सनातनी पितृदेव व्यवस्था की सराहना
15 जून को फादर्स डे पर बच्चों ने मैसेज का आदान-प्रदान किया। समाजसेवी राम अनुग्रह शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पिता को सम्मान देने की परंपरा है। उन्होंने भावनात्मक आदर और सामाजिक जिम्मेदारियों...

गढ़हरा(बरौनी),एक संवाददाता। 15 जून को फादर्स डे के मौके पर नई पीढ़ी के बच्चों ने मैसेज का खूब आदान प्रदान किया। समाजसेवी राम अनुग्रह शर्मा ने कहा कि जून के दूसरे रविवार को आधुनिक रूप में पिता को सम्मान देने के दिन के रूप में याद किया जाता है। परंतु, भारतीय संस्कृति में हजारों साल से पितृ देवो भवः, मातृ देवो भवः का सिद्धांत सनातन काल से चला आ रहा है। प्राचीन काल में वेदव्यास का कथन है कि पिता की इच्छा का पता लग जाने पर पुत्र उसे पूरा दे, यह सर्वोत्तम मार्ग है। वर्तमान भौतिकता के युग में पिता को पहले सम्मान चाहिए।
आर्थिक क्षमता के अनुसार पिता का ख्याल रखना सामाजिकता है। पिता को भावनात्मक रूप से आदर के साथ देखना होगा। आज जो पुत्र है वह भी कल पिता बनेंगे। इसलिए अच्छी परिपाटी बनानी चाहिए। कोई राजनीतिक दल अभी तक परिवार और समाज के कमजोर होने के क्रम में आगे जाकर संभालने की स्थिति में नहीं है। पिता-दादा के धरोहर संस्कार को बचाकर आगे समृद्धि का रास्ता बन सकता है। लालबहादुर महतो, रंगकर्मी शिवजी आर्य, फुलेना राय ने भी आधुनिकता से दूर होकर सनातनी व्यवस्था में आने के लिए नई पीढ़ी का आह्वान किया।
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