जिलेभर में सरस्वती पूजा की तैयारी तेज
कलाकार प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे - युवाओं की टोली पंडाल व पूजा सामग्री की कर रहे तैयारी - महिला
बांका, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। विद्या और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां शारदे की पूजा की तैयारी जोरों पर चल रही है। वहीं माता सरस्वती की प्रतिमा को बनाने में कलाकार जुटे हुए हैं। जबकि कई जगहों पर माता सरस्वती की भव्य प्रतिमा बनायी जा रही है और कलाकार मूर्ति को अंतिम रूप देने में लगे हैं। जिले भर में सैकड़ों जगहों पर बसंत पंचमी के पावन अवसर पर माता की आराधना काफी धूम-धाम से होती है। पूजा को लेकर में अब चहल-पहल दिखने लगी हैं। पंडित संजीव चौधरी बतातें हैं कि सरस्वती महामाये शुभे कमललोचिनि विश्वरूपि विशालाक्षि . . . विद्यां देहि परमेश्वरि माघ शुक्ल पंचमी को विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा होगी। इसी दिन मां सरस्वती का अवतार माना जाता है। सरस्वती ब्रह्म की शक्ति के रूप में भी जानी जाती हैं। नदियों की देवी के रूप में भी इनकी पूजा की जाती है। विद्या की देवी की आराधना माघ माह की शुक्ल पंचमी अर्थात बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है इस दिन मां देवी सरस्वती का आविर्भाव हुआ था। यह तिथि वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन किसी भी काम को करना बहुत शुभ फलदायक होता है। इसलिए इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, नवीन व्यापार प्रारंभ और मांगलिक कार्य किए जाते है। इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते और साथ ही पीले रंग के पकवान बनाते हैं। मां सरस्वती ज्ञान, गायन-वादन और बुद्धि प्रदान करने वाली मानी जाती इस दिन सरस्वती पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन छात्रों को पुस्तक और गुरु के साथ और कलाकारों को अपने वादन के साथ इनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। इस वर्ष प्रतिमा निर्माण पर महंगाई का असर साफ नजर आ रहा है, क्योंकि प्रतिमा निर्माण में उपयोग हाेने वाली चिकनी मिट्टी व रंग के अलावा अन्य सामग्री पहले की तुलना में महंगी हो गई है। जिसके कारण मूर्तिकार अधिकतर छोटी मूर्तियों काे ही आकार देने में जुटे हैं। वहीं बड़ी मूर्तियां सिर्फ ऑर्डर पर ही बनाई जा रही हैं। मूर्तिकार कहते हैं कि पिछले 3 वर्षों में मिट्टी के मूल्यों में काफी उछाल आया है। कारीगर के अनुसार हंस पर बैठी माता के प्रतिमा का दाम कुछ अलग है। वहीं कमल के फूल पर भी माता विराजमान है। सभी तरह के प्रतिमाओं का भाव अलग अलग रखा गया है। बताते चलें कि प्रत्येक साल सरस्वती पूजा शहर और गांव में हजारों स्थानों पर धूम धाम से मनाई जाती है। इसके अलावा सरकारी व निजी शिक्षण संस्थानों में भव्य रूप से शिक्षा की अधिष्ठात्री व संगीत की देवी माता की अराधना प्रेम पूर्वक की जाती है। चौक चौराहों व सार्वजनिक स्थलों पर भी सरस्वती पूजा मनाने का रिवाज वर्षो से चला आ रहा है। इस अवसर पर कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होता है।
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