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कल्याणकारी योजनाओं ने आसान की एचआईवी संक्रमित मरीजों की जिंदगी

विश्व एडस दिवस पर विशेषविश्व एडस दिवस पर विशेष 5 योजनाएं एचआईवी संक्रमित मरीजों के लिए की गई है शुरू जिले में दो बच्चे भी पाए गये हैं एचआईवी

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाSun, 1 Dec 2024 02:06 AM
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बांका। निज प्रतिनिधि। जिले में लगातार रेड रीबन का दायरा बढ रहा है। जिसका खुलासा एचआईवी जांच से हो रहा है। शहर के सदर अस्पताल में 6 अक्टूबर 2023 में एआरटी सेंटर खोले गये हैं। जहां गर्भवति महिलाओं का नियमित एचआईवी टेस्ट किया जा रहा है। इसके अलावे अन्य लोगों के भी यहां एचआईवी जांच की सुविधा है। यहां अब तक 1143 मरीज एचआईवी संक्रमित पाये गये हैं। जिनका यहां ईलाज किया जा रहा है। लेकिन दो साल के दरम्यान में यहां के 432 मरीजों की मौत हो चुकी है। अभी यहां 711 मरीजों का ईलाज किया जा रहा है। जिसमें एचआईवी संक्रमित दो बच्चे भी शामिल हैं, जो अपने माता-पिता की वजह से एडस के शिकार हुए हैं। क्षेत्र में एचआई संक्रमित मरीजों की फेहरिस्त लंबी होने की सबसे बडी वजह पलायन है। यहां से हर साल करीब 25 हजार लोग रोजगार की तलाश में अन्य जिले व प्रांतों में पलायन कर रहे हैं। जो वहां से सौगात के तौर पर एडस जैसी घातक बीमारी को अपने साल ला कर दूसरों को भी संक्रमित कर रहे हैं। जिससे एचआईवी संक्रमित मरीजों को अपने जीवन में कई तरह की परेशानियां व कठनाईयां झेलनी पड रही है। हालांकि, एचआईवी संक्रमित मरीजों एवं उनके बच्चों के लिए सरकार की ओर से पांच कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई है। जो उनकी जिंदगी को आसान बना रही है। ऐसे में अब उन्हें जिंदगी जीने के लिए अधिक जद्दो जहद नहीं करनी पड रही है। वहीं, उन्हें समाज में समानता का अधिकार दिलाये जाने के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं भी चलाई जा रही है। एचआईवी संक्रमित मरीज भेदभाव एवं अन्य समस्यआओं के समाधान के लिए जिला शिकायत निवारण समिति के अध्यक्ष सह जिलाधिकारी को आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावे कानूनी सहायता के लिए वे एसपी को आवेदन कर सकते हैं। जिनके आवेदन पर त्वरित कार्रवाई की जायेगी।

सहायता राशि से लेकर ईलाज व खाद्यान्न तक की दी जा रही सुविधा

जिले में एचआईवी संक्रमित मरीजों के लिए पांच कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। इसमें बिहार शताब्दी एड्स पीडित कल्याण योजना के तहत 18 वर्ष व उससे अधिक आयु वर्ग के मरीजों को भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 1500 की सहायता राशि दी जा रही है। इस योजना के लाभ के लिए मरीजों बिहार राज्य का स्थाई निवासी होना जरूरी है। इसके साथ ही वे राज्य के किसी भी एआरटी केंद्र से नियमित एआरवी दवा का सेवन कर रहे हों। परवरिश योजना के तहत एचआईवी संक्रमित एवं प्रभावित बच्चों के पालन-पोषण एवं शिक्षा के लिए उन्हें जन्म से लेकर 18 वर्ष तक उन्हें प्रतिमाह 1000 की सहायता राशि दी जा रही है। अंत्योदय योजना के तहत बीपीएल परिवारों में अति गरीब एचआईवी संक्रमित मरीजों को दो रूपये किलो की दर से 14 किलोग्राम गेंहूं एवं तीन रूपये की दर से 21 किलोग्राम चावल हर महीने दिया जा रहा है। वहीं, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत एड्स पीडित मरीजों को 100 दिनों तक काम दिये जा रहे हैं। इसके अलावे बिहार शताब्दी असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना, 2011 के तहत एचआईवी संक्रमित श्रमिकों के ईलाज के लिए 25 हजार की सहायता राशि भी दी जा रही है।

कोट...

जिले में अभी एचआईवी संक्रमित 711 मरीजों क नि:शुल्क ईलाज किया जा रहा है। जिसमें दो बच्चे भी शामिल हैं। वहीं, इनकी जिंदगी को आसान बनाने के लिए इन्हें सरकार की ओर से चलाई जा रही पांच योजनाओं का भी लाभ दिया जा रहा है। जिसमें उनके ईलाज के अलावे उन्हें आर्थिक सहायता, रोजागर व खाद्यान्न भी मुहैया कराये जा रहे हैं। जिससे उन्हें समाज में समानता का अधिकार दिया जा सके।

डॉ अनिता कुमारी, सीएस, बांका।

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