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शहर के अलीगंज में जर्जर सड़क बनी लोगों के लिए मुसीबत, आवागमन में हो रही भारी परेशानी

बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- संतोष कुमार झा छायाकार- कुमार आनंद बांका। एक संवाददाता बांका जिला मुख्यालय स्थित नगर परिषद के ब

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाTue, 6 May 2025 04:32 AM
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शहर के अलीगंज में जर्जर सड़क बनी लोगों के लिए मुसीबत, आवागमन में हो रही भारी परेशानी

बांका। एक संवाददाता बांका जिला मुख्यालय स्थित नगर परिषद के बगल का अलीगंज मुहल्ला शहर का मुख्य आवासीय और व्यापारिक क्षेत्र माना जाता था। यहां स्थित नगर परिषद कार्यालय से डोकानियां मार्केट तक जाने वाली सड़क कभी लोगों के लिए सुविधाजनक मार्ग हुआ करती थी, लेकिन आज यह मार्ग अपनी बदहाल स्थिति से लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। सड़क की जर्जर हालत, बीच-बीच में बड़े-बड़े गड्ढे और बारिश व नाला के गंदे पानी से जलजमाव की समस्या ने इस रास्ते को लगभग नारकीय बना दिया है। बीते कई वर्षों से इस मार्ग की स्थिति लगातार खराब होती चली गई है।

