Hindi Newsबिहार न्यूज़बांकाBanka District Faces Environmental Crisis Due to Land Encroachment by Land Mafia

नदियों में हो रहा अतिक्रमण, प्रशासन बेखबर

पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड नदी की जमीन को अतिक्रमित कर खेती करने के साथ ही कई जगहों पर किया जा रहा अवैध निर्माण सिंचाई

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाSat, 23 Nov 2024 01:44 AM
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बांका। एक संवाददाता जिले में अतिक्रमण की समस्या तो पुरानी है लेकिन अब पर्यावरण पर भी भू माफियाओं की नजर लग गई है। इसकार जीता जागता उदाहरण आपको शहर से सटे नदियों व पहाड़ो की जमीन पर दिख जाएगा। बांका शहर से सटे नदियों को अतिक्रमण कर भू माफिया कही खेती कर रहा है तो कहीं अवैध निर्माण का कार्य भी किया जा रहा है। इसपर प्रशासन की नजर अबतक नहीं पड़ी है जिसकारण भू माफियाओं का मनोबल और बढता जा रहा है।

बांका जिला मुख्यालय के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर बहने वाली चांदन और ओढ़नी नदी के जलधारा से जिलेभर में फैले हजारों एकड़ जमीन के पटवन से बेहतरीन खेती होने से ग्रामीणों की समृद्धि बनी रहती थी, लेकिन निरंतर बालू के खनन से जलस्तर नीचे गया है और नदियां भी गहरी होने के साथ सिकुड़ती और सिमटती हुई मालूम होती है, क्योंकि खेती के जमीन ऊंचाई पर रहने से उनसे जोड़ने वाली डांड और नहर से नदियां दूर हो गई। इसके साथ ही नदियों में लीक बनाने के बाद अब खाली हो चुके सैकड़ों एकड़ जमीन को दियारा की तर्ज पर नगर परिषद में आसपास के चुरैली बिदाईडीह, विजयनगर, मसूरिया के आसपास कुछ दबंगो ने अवैध तरीके से नदियों की खाली परती जमीन को अतिक्रमित कर घेराबंदी करते हुए खेती कर रहे हैं। इस ओर ना तो स्थानीय प्रशासन का ध्यान है और ना ही खनन विभाग के पदाधिकारियों की नजर इस ओर गई है। एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर नदियों और अन्य जलस्रोतों पर कब्जा कर उनका अस्तित्व खतरे में लाने पर पूर्व में भी प्रशासनिक कारवाई की गई है। जमीन माफियाओं द्वारा ओढ़नी नदी में अतिक्रमण को लेकर बांका अनुमंडल पदाधिकारी और अंचलाधिकारी द्वारा निरोधात्मक कारवाई कर अवैध ढंग से बनाए रास्ता और खेत को काटकर नदी में मिलवाया गया था। लेकिन मामले को ठंडा पड़ते देखकर भू माफियाओं ने अन्य हथकंडों के माध्यम से जमीन को हथियाने के लिए और बाद में दखल कब्जा के आधार पर सर्वे में जमीन अपने नाम कराने के मंसूबे से परती हुए जमीन को जोत आबाद करके फसल लगाने का काम जारी रखा गया है। इससे जलस्रोत किनारे से दूर गया है। जिसके कारण गर्मियों में भीषण जलसंकट का सामना भी करना पड़ता है और प्राचीन नदियों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। स्थानीय अंचल प्रशासन और खनन विभाग के बेपरवाह होने के कारण भू माफिया लगातार नदियों की जमीन को अतिक्रमण कर कहीं खेती तो कहीं बिल्डिंग निर्माण करके अपना कब्जा बना रहे हैं, जिससे नदियों का सुखना बदस्तूर जारी है। सरकारी जमीन पर दखलंदाजी पर नकेल कसने से सरकारी कोष में भारी राजस्व वसूली के साथ ही अवैध रैयतों से जमीन कब्जा भी हटेगा।

कोट:

नदी के जमीन पर किसी भी तरह का कब्जा अवैध है। यह मामला उनके संज्ञान में नहीं था। अब जानकारी मिली है, जल्द ही टीम गठित कर जांच करवाई जायेगी।

प्रियंका कुमारी, अंचलाधिकारी, बांका

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