Hindi NewsBihar NewsBagaha NewsRickshaw Drivers Face Unemployment Crisis Amidst Rise of E-Rickshaws

मजदूरों से भी कम हो गयी रिक्शा चालकों की कमाई

रिक्शा चलाने वालों की स्थिति खराब हो गई है, क्योंकि ई-रिक्शा ने उनकी रोजी-रोटी छीन ली है। अब उन्हें सवारी नहीं मिलती और कमाई में गिरावट आई है। रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा खरीदने के लिए लोन नहीं मिलता,...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाMon, 17 Feb 2025 10:48 PM
share Share
Follow Us on
मजदूरों से भी कम हो गयी रिक्शा चालकों की कमाई

रिक्शा चलाने वाले लोगों की हालत मजदूरों से भी बदतर हो गई है। ई-रिक्शा ने उनकी सवारी उठा लिया है। इससे उनको बेरोजगार रहना पड़ रहा है। रिक्शा चलाने वाले जिन लोगों की स्थिति थोड़ी ठीक थी, उन्होंने ई-रिक्शा खरीद ली। लेकिन अधिकांश रिक्शा चालकों की आर्थिक स्थिति खराब है। ऐसे में उन्हें ई-रिक्शा खरीदने के लिए लोन तक नहीं मिलता है। अब लोग10 रुपये न्यूनतम खर्च कर ई-रिक्शा का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन रिक्शा पर 20 रुपये वे खर्च नहीं करना चाहते। ऐसे में घंटों इंतजार के बाद भी उन्हें सवारी नहीं मिलती है। पूर्व में दो-ढाई सौ रुपये कमाने वाले रिक्शा चालक के लिए अब सौ-डेढ़ सौ रुपये कमाना मुश्किल हो गया है। रिक्शा भाड़े पर लेने पर 50 रुपये रोजाना भाड़ा देना पड़ता है। सौ-डेढ़ सौ रुपये में घर-परिवार चलाना विवशता है। लंबी दूरी की सवारी करने पर 50 रुपया से कम में कुछ हो नहीं पाता है। ऐसे में रिक्शा चालकों को परेशानी होती है। बीमार होने पर इलाज तो आयुष्मान कार्ड से हो जाता है। लेकिन अधिकांश रिक्शा चालकों को ऐसी बीमारी होती है कि वे चल-फिर पाने में असमर्थ हो जाते हैं। कमाई खत्म होने के बाद उनके लिए पेंशन तक की व्यवस्था नहीं है। रिक्शा चालक संघ के प्रदेश महासचिव शंकर कुमार राव बताते हैं कि कई लोगों की रिक्शा खींचने के कारण तबीयत खराब हो जाती है। पहले बेतिया शहर की सड़कों पर गड्ढे कम रहते थे। ऐसे में चालक आराम से रिक्शा खींच लेते थे। वर्तमान में शहर की एकाध सड़क ही अच्छी है। बाकी जर्जर है। ऐसे में रिक्शा चलाना कठिन हो जाता है। शारीरिक ताकत ज्यादा लगाने से चालकों की तबीयत खराब हो रही है। उन्हें कई तरह की गंभीर बीमारियां हो जाती है। रिक्शा चालक मन्नू ठाकुर बताते हैं कि दिन भर रिक्शा चलाने पर सौ से डेढ़ रुपये तक की कमाई होती है। इतनी कम राशि में घर चलाना मुश्किल है। पहले सौ रुपये दिहाड़ी कमाने पर भी घर चल जाता था। लेकिन आज के समय में सौ रुपये में कुछ नहीं होता है। रिक्शा चालकों को सवारी मिलती नहीं है। इक्का दुक्का सवारी मिलने पर दिन भर में काफी कम कमाई होती है। वहीं मोहम्मद इकबाल बताते हैं कि दिन भर में सौ रुपये कमाकर 50 रुपये रिक्शे का भाड़ा दे देते हैं। रिक्शा चालक नसरुद्दीन मियां उर्फ डोमा मियां बताते हैं कि रिक्शा को खींचने के कारण ही मुझे फालिस (लकवा) मार दिया। परिवार वालों के लिए मैं ही कमाने वाला सदस्या हूं। बावजूद मेरी हालत देखकर बच्चे रिक्शा चलाने से मना करते हैं। ई रिक्शा खरीदना चाहते हैं लेकिन हमलोगों को बैंक लोन नहीं देती है।

