....सब किछु छुटै छूटि जाये,छिन छुटे न लगन तिहारी
पेज-पांच लीड:::::::::में मौजूद श्रीराम-जानकी फोटो नं.05,श्रीजानकी विवाह महोत्सव के अंतिम दिन चौथारी की रस्म अदायगी के मौके पर संगीत के जरिए श्रीराम-जानकी की अभ्यर्थना करते पीठासीन आचार्य राज किशोर शरण...
बीहट, निज संवाददाता। बीहट विश्वनाथ मंदिर के सिय रनिवास के आंगन में चार दिवसीय श्रीजानकी विवाह महोत्सव के अंतिम दिन शनिवार की रात चौथारी की रस्म अदायगी की गयी।हास-परिहास के बीच रविवार की सुबह तक चौथारी का विधान हुआ। विवाह के बाद चौथारी के विधान के लिए परब्रह्म मिथिला के कोहबर में उपस्थित हैं। सियाजू की अलियां पाहुन के साथ हास-परिहास में मगन दिखी। परब्रह्म को कोहबर में पाकर मिथिलानी गर्व से जहां एक ओर धन्य भाग्य हमरो रघुनंदन हमसे बड़ कोउ नाहिं गुनगुना रही थी, वहीं दूसरी ओर सभक शपथ थिक अहांक पाहुन, ककरो जनि बिसरैबै गाकर विनती भी करती दिखी। चौथारी के बाद ज्योंहि दुल्हा अवध जाने के लिए तैयार होते हैं,मिथिलानी सब किछु छूटै छूटि जाए, छिन छूटै न लगन तिहारी-की अर्ज करना भी नहीं भूली। पीठासीन आचार्य राजकिशोर शरण जी ने कहा कि परब्रह्म की दुल्हे के रूप में अराधना ही मिथिला भक्ति का मर्म है। परब्रह्म मिथिला के कोहबर से कभी बाहर नहीं निकले। चौथारी के विधान के दौरान दरभंगा अमता घराने के कलाकार संगीत म्ल्किक, साहित्य मल्लिक, कौशिक मल्लिक तथा उज्जवल मल्लिक के सुगम संगीत का भी लोगों ने आनंद उठाया।पीठासीन आचार्य राजकिशोर शरण जी महाराज के अलावे रघुवीर शरण, कनक, प्रेमलता, गुड़िया, वीरेन्द्र पांडेय, बादल, वैदेहीशरण, विक्रम, गोपाला, भोलू, आदित्य,विष्णुदेव भारती, सिक्कू, विक्की, शरीखे अन्य कलाकारों ने अपने गायन-वादन से परब्रह्म को रिझाया। संगीत प्रधान अभ्यर्थना तथा कीर्तन की बहुलता के बीच 93 वां श्रीजानकी विवाह महोत्सव संपन्न हो गया। मौके पर श्रीकिशोर, किशोर, मुन्नी दी, अनुराधा, हरिश्चन्द्र मिश्र, ललन कुमार, गूजो,रजत, उपेन्द्र समेत अन्य मौजूद थे।
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