कैथा टीकर गांव में पेयजल के लिए मचा हाहाकार
बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- विपिन कुमार सिंह ग्रामीणों को पिछले दो महीनों से नहीं मिल रहा पीने का पानी गांव के लोग चिलचिलाती

अमरपुर (बांका), निज संवाददाता। गर्मी का मौसम शुरू होते ही क्षेत्र में पेयजल संकट गहराने लगा है। कई गांवों में लोगों को पानी नहीं मिल रहा है। पिछले दिनों हुई बारिश से लोगों को काफी राहत मिली थी लेकिन फिर चिलचिलाती धूप एवं भीषण गर्मी में पानी की किल्लत महसूस की जाने लगी है। सबसे बुरी स्थिति अमरपुर प्रखंड क्षेत्र के बिशनपुर पंचायत अंतर्गत कैथा टीकर गांव की है। जहां स्नान करने के लिए पानी मिलने की बात तो दूर पीने का पानी भी ग्रामीणों को नसीब नहीं हो रहा है। इस गांव में पीएचईडी द्वारा नल-जल योजना की टंकी लगाई गई है। लेकिन यह टंकी अब सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले तीन महीनों से नल-जल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। टंकी का मोटर कई बार खराब हुआ। शिकायत दर्ज कराने पर विभाग द्वारा खराब मोटर की रिपेयरिंग करवा कर उसे फिर से लगा दिया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि कुछ दिन पहले तक मोटर चलाने के 12 घंटे में नल-जल योजना की टंकी में पानी भरता था लेकिन अब मोटर चलते रहने के बावजूद टंकी नहीं भर पाता है। पिछले तीन-चार दिनों से ग्रामीणों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि टंकी में डेढ़ एचपी का मोटर लगा है जो बार-बार खराब हो जाता है। उन लोगों ने अनेकों बार दो एचपी का मोटर लगाने की मांग की। उनकी मांग पर विभागीय अधिकारी संवेदक को निर्देश देने की बात कहते थे लेकिन अब जब वे लोग अधिकारी से बात करते हैं तो अधिकारी उन्हें झिड़क देते हैं। गांव के महादलित टोले की स्थिति तो और भी खराब है। इस टोले में चापाकल नहीं है। टोले के लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबुर हैं। महादलित टोले के लोगों ने बताया कि चिलचिलाती धूप से बचने के लिए घर की महिलाएं एवं बच्चे सभी काम छोड़कर पहले पानी की व्यवस्था में लग जाते हैं। कैथा टीकर एवं जमुआ गांव के बीच खेतों में लगे बोरिंग से पानी लाते हैं फिर घर का काम करते हैं। बच्चों द्वारा भी पानी लाने के कारण वे लोग मॉर्निंग स्कूल नहीं जा पाते हैं। महादलित टोले की महिलाओं ने बताया कि गांव में कहीं भी पानी की सुविधा नहीं है। गांव के बाहर जल जीवन हरियाली योजना के तहत तालाब की खुदाई कराई गई थी जिसमें कुछ दिनों तक तो पानी जमा रहा तथा वे लोग उसी तालाब के पानी से स्नान करते थे एवं घर का काम भी करते थे लेकिन अब तालाब भी पूरी तरह सूख गया है। ऐसी स्थिति में उन्हें पानी लाने के लिए भटकना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सभी चापाकल फेल हो गए हैं साथ ही कुएं भी सूख गए हैं। गांव के लोग पीने का पानी बाजार से खरीद लेते हैं लेकिन इस भीषण गर्मी में स्नान करने या कपड़े धोने के लिए पानी नहीं-नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि अब स्नान करने के लिए पानी खरीदना उनके वश में नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि यह गांव अमरपुर बांका मुख्य पथ से करीब एक किलोमीटर अंदर है। मुख्य सड़क पर आकर पानी ले जाने में भी परेशानी होती है। पानी की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर ग्रामीणों ने पिछले दिनों टंकी के सामने प्रदर्शन भी किया था लेकिन विभागीय अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि इस गांव में महादलितों की भी संख्या अधिक है, सरकार एवं जिला प्रशासन इनके विकास की बात करते हैं लेकिन जमीन पर इनके विकास के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। यह गांव पहाड़ के नीचे बसा हुआ है। इस वजह से यहां काफी मुश्किल से बोरिंग होता है, यदि बोरिंग हो भी गई तो गर्मी के दिनों में वह भी फेल हो जाता है। ऐसी स्थिति में गांव का लोगों का एकमात्र सहारा मुख्यमंत्री द्वारा चलाई गई नल-जल योजना है। लेकिन इसका हाल भी बुरा है, इस पर ना तो पीएचईडी के अधिकारियों का ध्यान जाता है ना ही जिलाधिकारी का जिससे यहां के लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो गांव के लोग आंदोलन करने को विवश हो जाएंगे। पीएचईडी के एसडीओ नीतीश कुमार ने कहा कि कैथा टीकर गांव की समस्या को देखते हुए वहां दो एचपी का मोटर लगाने की व्यवस्था कर दी गई है। शुक्रवार को गांव के नल-जल योजना में नया मोटर लगा दिया जाएगा।
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