अफरोज अहमद बताते हैं कि हम लोग गरीब तबके से आते हैं। रहने के लिए घर भी नहीं है। हमलोगों के लिए आवास की व्यवस्था होनी चाहिए। रिक्शा यूनियन के मकान में जैसे तैसे हम लोग रहते हैं। रिक्शा चलाने वाले छोटेलाल बताते हैं कि रिक्शा का पंक्चर बनाने में 20 रुपये लगता है। लेकिन हमारी आय ही सौ रुपये हैं। यदि दो-तीन पंक्चर एक दिन में निकल आये तो सारी कमाई उसी में खत्म हो जाती है। सरकारी स्तर पर हमलोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था होनी चाहिए। जैसे तांगा खत्म हो गया अब रिक्शा भी खत्म हो रहा है। राधेश्याम बताते हैं कि सरकार की ओर से हमारे लिए पेंशन की व्यवस्था नहीं की गई है। कम से कम 400- 500 रुपये भी पेंशन हमें मिलता तो बुढ़ापे में काम चल पाता। अब बुढ़ापे में तो रिक्शा खींचना भी संभव नहीं है। मोहम्मद नासिर बताते हैं कि बारिश के दिनों में जब सड़कें पूरी तरह से कीचड़ में सन जाती है तो रिक्शा चालकों को और अधिक परेशानी होती है। रिक्शा को खींचना मुश्किल हो जाता है। वहीं असलम अंसारी का कहना है कि मीना बाजार से लेकर शहर में जगह-जगह जाम लगता है ट्रैफिक पुलिस रिक्शा वालों पर डंडे बरसाते हैं। प्रशासन भी हमारी सहायता नहीं करता। उमाशंकर चौधरी बताते हैं कि हमलोगों के बच्चों को शिक्षा नि:शुल्क मिलनी चाहिए। ताकि हमारे बच्चे भी पढ़ सके।

प्रस्तुति-गौरव कुमार

आधार, पैनकार्ड लेकर आने पर नियमों के अनुसार मिलेगा ऋण

बैंक के प्रभारी एलडीएम विजय कुमार ने बताया कि रिक्शा चालकों अथवा ई-रिक्शा के लिए बैंक द्वारा ऋण की सुविधा है। आधार, पैनकार्ड लेकर आने के बाद बैंक के नियमों के अनुसार ऋण दिया जाता है। इसमें किसी भी प्रकार के बिचौलिए की आवश्यकता नहीं है। जिन्हें भी लोन की जरूरत हो, सीधे बैंक में आकर संपर्क कर सकते हैं।

सुझाव

1.आसान किस्तों पर बैंक द्वारा रिक्शा चालकों को लोन देने की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि रिक्शा चालक लोन की राशि से रिक्शा अथवा ई रिक्शा खरीद सके।

2.नगर की सड़कों को बेहतर बनाना चाहिए। जिससे रिक्शा चालकों को रिक्शा चलाने में कोई परेशानी नहीं हो। दो आदमी भी बैठा हो तो रिक्शा आसानी से खींचा जा सके।

3.रिक्शा का भाड़ा एक जगह से लेकर दूसरी जगह तक के लिए तय होनी चाहिए। जगह-जगह पर रिक्शा चालकों को मेहनताना मांगने पर झगड़ा नहीं हो।

4.रिक्शा चालकों के बच्चों के लिए निजी विद्यालयों में निशुल्क नामांकन की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रशासन को इस बाबत पहल करनी चाहिए। ताकि हमारे बच्चें भी पढ़-लिखकर आगे बढ़ सके।

5.रिक्शा चालकों के लिए सरकार द्वारा पेंशन और अन्य सुविधाओं को मुहैया कराना चाहिए। उनके लिए आवास की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे उन्हें आश्रय मिल सके।

शिकायतें

1.रिक्शा चालकों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या रोजगार को लेकर है। रिक्शा चालकों को सबसे ज्यादा ई-रिक्शा से परेशानी है।

2.सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो जाने से रिक्शा चालकों को रिक्शा चलाने में परेशानी होती है। ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है। इससे वे बीमार पड़ रहे हैं। उनके लिए बेहतर इलाज की सुविधा मिलनी चाहिए।

3.रिक्शा चालकों को रिक्शा का भाड़ा 50 रुपए प्रतिदिन देना पड़ता है। जबकि कमाई काफी कम होती है। ऐसे में रिक्शा चालकों को अपना रिक्शा खरीदने की व्यवस्था होनी चाहिए।

4.रिक्शा चालकों के बच्चों के लिए निजी विद्यालयों में निशुल्क नामांकन की व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों की पढ़ाई लिखाई में काफी परेशानी होती है।

5. रिक्शा चालकों को बैंकों द्वारा आसानी से कर्ज नहीं मिल पाता है। इस कारण वह अपना रिक्शा नहीं खरीद पाते हैं। कम ब्याज पर लोन की सुविधा मिलनी चाहिए। ताकि स्वरोजगार कर सके। रिक्शा चालकों को बैंक लोन नहीं देना चाहती। इससे बहुत परेशानी होती है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें