हर एक कदम बढ़ रहे बाबाधाम की ओर

सावन माह का पावन महिना बिहार से लेकर झारखंड तक के लोगों के लिए एक अनोखा महिना होता है। कारण बिहार से गांगाजल को लेकर शिवभक्त पैदल झारखंड के बाबा नगरी तक जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। सुलतानगंज...

हिन्दुस्तान टीम बांकाSun, 23 July 2017 12:57 PM
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सावन माह का पावन महिना बिहार से लेकर झारखंड तक के लोगों के लिए एक अनोखा महिना होता है। कारण बिहार से गांगाजल को लेकर शिवभक्त पैदल झारखंड के बाबा नगरी तक जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। सुलतानगंज से बाबाधाम तक अनवरत कांवरियों का रैला दिनरात जारी रहता है। सभी के कंघे पर कांवर व उसमें गंगाजल मानों सुलतानगंज से बाबाधाम तक गंगा बह रही हो। हर एक कदम सीधे बाबा नगरी की ओर ही बढ़ती रहती है। दिनरात बोलबम व ओम नम: शिवाय के जयघोष से पूरा का पूरा 105 किलो मीटर का कांवरिया मार्ग गुंजायमान होता रहता है। जगह जगह भक्ति भजन से कांवरियों को सेवादार राहत पहुंचाने का काम करते हैं। बांका जिले का 65 किलोमीटर कांवरिया मार्ग सबसे ज्यादा व्यस्तम होता है। कारण यह है कि इसी मार्ग में अधिकांश सेवा शिविर कांवरियों की सेवा में जुटा रहता है। हर एक लोग शिवभक्तों को राहत पहुंचाने का काम करते हैं ताकि उन्हें भी भगवान शिव का आशिर्वाद प्राप्त हो। यह मार्ग दिन हो या रात एक समान केसरियामय बना रहता है। धुप हो या वर्षा शिवभक्तों की राह में कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर सकता है। बाबा का नाम लेते हुए शिवभक्त अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहते हैं। रविवार की रात सबसे अधिक चहल पहल होता है मार्ग मेंरविवार की रात कांवरिया मार्ग सबसे ज्यादा रौनक होता है। कारण यह है कि रविवार को जलभर कर हजारों शिवभक्त डाक कांवर लेकर बाबा नगरिया जाते हैं। डाक बमों की सेवा के लिए रविवार को बांका जिले के कांवरिया मार्ग में हजारों लोग जुटते हैं। बांका सहित मुंगेर, जमुई, भागलपुर के अलावे अन्य जिलों के लोग डाकबमों की सेवा के लिए रातभर जागते हैं। जगह जगह नींबू पानी, गर्मपानी, चाय, फल आदि की व्यवस्था डाक बमों के लिए नि:शुल्क की जाती है। यहीं नहीं दवा व दर्द के लिए बाम आदि की भी व्यवस्था रहती है। डाकबम की सेवा के लिए मानों रविवार की रात कांवरिया मार्ग में एक अनोखा दृश्य होता है जो साक्षात शिवलोक का दर्शन कराता है। प्रशासनिक अव्यवस्था पर भारी रहती है आस्थाकांवरिया मार्ग में जिला प्रशासन के द्वारा कई तरह की व्यवस्था की जाती है लेकिन कांवरियो के सैलाब के आगे यह व्यवस्था पूरी तरह धराशायी हो जाती है। शिवभक्त प्रशासनिक अव्यवस्था के बीच कष्ट करते हुए बाबा का नाम लेकर अपने लक्ष्य की ओर चलते रहते हैं। उन्हें किसी भी सुविधा या असुविधा का ख्याल तक नहीं रहता है। इसका कुछ दुकानदार भी जमकर फायदा उठाते हैं।

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