कई बार छोटे-मोटे पैच वर्क कर समस्या को अस्थायी रूप से हल करने की कोशिश की गई, लेकिन स्थायी समाधान के प्रयास न होने के कारण स्थिति दिनोंदिन और विकराल होती गई। गड्ढों में जमा पानी, जगह-जगह कीचड़ और असमतल सतह से दोपहिया वाहन चालकों को सबसे अधिक परेशानी होती है। कई बार तो लोग दुर्घटनाग्रस्त भी हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि पैदल चलना भी लोगों के लिए मुश्किल भरा हो गया है। बांका के अलीगंज मुहल्ले की सड़क की जर्जर स्थिति न केवल प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि शहर का महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे उपेक्षित हो सकता है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह केवल नागरिकों के लिए ही नहीं बल्कि स्थानीय प्रशासन की साख के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है। अब जरूरत है कि संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि इस समस्या पर त्वरित और ठोस कार्रवाई करें ताकि अलीगंज वासियों को राहत मिल सके और बांका शहर की छवि को बेहतर बनाया जा सके। आमजनों की पीड़ा को नहीं होता कोई सुनवाई स्थानीय नागरिक बताते हैं कि यह मार्ग केवल मोहल्ले के निवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शहर के कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों, व्यापारियों, डॉक्टरों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के लिए भी मुख्य रास्ता है। रोजाना सैकड़ों लोग इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन सड़क की हालत देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह कोई उपेक्षित गांव का रास्ता हो। युवा व्यवसायी रचित डोकानियां, जो स्वयं इसी मार्ग से प्रतिदिन गुजरते हैं, कहते हैं, “इस सड़क से नगर परिषद कार्यालय से लेकर जिला पदाधिकारी कार्यालय तक के अधिकारी भी गुजरते हैं, लेकिन आज तक किसी ने इसकी ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। बरसात के मौसम में स्थिति और भी खराब हो जाती है, गड्ढों में पानी भरने से दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।” स्वास्थ्य और सुरक्षा पर प्रभाव जर्जर सड़कें केवल आवागमन की समस्या ही नहीं होतीं, ये लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। गड्ढों में गिरे लोग अक्सर चोटिल हो जाते हैं, विशेषकर बुजुर्ग और बच्चे इस रास्ते से निकलने में सबसे अधिक जोखिम उठाते हैं। इसके अलावा जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा भी बना रहता है। व्यावसायिक गतिविधियों पर असर डोकानियां मार्केट और इसके आसपास के क्षेत्र बांका के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में गिने जाते हैं। लेकिन सड़क की खराब हालत के कारण ग्राहक और व्यापारी दोनों ही परेशान हैं। ग्राहक दूरदराज से आने में हिचकते हैं, जिससे व्यापार प्रभावित हो रहा है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि अगर सड़क की मरम्मत शीघ्र नहीं की गई, तो वे मजबूरी में अपनी दुकानें अन्यत्र स्थानांतरित करने पर विचार कर सकते हैं। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी स्थानीय पार्षद से लेकर नगर परिषद के अध्यक्ष और विधायक तक, सभी से इस समस्या को लेकर नागरिकों ने कई बार शिकायत की, लेकिन किसी ने भी संज्ञान लेकर ठोस कार्रवाई नहीं की। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय नेता वोट मांगने तो आते हैं, लेकिन बाद में उनकी प्राथमिकता सूची से आम लोगों की समस्याएं गायब हो जाती हैं। स्थायी समाधान की आवश्यकता सड़क की स्थिति को देखते हुए अब मात्र पैचवर्क से बात नहीं बनेगी। इस पूरे मार्ग को दोबारा पक्कीकरण की जरूरत है। साथ ही जल निकासी की समुचित व्यवस्था भी आवश्यक है ताकि बरसात में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न न हो। स्थानीय नागरिकों का सुझाव है कि: सड़क की मरम्मत के लिए एक ठोस योजना बनाई जाए। नगर परिषद और संबंधित विभाग मिलकर संयुक्त निरीक्षण करें। आमजन की भागीदारी से जनसुनवाई का आयोजन हो। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कार्य की निगरानी एक जनप्रतिनिधियों की समिति करे। कहते है जिम्मेवार “नगर परिषद क्षेत्र में कोई भी कालीकरण सड़क हमारे द्वारा नहीं बनाई जाती है। यह काम संबंधित विभाग या तो आरसीडी (रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट) या आरडब्ल्यूडी (ग्रामीण कार्य विभाग) के अधीन आता है। हम नागरिकों की समस्याओं को लेकर प्रयासरत हैं, लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक सीमाएं भी होती हैं।” नाला की सफाई के लिए कार्रवाई की जाएगी। डा. विनिता प्रसाद, प्रभारी चेयरमेन, नगर परिषद बांका स्थानीय लोगों का दर्द इस सड़क से मैं रोज दुकान के लिए निकलता हूं, लेकिन अब हालत यह हो गई है कि ग्राहक दुकान तक पहुंचने से डरते हैं। कीचड़, गड्ढे और पानी की वजह से उनका आना-जाना कम हो गया है। व्यापार पर सीधा असर पड़ा है। कई बार खुद फिसल चुका हूं। हम छोटे व्यापारियों की कोई सुनने वाला नहीं है। हर बार चुनाव में वादा होता है, लेकिन उसके बाद कोई नहीं आता। अगर जल्द मरम्मत नहीं हुई तो हम लोग यहां दुकान बंद करने पर मजबूर हो जाएंगे। प्रशासन को जागना चाहिए। - राहुल डोकानिंया, व्यवसायी मैं खुद रोज इस रास्ते से होकर जाता हूं। मेरा घर इसी रास्ते में है तथा दुकान पास ही है, लेकिन अब ऐसा लगता है जैसे कोई दलदल पार कर रहे हों। नगर परिषद कार्यालय और प्रशासनिक दफ्तर इसी रास्ते से हैं, लेकिन इतने बड़े अधिकारी भी अगर आंखें मूंद लें तो आम जनता की कौन सुनेगा? सड़क की हालत देखकर शर्म आती है। डोकानियां मार्केट बांका का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र है, लेकिन सड़क के कारण इसका विकास रुक गया है। हम लगातार आवाज उठा रहे हैं लेकिन प्रशासन केवल आश्वासन देता है। - अक्षय शर्मा, युवा व्यवसायी मैं हर दिन इस रास्ते से गुजरता हूं तथा रोजाना परेशानी होती है। सड़क की वजह से लोगों का मुश्किल बढ गया है। कई बार गड्ढों में साइकिल का पहिया फंस जाता है। लोगों के कपड़े गंदे हो जाते हैं, कभी-कभी चोट भी लग जाती है। बारिश के मौसम में तो हालत और खराब हो जाएगी। मेरी बस यही गुजारिश है कि जल्दी कोई समाधान निकले। - सीए राजू सिन्हा इस रास्ते की हालात देखकर ऐसा लगता है कि नरक बन गया है। दो पहिया वाहन तो क्या चार पहिया वाहन भी इस मार्ग से ले जाना कठिन है। पैदल तो लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। नगर प्रशासन जल्द इसका समाधान करें। गौरव मिश्रा, व्यवसायी हम महिलाओं के लिए सबसे बड़ी मुश्किल बच्चों को स्कूल भेजना है। जरा सी बारिश हुई नहीं कि सारा रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता है। बच्चों को गोद में उठाकर बाहर निकालना पड़ता है। कई बार बच्चे फिसल जाते हैं और चोट भी लगती है। घर से बाजार तक जाना हो तो दो बार सोचते हैं। मोहल्ले में बुजुर्ग महिलाएं भी हैं जो डॉक्टर के पास नहीं जा पातीं। सालों से यही हाल है। शिकायत करके थक गए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता। उम्मीद है कि कोई अब हमारी भी सुनेगा। - शिल्पा शर्मा हम औरतें जब बाहर निकलती हैं तो सबसे बड़ा डर यही रहता है कि पैर कहां रखें। बरसात में सड़क दलदल बन जाती है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, घर का सामान लाना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार तो फिसल कर गिर गई हूं। नगर परिषद की गाड़ियां तो निकल जाती हैं लेकिन हमारी दिक्कत कोई नहीं देखता। जो भी अधिकारी आते हैं, बस देखकर निकल जाते हैं। क्या महिलाओं की तकलीफों की कोई अहमियत नहीं है? - बबली कश्यप सड़क की हालात जर्जर बनी है। हल्की बारिश में ही नारकीय हो जाता है। नगर परिषद के पास शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस मार्ग को प्राथमिकता के साथ बनाना चाहिए। - अभिषेक शर्मा इस सड़क से रोज गुजरता हूं। अब हालत यह है कि हर दिन डर लगता है कि कहीं फिसल न जाऊं। बरसात के बाद तो कीचड़ और पानी में जूते चिपक जाते हैं। कई बार कपड़े गंदे हो जाते हैं। - बालमुकुंद सिंहा बुजुर्गों के लिए ये सड़क किसी मुसीबत से कम नहीं। चलने-फिरने में पहले ही तकलीफ होती है, ऊपर से सड़क कीचड़ और गड्ढों से भरी हो तो चलना नामुमकिन हो जाता है। एक बार गिर गया तो हड्डी टूटने से बची। डॉक्टर ने कहा घर से कम निकलो, लेकिन जरूरी काम हो तो क्या करें? प्रशासन से विनती है कि हमारी उम्र और परेशानी का ख्याल कर कम-से-कम मुख्य सड़क तो दुरुस्त कर दें। - किशन साह, अलीगंज के जर्जर सड़क के कारण सभी लोगों को परेशानी हो रही है। बाजार आने जाने वालों के साथ ही वाहन चालकों को भी परेशानी होती है। प्रशासन को चाहिए कि कम से कम इस मार्ग को प्राथमिकता दे। - संजय पोद्दार, स्थानीय दुकानदार इस मार्ग से रोजाना दर्जनों बच्चे स्कूल जाते हैं लेकिन अब हर दिन डर लगता है। बच्चों के स्कूल ड्रेस गंदा हो जाता है, जूते खराब हो गए हैं। कई बार स्कूल पहुंचने में देरी हो जाती है और सजा मिलती है। बच्चों के माता-पिता हर दिन कहते हैं कि संभलकर जाओ, लेकिन गड्ढों से कैसे बचें? नगर प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से ले। - विकास चौरसिया, सुबह टहलने निकलता था, लेकिन अब इस सड़क से गुजरना असंभव हो गया है। गड्ढे इतने गहरे हैं कि पैर मुड़ जाए तो डॉक्टर के पास जाना पड़े। नगर परिषद को कई बार कहा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। ऐसा लगता है जैसे प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं। जब वोट मांगने आते हैं, तब सब बड़े-बड़े वादे करते हैं। अब वही नेता इस सड़क से गुजरने की हिम्मत नहीं करते। - शिबू सिंह, स्थानीय समाजसेवी बाजार आने वाले लोग कहते हैं कि सड़क से आने में परेशानी होती है। गाड़ी फंस जाती है, कपड़े कीचड़ में खराब हो जाते हैं। व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो गया है। हम दुकानदारों के लिए यह डबल परेशानी है-काम भी और सफाई भी। हमने कई बार नगर परिषद से गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। - रचित डोकानियां

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