प्रवासियों के सही-सलामत घर लौटने से परिजनों ने ली राहत की सांस
कोरोना की मार में परदेस से गांव पहुंच कर भी प्रवासी मजदूरों को अपने घर से दूर रहना पड़ रहा है। क्वारंटाइन की अवधि पूरी करने के बाद इन मजदूरों को अपने घर पहुंचकर भी गांव वालों से दूर रहना पड़ रहा है।...
कोरोना की मार में परदेस से गांव पहुंच कर भी प्रवासी मजदूरों को अपने घर से दूर रहना पड़ रहा है। क्वारंटाइन की अवधि पूरी करने के बाद इन मजदूरों को अपने घर पहुंचकर भी गांव वालों से दूर रहना पड़ रहा है। ग्रामीण उन्हें कोविड-19 के संदिग्ध मरीज के नजरिया से देखते हैं। घर से बाहर निकलते ही उस पर लोगों की निगाहें टेढ़ी हो जाती हैं। भरौल, रुदौली, चमथा, चिरंजीवीपुर आदि गांवों में कई प्रवासियों ने 14 दिनों का क्वारंटाइन अवधि पूरी की और अब अपने घर लौट आए हैं। प्रवासियों के क्वारंटाइन सेंटर से घर लौटते ही उनके परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई है। चिरंजीवीपुर के गणेश महतो ने कहा कि भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि उसका पुत्र अमित कुमार क्वारंटाइन सेंटर से सही सलामत घर आ गया। कहा कि जब तक वह क्वारंटाइन सेंटर पर रहा उसे कोरोना के संक्रमण की चिंता सता रही थी। भरौल के अमित कुमार, नारेपुर धर्मपुर के आशुतोष आदि ने बताया कि वे क्वारंटाइन अवधि पूरा कर घर तो आ गए हैं किन्तु अभी सात दिनों का होम क्वारंटाइन पूरा करना बांकी है। परदेस से घर लौटे कई प्रवासी मजदूरों ने बताया कि 21 दिनों बाद भी गांव में लोग उन्हें कोरोना के संदिग्ध मरीज की नजर से देखते हैं। बाहर से आने की बात जान उन्हें जल्दी कोई काम पर भी नहीं बुलाता है। काम-धंधा बंद रहने से अब परिवार के भरण-पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि क्वारंटाइन सेंटर से घर भेजे जा रहे प्रवासियों को गुलाब फूल देकर व ताली बजाकर डिस्चार्ज किया जा रहा है। सेंटर पर रह रहे प्रवासियों को 14 दिनों बाद घर भेज कर अगले सात दिनों तक उन्हें होम क्वारंटाइन रहने की सलाह मेडिकल टीम की ओर से दी गई है। घरों में खाली बैठे हैं क्वारंटाइन केन्द्रों से घर लौटे प्रवासी मजदूरफोटो: साहेब तांती, मो. आदिल, राजाराम चौधरी, विमली देवीडंडारी। निज संवाददाताभले ही सरकार लाख दावे करे कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है लेकिन सच्चाई यह है कि क्वारंटाइन केन्द्रों से स्वस्थ होकर अपने घर लौटे प्रवासी मजदूर रोजगार के अभाव में खाली ही अपने घर में बैठे हैं। इन प्रवासी मजदूरों को जहां कोरोना काल में घर वापस लौट आने की खुशी है वहीं रोजगार छिन जाने का मलाल भी है। डंडारी मध्य विद्यालय क्वारंटाइन केन्द्र से आए प्रवासी साहेब तांती बताते हैं कि इंदौर में राजमिस्त्री का काम करते थे। गांव में कोई रोजगार नहीं मिल रहा है। परिवार के सदस्यों से समाज और गांव के लोगों तक का व्यवहार अच्छा है। बावजूद संवेदनशीलता को देखते हुए वह खुद ही अधिकांश समय घर में ही व्यतीत कर रहे हैं। कटरमाला मध्य विद्यालय क्वारंटाइन केन्द्र से वापस लौटे तेतरी के मो. आदिल बताते हैं कि वे बर्द्धमान में दर्जी का काम करते थे। कपड़े सिलाई के हिसाब से उन्हें मजदूरी मिलती थी लेकिन अब रोजगार विहीन हो गए हैं। इतने पैसे नहीं हैं कि अपनी सिलाई मशीन खरीद सकें। कैंप से लेकर घर, समाज और गांव के लोगों द्वारा अच्छा व्यवहार मिला है। तेतरी उच्च विद्यालय क्वारंटाइन केन्द्र से घर आए प्रवासी राजाराम चौधरी ने बताया कि अयोध्या में राजमिस्त्री का काम करते थे। लाकडाउन में रोजगार नहीं मिल रहा है। पारिवारिक व सामाजिक स्तर से उन्हें कोई शिकायत नहीं है। मोहनपुर मध्य विद्यालय क्वारंटाइन केन्द्र से आई देहरादून में मजदूरी करने वाली विमली देवी ने बताया कि गांव आने पर बेरोजगारी में जीने की मजबूरी है। सरकारी राशन से ही परिवार का गुजारा हो रहा है। क्वारंटाइन केन्द्र से घर आने पर कुछ दिनों तक लोग मिलने-जुलने से कतराते रहे तो वह भी परहेज करने लगीं। अब सब कुछ ठीक-ठाक है। क्वारंटाइन से लौटे अधिकतर प्रवासी घर के कामकाज में बंटा रहे हाथकोरोना पॉजिटिव निकलने पर समाज और गांव बालों ने बना ली थी दूरीघर वालों का व्यवहार रहा सकारात्मक, फूल भेंट कर और पटाखे छोड़कर कराया गृह प्रवेशगढ़पुरा। निज संवाददाता क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले मरीज ठीक होने के बाद अधिकांश घर पर ही रहते हैं। उन्हें फिर भी सामाजिक दूरी बनाकर ही रहने का निर्देश डॉक्टर द्वारा दिए गए हैं, ताकि फिर से उन्हें ऐसी परिस्थिति से गुजरना ना पड़े। बहुत सारे प्रवासी ऐसे भी हैं जो क्वारंटाइन सेंटर से निकलने के बाद घर के कामकाज में सहयोग कर रहे हैं। जहां तक उनके घर लौटने की बात है तो ऐसे लोगों के साथ घरवालों के व्यवहार में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है। सामाजिक और गांव के स्तर पर ऐसी समस्या जरूर देखने को मिली है। उदाहरण के लिए मामला गढ़पुरा गांव से ही संबंधित है जहां एक प्रवासी के कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद अगल-बगल के लोग घरवालों से दूरी बनाकर रहने लगे। हालांकि, जब वे आइसोलेशन वार्ड से गुरुवार शाम को घर लौटे तो उनका जोरदार स्वागत किया गया। पत्नी ने उन्हें गुलाब भेंट किया वहीं अगल-बगल के मोहल्ले के लोगों ने पटाखे फोड़ कर खुशियां मनाई और उन्हें गृह प्रवेश कराया गया। ये प्रवासी सिलीगुड़ी से आए थे। वहीं, बड़ी केबाल गांव में भी कुछ इसी तरह का माहौल देखा गया। अगल-बगल के लोगों ने वैसे घरवालों से दूरी बना ली जिनके घर के सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उनके ठीक होने के बावजूद अभी भी गांव के लोग सतर्कता बरतते दिखाई दे रहे हैं। क्वारंटाइन सेंटर में मोबाइल से मन बहला रहे प्रवासी साहेबपुरकमाल। निज संवाददाताप्रखंड के अलग-अलग गांवों में बनाये गये क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे प्रवासी मजदूर मोबाइल के सहारे ही समय व्यतीत कर रहे हैं। यहां रह रहे प्रवासी दिन की शुरुआत अहले सुबह जगने के बाद सेंटर की छत व मैदान में टहल कर करते हैं। हालांकि, कुछ जगहों पर प्रवासी व्यायाम करते नजर आते हैं लेकिन इनकी संख्या कम है। अधिकतर प्रवासी मजदूर नाश्ता व भोजन के बाद मोबाइल देखते नजर आते हैं। कुछ जगहों पर युवा प्रवासी क्रिकेट खेलते भी नजर आते हैं। प्रखंड के पंचवीर मध्य विद्यालय प्रखंड क्वारंटाइन सेंटर पर विगत दिनों स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से सिनेमा भी दिखाया गया। इस पर प्रवासी मजदूर प्रसन्न नजर आये। इन सब चीजों के बीच सबसे खास बात यह देखने को मिलती रहती है कि सेंटरों में रह रहे प्रवासी सुविधाओं को लेकर सजग है और असुविधा को लेकर तुरंत मौजूद कर्मियों से शिकायत करते हैं। यदि कर्मी अनसुना कर देते हैं तो समस्या को सोशल मीडिया पर शेयर करने से भी नहीं चूकते हैं। कोरोना को हराने के बाद अब जुटे रोजी-रोटी के जुगाड़ मेंबलिया। निज संवाददाताप्रखंड के कई प्रवासी लोग कोरोना को हराकर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए रोजी-रोटी के जुगाड़ में जुट गए हैं। अब परिवार का भरण पोषण करने की जिम्मेवारी भी निभा रहे हैं। करोना पर विजय पाने वाले कस्बा के मो. अनस ने बताया कि उनकी कपड़े की दुकान बलिया स्टेशन रोड में है। कपड़े की दुकान को चलाकर अब वे अपने परिवार के भरण-पोषण में जुट गए हैं। कोरोना पर विजय पाने के बाद आज भी घर से लेकर बाहर तक के लोग उन्हें सम्मान की नजरों से देखते हैं। बावजूद वे घर पर आज भी सुरक्षित रहना बेहतर मान रहे हैं। मथुरापुर के चमरू राय ने बताया कि कोरोना पर विजय पाने के बाद वह आज भी घर पर ही रह रहे हैं। घर से लेकर बाहर के लोग आज भी उन्हें सम्मान से ही देख रहे हैं लेकिन रोजगार नहीं मिलने के कारण उन्हें परिवार के भरण-पोषण की चिंता सता रही है। वह दिल्ली में रहकर एक सब्जी मंडी में काम करते थे जबकि मो. अनस जिले में संचालित जमात के सदस्य हैं और वह लॉकडाउन के दौरान बिहारशरीफ से घर वापस लौटे थे। शहर के क्वारंटाइन सेंटर पर नहीं हो रही कोई सकारात्मक एक्टिविटीबेगूसराय। निज संवाददाताशहर में बाहर से आये लोगों के लिए चार जगह क्वारंटाइन सेंटर बनाये गए हैं। कॉलेजिएट विद्यालय सेंटर पर 190, ओमर बालिका उच्च विद्यालय में 115, एसबीएसएस कॉलेज सेंटर में 92 लोग रह रहे हैं। जिले के अन्य कई सेंटरों पर रह रहे लोगों को कई सकारात्मक एक्टिविटी सिखाई या बतायी जा रही है जबकि शहर के अंदर क्वारंटाइन सेंटर पर इस तरह की कोई एक्टिविटी नहीं हो रही है। हालांकि, सेंटर पर ससमय खाना और साफ़-सफाई तो की जा रही है लेकिन लोगों में सकारात्मक ऊर्जा के विकास के साथ शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कोई विशेष पहल नहीं की जा रही है। शुक्रवार को नगर आयुक्त अब्दुल हामिद ने इन चारों सेंटर का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि सभी सेंटरों पर 100 से ज्यादा प्रवासी लोग रह रहे हैं। इनको सभी तरह की सुविधा दी जा रही है लेकिन योग, प्रशिक्षण या पठन-पाठन जैसी कोई एक्टिविटी नहीं करायी जा रही है।
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