एनएच 333ए का हाल हुआ बदहाल, गड्ढों से होकर रेंगती है गाड़ियां
एक महीने भी नहीं टिका पैच वर्क, सड़क में बनने लगे गड्ढे एक महीने भी नहीं टिका पैच वर्क, सड़क में बनने लगे गड्ढे कटोरिया (बांका) निज प्रतिनिधि। पंजवा
कटोरिया (बांका) निज प्रतिनिधि। पंजवारा-बरबीघा एनएच 333 ए की बदहाल स्थिति में बदलाव नहीं हो पा रहा है। इस सड़क के पास दर्जा तो राष्ट्रीय राजमार्ग का है लेकिन बदहाली ऐसी, मानो गांव की कोई पगडंडी हो। मरम्मत के समय बरती गई अनियमितता एवं सड़कों पर बहते नाले व बारिश की पानी का कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं होना इस सड़क के टूटने का कारण बनी हुई है। विभागीय सुस्ती एवं मनमानी पूर्ण रवैए से सड़क की स्थिति बद से बदतर होकर भयावह हो गई है। सड़क में बने छोटे- बड़े अनगिनत गड्ढे ने एनएच की सूरत बिगाड़ दी है। इस बदहाली को दूर करने के लिए प्रशासनिक पहल शून्य है। नतीजन सड़क के गढ्डों की संख्या में कमी नहीं लाई जा सकी है। एक महीने पूर्व सड़क में पैच वर्क का काम हुआ था। लेकिन एक महीने के अंदर ही सड़क में फिर से गड्ढे बनने शुरू हो गए। सड़क में गहरे गड्ढे बनने शुरू हो गए हैं, जो कुछ ही दिनों में भयावह रूप धारण कर लेंगे। खासकर राधानगर, आरपाथर, कटोरिया बाजार, कठौन, सिहूलिया के पास गड्ढों की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं होती है। गड्ढे इतने अधिक हैं कि वाहन चालक एक गड्ढे से अपने वाहन को बचाता है तो दूसरे गड्ढे में जाने को तैयार रखता है। लेकिन फिर भी जर्जर सड़क की तस्वीर नहीं बदल रही है। सड़क पर वाहन दौड़ते नहीं बल्कि रेंगते हैं। इस समस्या से प्रशासन भी बेखबर नहीं है। लेकिन समस्या के समाधान की ओर उनकी दिलचस्पी नहीं दिख रही है।
एनएच का मिला है दर्जा, नहीं बदली तकदीर
यह मार्ग पहले स्टेट हाइवे था। इसे 8 साल पहले नेशनल हाइवे का दर्जा दिया गया था। लेकिन इस सड़क की तकदीर नहीं बदली। सड़क की हालत को देखकर तो लगता है कि नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इस राजमार्ग को कभी सही ढंग से गोद लिया ही नहीं। सड़क से राहगीरों के साथ- साथ स्थानीय लोग त्रस्त हैं। सड़क पर वाहनों के फंस जाने एवं पलट जाने का भी डर सताता है। इस पथ की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि इस पथ पर रोजाना सैकड़ों में चलने वाली छोटी-बड़ी वाहनों को गड्ढों में बहुत सावधानी पूर्वक पार करना पड़ता है।
ओवरलोडेड वाहनों की वजह से टूटती है सड़क
मरम्मत के बाद इस रोड पर इतनी ओवर लोडेड गाड़ियां चलती हैं कि रोड की सहनशीलता जवाब दे देती है। ओवरलोड वाहनों की वजह से सड़क जगह-जगह धंस जाती है और भयावह रूप धारण कर लेती है। स्थानीय जगत आनंद, पंकज चौधरी, मुकेश कुमार, राजाराम भगत, हरेश यादव आदि का कहना है कि निर्माण और मरम्मत के समय जिम्मेवार अधिकारियों की अनदेखी की वजह से सड़क का हाल कुछ ही दिनों में बदहाल हो जाता है।
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