मंदार महोत्सव से गायब हो गये मंदार
पेज चार की लीडपेज चार की लीड मेले के मंच पर प्रशासन ने मंदार को ही कर दिया दरकिनार पारंपरिक मेले में नहीं दिख रही पौराणिक, ऐतिहासिक व धार्मिक
बांका, निज प्रतिनिधि। काल को नापता आ रहा मंदार अपने दामन में कई सदियों की संस्कृति को संजोय हुए है। यहां मकर संक्रांति के दिन मंदार पर्वत अलौकि रश्मियों से अभिसिंचित होता है। जिससे यहां तीन धर्मो के संगम से अध्यात्म की त्रिवेणी बहती है। लेकिन बदलते वक्त के साथ यहां सरकार व प्रशासन की अनदेखी की वजह से यहां की अछूती संस्कृति व परंपराओं के बीच दरार पडने लगी है। जिसका नजारा मंगलवार को मंदार महोत्सव में देखने को मिला। इस मंदार महोत्सव से मंदार को ही गायब कर दिया गया। यह चर्चा आमजनों के बीच चल रहा है। लोगों का कहना है कि मंदार से लेकर मधुसूदन नगरी तक लगे मेले में कहीं भी मंद्राचल पर्वत की जिक्र तक नहीं दिखी। प्रशासनिक महकमें ने मानो सरकार की प्रचार का ही ठेका ही ले रखा हो। राजद के बाराहाट प्रखंड अध्यक्ष ओमप्रकाश यादव ने कहा कि यहां लगे बौंसी मेले में सरकार की योजनाओं के प्रचार के शिवा कुछ और देखने को नहीं मिल रहा है। यहां तक की कृषि प्रदर्शनी के सामने बनाये गये सेल्फी प्वाइंट को भी सरकार के प्रचार का जरिया बना दिया गया था। जबकि पिछले साल यहां मंद्राचल से जुडी झलकियां दिखती थी। जिसे लोग अपने कैमरों में कैद करते हुए यहां की पारंपरिक गाथाओं को संजो रहे थे। लेकिन इस बार इस सेल्फी प्वाइंट को सरकार की योजनाओं के प्रचार का जरिया बना दिया गया है। पूर्व मुखिया काशीनाथ चौधरी ने बताया कि यहां मंच से लेकर कृषि प्रदर्शनी तक सरकारी योजनाओं के प्रचार की ही झलक दिखती है। जिसके बीच यहां अंग क्षेत्र की आध्यात्मिक, पौराण्किा व ऐतिहासिक संस्कृति दम तोडती नजर आ रही है। स्थानीय नागरिक प्रीतम कुमार ने बताया कि कृषि प्रदर्शनी व मेले मेंच के बीच बनाये गये सेल्फी प्वाइंट पर भी सरकार की योजनाओं के प्रचार को प्रमुख्ता से लहराया गया है। बौंसी मेले में कहीं भी मंद्राचल की झलक से लोग रूबरू नहीं हो पा रहे हैं। जबकि इस पारंपरिक मेले की पहचान मंदार से ही है। इस सेल्फी प्वांइट पर भी मंदार को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है। लोग सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार की बीच ही अपनी यादों को संजो के लिए मजबूर हैं। खगेश कुमार का कहना हैकि इस बार का बौंसी मेला सरकार की योजनाओं के प्रचार व प्रसार का जरिया बन गया है। ये बात लोगों को काफी खटक रही है। मेले में कहीं भी मंदार पर्वत व उसकी पौराणिक कथाओं की झलक देखने को नहीं मिल रही है। जबकि इससे पहले यहां मंदार महोत्सव में मंदार की तस्वीर दिखती थी। लेकिन इस बार यहां सरकारी योजनाओं के प्रचार के अलावे लोगों को मंदार से जुडी कोई भी तस्वीर देखने को नहीं मिल रही है। ये बात जनप्रतिनिधियों सहित कई प्रशासनिक पदाधिकारियों को भी खटक रही है।
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