सरकारी और निजी विद्यालय में दोहरे नामांकन से मचा हड़कंप
पश्चिम चंपारण जिले में सरकारी और निजी विद्यालयों में छात्रों के दोहरे नामांकन का मामला सामने आया है। सरकारी स्कूल के छात्र नियमित रूप से निजी विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं और सिर्फ मासिक परीक्षा...
पश्चिम चंपारण जिले में सरकारी और निजी विद्यालय में एक साथ दोहरे नामांकन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसके बाद से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। मामले में सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले दर्जनों छात्रों का नामांकन सरकारी व निजी दोनों स्कूलों में पाया गया है। बच्चे नियमित कक्षा निजी स्कूलों में अटेंड करते हैं, सरकारी स्कूल में सिर्फ मासिक परीक्षा देने जाते हैं। यही नहीं सरकारी विद्यालय के हेड मास्टर की इसमें संलिपिता इस कदर पाई गई है कि वह निजी विद्यालय में छात्रों के नामांकन की एवज में निजी विद्यालय से राशि भी वसूल रहे हैं। मामला जिले के मझौलिया प्रखंड के हरगुण प्लस टू विद्यालय सरिसवा का है। मामला उजागर होने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण ने विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक शशि भूषण से 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण की मांग की है। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब शिक्षा विभाग की डीपीओ माध्यमिक गार्गी कुमारी ने हरगुण प्लस टू विद्यालय में दोहरे नामांकन की लगातार मिल रही शिकायतों की जांच की। डीईओ को सौंपे गए अपने स्थलीय जांच प्रतिवेदन में डीपीओ ने स्पष्ट किया है कि हरगुण प्लस टू विद्यालय सरिसवा में नामांकित कई छात्र नियमित रुप से सरिसवा बाजार, मझौलिया स्थित निजी स्कूल अंशु प्रिया पब्लिक स्कूल व नवीन आदर्श विद्या मंदिर में पठन-पाठन करते हैं। इसकी जांच अंशु प्रिया पब्लिक स्कूल में भी की गई। जिसमें दोहरे नामांकन की पुष्टि हुई है। अंशु प्रिया पब्लिक स्कूल को आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए प्रस्वीकृति प्राप्त है। इस विद्यालय के कक्षा 08 बी में अध्ययनरत सभी छात्र-छात्रा मूलतः हरगुण प्लस टू विद्यालय में नौवीं कक्षा में नामांकित है। जांच के क्रम में 9 वीं के नामांकन पंजी से मिलान कर छात्र-छात्राओं का लिखित बयान भी दर्ज किया गया है। अंशु प्रिया पब्लिक स्कूल में आठवीं कक्षा में नामांकित सभी छात्र-छात्राओं का ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर नामांकन नहीं दर्शाया गया है। जबकि सभी छात्र-छात्राओं से मासिक शुल्क वसूल की जाती है। उधर हरगुण प्लस टू विद्यालय के नामांकन पंजी व उपस्थिति पंजी की जांच में पाया गया है कि ऐसे छात्र-छात्राएं केवल मासिक परीक्षा देने ही विद्यालय आते हैं। बाकी दिन वे संबंधित निजी विद्यालयों में ही पढ़ाई करते हैं। इसमें प्रभारी प्रधानाध्यापक शशि भूषण की पूरी संलिप्तता है। प्रभारी प्रधानाध्यापक इसके बदले निजी विद्यालयों से कमीशन लेते हैं।
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