1.42 लाख हेक्टेयर में लगे गेहूं को संजीवनी
पश्चिम चंपारण जिले में तापमान में गिरावट और पछुआ हवा से 1.42 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसलों को लाभ मिला है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि गेहूं की पैदावार में सुधार होगा। हालांकि, आलू की लेट प्रजातियों...
बेतिया। लगातार पांच दिनों से तापमान में गिरावट और पछुआ हवा के बहने से पश्चिम चंपारण जिले में लगे लगभग 1.42 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसलों को संजीवनी मिली है। कृषि वैज्ञानिक गेहूं के बेहतर पैदावार की संभावना जाता रहे हैं। पछुआ हवा के प्रकोप से आलू की लेट प्रजाति के फसलों में झुलसा रोग की संभावना बढ़ गई है। वही पश्चिम चंपारण जिले में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में लगें दलहनी और तिलहनी फसलों पर कीट पतंगों के बढ़ने की संभावना है। जिससे तेलहनी और दलहनी फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा। जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार राय की मानें तो ठंड के मौसम में रबी फसलों की हल्की सिंचाई करनी चाहिए। सबसे बेहतर ्प्रिरंकलर और ड्रिप सिंचाई के माध्यम से फसलों की सिंचाई करना काफी फायदेमंद होता है। इससे फसलों का ग्रोथ होगा। वही कीट -पतंगों का नाश होगा। खेतों में सिंचाई के बाद प्रति हेक्टयर 50 किलो यूरिया का छिड़काव करना चाहिए। खेतों में आवश्यकता से अधिक यूरिया का प्रयोग करने पर फसलों का जर्मिनेशन प्रभावित होता है। वही आवश्यकता अनुसार कीटनाशी, जिंक और बोरोन का भी प्रयोग फायदेमंद होता है।
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