Hindi Newsबिहार न्यूज़बेगूसराय22 lakhs pending payment of wages under MNREGA scheme

मनरेगा की योजना में मजदूरी मद के 22 लाख रुपये का भुगतान लंबित

कहने को तो है महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना मगर इस योजना में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भुगतान के समय सीमा की कोई गारंटी...

Newswrap हिन्दुस्तान, बेगुसरायThu, 5 March 2020 07:50 PM
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कहने को तो है महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना मगर इस योजना में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भुगतान के समय सीमा की कोई गारंटी नहीं। योजनाओं के शिलापट्ट लगने के बाद काम होने की भी कोई गारंटी नहीं है। चालू वित्तीय वर्ष में प्रखंड की सभी 18 पंचायतों में चलाई गई मनरेगा की योजनाओं में काम करने वाले मजदूरों की बतौर मजदूरी कुल 22 लाख 23 हजार रुपये का भुगतान अब तक लंबित है। मनरेगा की योजनाओं में लगने वाली ईंट व अन्य सामग्रियों के लिए भी वर्षों से राशि उपलब्ध नहीं कराए जाने से कई योजनाएं ठप पड़ी हुई हैं। अब तो मनरेगा की योजना में काम करने से भी मजदूर कन्नी काटते हैं। कई मजदूरों ने बताया कि एक तो 177 रुपये दैनिक मजदूरी पर कम से कम 80 घनफीट मिट्टी काटनी पड़ती है, फिर काम के बाद बैंक खाते में मजदूरी के लिए महीनों टकटकी लगानी पड़ती है। ऐसे में मनरेगा की योजना से पंचायतों में सड़क निर्माण व अन्य विकास योजनाओं के क्रियान्वयन पर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इधर रानी- दो पंचायत के मुखिया दीपांकर कुमार ने बताया कि वर्ष 2015 के बाद मनरेगा दिन-ब-दिन बंद होने के कगार पर जा रहा है। वर्ष 2014- 15 तक प्रति यूनिट पौधरोपण योजना में वनपोषक को प्रतिदिन 177 रुपये मजदूरी दी जाती थी। वर्तमान में प्रति यूनिट पौधरोपण योजना में वनपोषक को महज 8 दिन की मजदूरी 1400 रुपये प्रतिमाह भुगतान की जाती है, वह भी समय पर नहीं मिलती। मुखिया ने कहा कि मनरेगा में मिट्टी कैरेज का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। योजना गांवों में चलाई जाती है जहां मिट्टी के लिए गड्ढे नहीं खोदे जा सकते। किसी भी योजना में 60 प्रतिशत मजदूरी व 40 प्रतिशत मैटेरियल के मद में राशि खर्च की जानी है। न मजदूरी और ना ही मैटेरियल मद की राशि विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। ग्राम सभा से चुनी गई विकास योजनाओं की सूची भी वर्षो से ठंडे बस्ते में है। इधर मनरेगा के प्रोग्राम अधिकारी मिलन ने बताया कि प्रखंड अंतर्गत कुल 10 हजार 330 जॉबकार्डधारी मजदूर हैं। 1 अप्रैल 2019 से 5 मार्च 2020 तक एक लाख 96 हजार 19 श्रम दिवस मनरेगा योजनाओं में दर्ज किए गए हैं। कहा कि राशि के अभाव में कई योजनाएं अब तक अपूर्ण हैं या फिर शुरू भी नहीं की जा सकी है।

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