बढ़ते तापमान का असर दिखने लगा फसलों व आम के मंजरों पर
पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड मार्च के शुरूआती दौर में ही मौसम का तापमान 30 डिग्री सेल्शियस के पार हुआ बढती गर्मी से रबी फसलों के

बांका, निज प्रतिनिधि। मौसम में हो रहे बदलाव का सीधा असर कृषि पर पड रहा है। इस बार पिछले साल की तुलना में फरवरी का महीना काफी गर्म रहा। इस महीने में मौसम का तापमान दो से तीन डिग्री अधिक रहने की वजह से उसका प्रभाव रबी फसलों के साथ ही आम के मंजर पर भी पडा है। इसका खास कर गेहूं के फलन और आम के मंजर पर देख रहा है। मौसम के बढते तापमान से गेहूं के दाने सिकुडने लगे हैं, जिससे इसका उत्पादन दर घटने की संभावना है। जबकि मार्च के शुरूआती दौर में ही मौसम का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के पार हो गया है। यहां मंगलवार को मौसम का अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्शियस और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्शियस रहा। ऐसे में बढती गर्मी से आम के मंजर झडने लगे हैं और उसमें मधुआ और लाही कीट का प्रकोप बढने लगा है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक आम के मंजर के मौसम का अनुकूल तापमान 14 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। मंजर लगने के समय मौसम का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से उपर बढने से आम के मंजर झडने लगते हैं और उसमें कीट लगने की आशंका बढ जाती है। अब जबकि मौसम का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से उपर पहुंच रहा है। ऐसे में आम के मंजर में मधुआ कीट और फफूंद का प्रकोप और अधिक बढेगा। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ संजीत कुमार ने बताया कि मौसम का तापमान अचानक बढने और कम होने से मधुआ कीट का प्रकोप बढा है। मधुआ कीट आम की नई शाखाओं समेत मंजर और पत्तियों का रस चूस लेता है। जिससे मंजर के झड जाने की शिकायतें आ रही है। इसके अलावे इस कीट द्वारा चिपचिपा मधु सरीखा पदार्थ छोडने की वजह से मंजर पर फफूंद उग आते हैं। ये पौधे की प्रकाश संश्लेशन की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। जिससे आम के उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है। सांख्यिकी विभाग के मुताबिक बांका जिले में 44 हजार आम के पेंड हैं जो फल दे रहे हैं। यहां से आम की आपूर्ति पटना से लेकर कोलकाता तक के बाजारों में की जाती है। जिससे जिले की बडी आबादी आम के उत्पादन पर निर्भर है। इसके अलावे यहां आम का अच्छा उत्पादन होने से कई लोगों को रोजगार मिलते हैं। लेकिन इस बार यहां आम के मंजर झडने व कीट के बढते प्रकोप से इसका उत्पादन प्रभावित हो सकता है। जिससे आम बगाम मालिकों को नुकसान उठाना पड सकता है। आम के मंजर के प्रबंधन के लिए कीटनाशक रसायन के तौर पर एसिफेट पाउडर दो ग्राम और साफ पाउडर डेढ ग्राम लेकर एक लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करने से कीट समाप्त होंगे।आम का टिकोला पांच ग्राम यानी मटर के दाने की तरह होने पर एक मल्टीफ्लेक्स पांच एमएल, एसिफेट पाउडर दो ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। जो टिकोला को गिरने से बचाने में सहायक होगा। मौसम का तापमान बढने पर पेड की नियमित सिंचाई करें और समय-समय पा पानी देते रहें। जिससे टिकोला गिरेगा नहीं। कृषि वैज्ञानिक डॉ संजीत कुमार ने कहा कि मधुआ कीट आम की नई शाखाओं समेत मंजर और पत्तियों का रस चूस लेता है। जिससे मंजर के झड जाने की शिकायतें आ रही है। इसके अलावे इस कीट द्वारा चिपचिपा मधु सरीखा पदार्थ छोडने की वजह से मंजर पर फफूंद उग आते हैं। ये पौधे की प्रकाश संश्लेशन की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। जिससे आम के उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है।
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