्यक कार्य शुरू करने की ही इजाजत दी है। तीन मई के बाद लॉकडाउन को लेकर सरकार के द्वारा जारी होने वाले दिशा-निर्देश के अनुरूप हर्ल कारखाना के पुनर्निर्माण का काम भी शुरू किया जाएगा। विदित हो कि करीब एक वर्ष से बरौनी खाद कारखाने का पुनर्निर्माण का कार्य हर्ल के मातहत हो रहा है। हर्ल के मातहत कार्य कर रही विभिन्न कंपनियों तथा संवेदकों के साथ तकरीबन सात हजार मजदूर व कर्मी कार्यरत हैं। 22 मार्च से ही हर्ल का निर्माण कार्य बंद है। लॉकडाउन की वजह से काम बंद होने के बाद अधिकतर कर्मी व मजदूर अपने घर चले गये हैं जबकि कुछ मजदूर अब भी उर्वरक नगर स्थित वर्कर कैंप से लेकर अन्य जगहों पर किराये के मकान में रहकर कार्य के शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। विभिन्न कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि उनलोगों को अब तक लॉकडाउन अवधि का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। लॉकडाउन के एक महीने से भी अधिक का समय गुजर जाने तथा वेतन का भुगतान नहीं होने के कारण बाहर के मजदूरों को काफी दिक्कत हो रही है। बता दें कि पिछले वर्ष से ही करीब सात हजार करोड़ रुपये की लागत से हर्ल के मातहत बरौनी खाद कारखाने के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया गया है। जून 2021 से यूरिया का उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रतिमाह करीब एक लाख मिट्रिक ट्रन नीमकोटेड यूरिया का उत्पादन होना है।मालवाहक वाहन चालकों की पीड़ा को ‘हिन्दुस्तान ने उठाया था प्रमुखता से बीहट। निज संवाददातालॉकडाउन की वजह से हर्ल के मुख्य द्वार पर मशीन व उपकरण लोडेड खड़े वाहनों के चालकों की पीड़ा को ‘हिन्दुस्तान ने 11 अप्रैल को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन ने 20 अप्रैल से कार्य शुरू करने की इजाजत देने की बात कही थी लेकिन हर्ल कारखाना से सटे एक पंचायत में कोरोना का एक संदिग्ध मजदूर मिलने के बाद जिला प्रशासन ने कार्य शुरू करने की इजाजत नहीं दी। खाद कारखाना के लिए टैंक लेकर मुम्बई से आये वाहनचालक हीरा कुमार ने बताया कि वह टैंक लेकर 21 मार्च को ही आ गये थे। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू तथा 23 मार्च से लॉकडाउन लागू होने के कारण उनलोगों को लंबे समय तक अनलोडिंग का इंजतार करना पड़ा। दो दिनों से कई वाहनों की अनलोडिंग हुई है जबकि दर्जनाधिक वाहन तीन दिन पहले भी मशीन व उपकरण लेकर हर्ल के मुख्य द्वार पर पहुंचा है। हर्ल के मुख्य प्रोजेक्ट मैनेजर संजय कुमार ने बताया कि अनलोडिंग से पूर्व वाहनों को पूरी तरह से सेनिटाइज किया जा रहा है।
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