लॉकडाउन में दुकानदारों से नजराना वसूल रहे नगर परिषद के कर्मी
पेज 4... वसूलने की शिकायत मिली है। दुकान संचालकों की हैसियत के मुताबिक राशि तय की गई है। बाजार इलाके के स्थानीय पार्षद ने इसकी शिकायत एसडीओ, मुख्य पार्षद व कार्यपालक अधिकारी से की है। उन्होंने मामले...
बखरी। निज संवाददाता
कोरोना महामारी से बचाव को जारी लॉकडाउन में नगर परिषद के कर्मी आपदा की इस घड़ी को अवसर बनाने पर लगे हुए हैं। बाजार के दुकानदारों से दुकान खोलने के एवज में नजराना वसूलने की शिकायत मिली है। दुकान संचालकों की हैसियत के मुताबिक राशि तय की गई है। बाजार इलाके के स्थानीय पार्षद ने इसकी शिकायत एसडीओ, मुख्य पार्षद व कार्यपालक अधिकारी से की है।
उन्होंने मामले के तमाम पहलुओं से अवगत कराते हुए दोषी कर्मियों पर कार्रवाई करने की बात कही है। नगर परिषद क्षेत्र संख्या 15 के पार्षद नीरज नवीन ने आवेदन में कहा है कि मुख्य बाजार में लॉकडाउन का उल्लंघन रोकने की जिम्मेदारी जिन कर संग्राहक और कर दरोगा को दी गई है, वे आपदा में अवसर को बनाकर दुकानदारों से हफ्ता वसूल रहे हैं। शहर के बड़े किराना मर्चेंट, कपड़ा दुकानों से पांच हजार, रेडिमेड, मनिहारी दुकान से दो हजार रुपये इन्होंने रेट तय कर रखे हैं। जो व्यवसायी किन्ही कारणों से हफ्ता देने से मना करते हैं, उनकी दुकान सील करने तथा एफआईआर करने की धमकी दी जा रही है। नगर क्षेत्र में पैसा देने वाले दुकानदारों का भी रेट बढ़ाकर ये लोग शोषण कर रहे हैं। संपूर्ण बाजार में नगर के दो कर्मियों की चर्चा है। पैसा नहीं देने वाले दुकानदारों की अनुपस्थिति में उनकी दुकान को सील कर दिया जा रहा है। इन कर्मियों द्वारा दुकानदारों को यह भी बोला जा रहा है कि यह पैसा ऊपर से नीचे तक बंटता है। इससे नगर सरकार और नगर प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। इन्होंने आग्रह करते हुए कहा है कि बिहार नगरपालिका एक्ट की सुसंगत धाराओं का उपयोग कर स्थाई समिति के माध्यम से इन दोनों कर्मियों को मुख्य बाजार से कैसे हटाया जाए तथा बाजार इलाके में लॉकडाउन का पालन कराने के लिए किन्हीं अन्य कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया जाए। ऐसा नहीं करने की स्थिति में नगर के व्यापारी आक्रोशित होकर आंदोलन का रास्ता अपनाएं, इसके पूर्व इस दिशा में पहल की जाए।
इधर, इस मामले में कार्यपालक अधिकारी राजेश पासवान ने बताया कि संबंधित कर्मियों से पूछताछ के दौरान बताया गया कि जिस दुकान को खोलने की अनुमति नहीं है, उस दुकान को सील करने की नौबत आती है तो पार्षद द्वारा पैरवी की जाती है। उनकी बात नहीं मानने पर आरोप लगाया जाता है। कार्यपालक अधिकारी ने कहा बावजूद इन सारे मामलों की जांच की जा रही है। दोषी कर्मियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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